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June 29, 2017
जयपुर। प्रतापगढ़ जिले के आदिवासी घरों की दीवारों से निकलकर कैनवास के जरिए पहचान बना रहा कांठल का मांडणा एक बार फिर दीवारों पर छा जाने की तैयारी में है। आने वाले दिनों में जिला मुख्यालय की खास-खास जगहें मांडणा ट्राईबल आर्ट से सजी नजर आएंगी। गुरुवार को नगर परिषद के निरीक्षण के दौरान जिला कलक्टर नेहा गिरि ने सभापति कमलेश डोसी, कमिश्नर अशोक जैन, राजीविका के विनोद पानेरी व मांडणा कला से जुड़ी कारीगर महिलाओं से इस विषय में व्यापक चर्चा की। इस दौरान जिला कलक्टर ने बताया कि शहर के खास चौराहों, बस स्टैंड, कलक्ट्रेट, पंचायत समितियों, निजी व राजकीय स्कूलों व तथा टीएडी छात्रावासों की दीवारों, सर्किट हाऊस, हॉस्पिटल्स, स्वास्थ्य भवन, पार्क, वन विभाग एवं सानिवि रेस्ट हाउसेज, प्रतीक्षालयों, स्टेडियमों, पैट्रोल पंप सहित प्रमुख स्थानों व भवनों की दीवारों पर यह पेंटिंग कराई जाएगी।
मांडणा से जुड़ी राजीविका समूह की कारीगर महिलाएं ही इस परिकल्पना को अमली जामा पहनाएंगी तथा नगर परिषद की ओर से आने वाले एकाध दिन में ही शहर के मुख्य चौराहे से इसकी शुरुआत होगी। व्यापक स्तर पर पेंटिंग का काम मिलने से मांडणा से जुड़ी महिलाओं को निरंतर रोजगार मुहैया होगा और प्रतापगढ को एक खास पहचान मिलेगी।प्रतापगढ जिला कलक्टर ने सभापति व कमिश्नर से कहा कि वे समुचित ढंग से पूर्व तैयारी कर इस काम को शुरू कराएं और एक-एक कर मुख्य स्थानों पर मांडणा पेंटिंग कराएं। उन्हाेंने बताया कि मानसून के बाद इन महिलाओं को ललित कला अकादमी की ओर से एक और प्रशिक्षण दिलाया जाएगा ताकि इनके काम में और अधिक दक्षता आ सके।
प्रतापगढ जिला कलक्टर ने बताया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जिले की महिला चित्रकारों द्वारा तैयार कांठल कला के चित्रों को देखकर इस चित्रशैली की सराहना करते हुए रंगों के साथ नए प्रयोग करने और परम्परागत मांडणा शैली के चित्रों व कांठल कला को जोगी आर्ट की तर्ज पर प्रोत्साहित करने के लिए कहा था। इंटरनेट आदि के जरिए मांडणा की मार्केटिंग के प्रयास चल रहे हैं तथा जिला प्रशासन का प्रयास है कि थेवा कला के बाद अब ‘मांडणा’ भी इस इलाके की एक खास पहचान बनकर उभरे। इस मौके पर कलक्टर ने मांडणा से जुड़ी कारीगर महिलाओं से कहा कि वे इस काम में क्वालिटी पर खास ध्यान दें और देखें कि अपेक्षा के अनुरूप परिणाम मिलें।
नगर परिषद सभापति कमलेश डोसी ने कहा कि जिला कलक्टर की पहल से कांठल मांडणा कला की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान बन रही है। आदिवासी क्षेत्र के रीति-रिवाज, तीज-त्यौहार और संस्कृति पर आधारित कांठल ‘मांडणा’ के प्रोमोशन से आदिवासी महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।
राजीविका के विनोद पानेरी ने बताया कि राजीविका मिशन की ओर से पीपलखूंट एवं अरनोद ब्लॉक की आदिवासी महिलाओं को यहां की परम्परागत मांडणा पेंटिंग्स के दो प्रशिक्षण दिए जा चुके हैं। कारीगर महिला भंवरी देवी, राधा रैदास, नीलू मीना, बसंती मीना आदि ने कलक्टर नेहा गिरि का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनकी पहल से ही संभव हुआ है कि अब महिलाएं मांडणा कला को एक अवसर व अपने भविष्य के तौर पर देखने लगी हैं।
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