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July 16, 2017
अजमेर। सिने वल्र्ड के सामने बी के कौल नगर मेंं रविवार को मणिकुंज जैन स्थानक में आयोजित एक विशाल धर्मसभा में डॉ श्रीज्ञान लता म सा ने कहा कि गुणवान व्यत्ति ही दूसरों की प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होता है। ईष्र्यालु व्यत्ति* दूसरों की प्रशंसा को पचा नहीं पाता जैसे उबलते हुये तेल की कडाही में पानी के छीटे डालते ही तड तड की आवाजे आने लगती है, वैसे ही ईष्र्यालु व्यत्ति* दूसरों का नाम, यश, वाह-वाही को पचा नहीं सकता। आपने कहा जैसे सावन भादवे में मेघ बरसता है, तब सारी वनस्पतियां हरीभरी हो जाती है, लेकिन जवासा उस हरियाली को देखकर सूख जाता है, जल जाता है, वहीं जवासा जब जेठ वैशाख की गर्मी आती है, तब हरा-भरा हो जाता है, क्योंकि सभी वनस्पतियां सूख जाती है, जल जाती है तब वह हरी हो जाती है। गुणवान बनो, गुणानुरागी बनो। इस धर्मा सभा में ताराचंद कर्णावट ने गुरुवर्या के मुखार बिन्द से अठाई लय के प्रत्याख्यान ग्रहण किये।
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