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October 16, 2017
जलदाय विभाग में एक आलाधिकारी के फर्जी दस्तावेज से नौकरी करने का मामला सामने आया है. विभाग में अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता के पद पर कार्यरत इस अधिकारी पर आरोप काफी हद तक प्रमाणित भी हो गए हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.
विभाग में अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता के पद पर कार्यरत अधिकारी ने फर्जी दस्तावेज के सहारे विभाग में लम्बे समय तक नौकरी कर ली और इस फर्जीवाड़े की किसी को भनक भी नहीं लग पाई. अब शिकायत के बाद हुई जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि इंजीनियर द्वारा दिया गया दस्तावेज फर्जी था.
दरअसल, इंजीनियर रामकिशन भारतीय द्वारा दस्तावेजों में जो जाति प्रमाण पत्र लगाया गया था वो अनुसूचित जनजाति का था, जबकि हकीकत में वे अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल हैं. जुलाई 1982 में रामकिशन भारतीय को उपखण्ड अधिकारी कार्यालय से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जबकि अब जांच में सामने आया है कि रामकिशन भारतीय बंजारा जाति के हैं और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा जारी अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में यह क्रम संख्या 5 पर अंकित है.
साल 1989 में जूनियर इंजीनियर के तौर पर रामकिशन भारतीय की नियुक्ति हुई थी और इस फर्जी दस्तावेज के सहारे वे 28 साल की नौकरी कर चुके हैं. अब फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद इंजीनियर द्वारा बार-बार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया जा रहा है. शिकायत मिलने के बाद जलदाय विभाग ने बूंदी जिला कलेक्टर के माध्यम से जाति प्रमाण पत्र की जांच करवाई.
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