Post Views 761
June 20, 2017
नेशनल रिपोर्ट – कानपुर देहात में डेरापुर तहसील के झींझक कस्बे के एक छोटे से गांव परौख के रहने वाले रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लॉक के गांव खानपुर से हुई। कानपुर के बीएनएसडी इंटर कॉलेज से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की। कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम अौर इसके बाद डीएवी लॉ कॉलेज से वकालत की पढाई की।
2015 में बनाए गए बिहार के राज्यपाल
कोविंद को 8 अगस्त 2015 को बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया। उस वक्त नीतीश कुमार ने विरोध दर्ज किया था। उनका कहना था यह नियुक्ति उनसे सलाह के बगैर की गई।
मकान को बारातशाला के रूप में किया दान
रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। परौख गांव में कोविद अपना पैतृक मकान बारातशाला के लिए दान कर चुके हैं। बड़े भाई प्यारेलाल हैं। एक भाई शिवबालक राम का निधन हो चुका है
अाईएएस एलाइड सेवा के लिए चुने गए
कोविंद ने सिविल सेवा परीक्षा दी, लेकिन पहले और दूसरे प्रयास में असफल रहे। तीसरी बार सफलता मिली, पर नौकरी ठुकरा दी, क्योंकि उन्हें एलाइड सर्विस के लिए चुना गया।
दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस
रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की। फिर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 16 साल तक प्रैक्टिस की। 1971 में दिल्ली बार काउंसिल के लिए नामांकित हुए। दिल्ली हाईकोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे थे। 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार की स्टैंडिग काउंसिल में थे। भाजपा की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर रहे।
घाटमपुर से चुनावी मैदान में रखा कदम
1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर वह प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने। इसके बाद भाजपा के संपर्क में आए कोविंद को पार्टी ने साल 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा। हालांकि, उनकी हार हुई। 2007 में उन्हें प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया गया, लेकिन किस्मत ने धोखा दिया और वह फिर हार गए।
1994 में पहली बार बने राज्यसभा सांसद
1994 में कोविंद यूपी से पहली बार राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए। वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे। इस दौरान उन्होंने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया। वह कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं। कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में रही है। छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया।
कई कमेटियों के रहे चेयरमैन
कोविंद आदिवासी, होम अफ़ेयर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय, क़ानून न्याय व्यवस्था और राज्यसभा हाउस कमेटी के चेयरमैन भी रहे। गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया और अक्तूबर 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया।
मायावती के खिलाफ खड़ा करना चाहती थी भाजपा
कोविंद यूपी में भाजपा यूनिट के महामंत्री रहे हैं। उन्हें प्रदेश इकाई में पार्टी का बड़ा चेहरा माना जाता है। कोविंद ने अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता का पद भी संभाला। दलित छवि के चलते एक समय भाजपा उन्हें यूपी में मायावती के खिलाफ भी प्रोजेक्ट करने की सोच रही थी।
घाटमपुर से रहा है गहरा नाता
घाटमपुर से चुनाव लड़ने के बाद कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे। घाटमपुर के कुष्मांडा देवी मंदिर में भक्तों के लिए पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने ही नलकूप लगवाया था। क्षेत्र के विकास के लिए हर समय सक्रिय रहने का ही परिणाम है कि उन्हें एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने की खबर पर क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
कुष्ठ रोगियों की संस्था के आजीवन संरक्षक
वह हरिद्वार में गंगा के तट पर स्थित कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए समर्पित संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आजीवन संरक्षक भी हैं। वकील रहने के दौरान कोविंद ने गरीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी।
रामनाथ कोविंद का प्रोफाइल
जन्म 01 अक्तूबर 1945
जन्म स्थान परौंख, कानपुर देहात
शिक्षा बीकॉम, एलएलबी
विवाह 30 मई 1974
पत्नी सविता कोविंद
बच्चे प्रशांत और स्वाति
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved