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June 19, 2017
अजमेर सिटी रिपोर्टर- शहर कांग्रेस कमेटी ने आरोप लगाया कि अजमेर की बिजली व्यवस्था 20सालों के लिये ठेके पर देकर सरकार ने अजमेर को पुंजिपतियों के हाथो गिरवी रख दिया है। भाजपा जन प्रतिनिधीयों की खामोशी और कांग्रेस के विरोध पर भाजपा संगठन का निजीकरण के सर्मथन में आना इस बात की पुख्ता दलील है कि टाटा पावर कंपनी और सरकार के मंत्रियों व आला अधिकारियों के बीच करोडों की डील हुई है।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि टाटा पावर कम्पनी ने करोडो के भ्रष्टाचार के दम पर अजमेर सिटी सर्किल की बिजली व्यवस्था पर 20 सालों के लिये अपना कब्जा जमा लिया है पर कांग्रेस ऐसे जन विरोधी फैसले पर खामोश रहने वाली नही है और संगठन इसका भरपूर विरोध करता रहेगा। उन्होने कहा कि कांग्रेस टाटा पावर के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाऐगी जिसके तहत आम जनता से सहयोग मांगा जाऐगा कि कम्पनी के खिलाफ असहयोग करें। उन्होने अजमेर डिस्काॅम वृत्त के इन्जीनियरस, तकनिकी कर्मचारी एवं अन्य सहायक कर्मचारिउओं का आव्हान किया वे भी कांग्रेस के असहयो आंदोलन मे साथ आऐं ताकि टाटा पवार कम्पनी को सिंगूर की तरह अजमेर से खदेडा जा सके।
उन्होने कहा कि आज से अगले 20सालों के लिये बिल जेनरेशन, प्रिंटिंग व डिस्ट्रीब्यशन, मीटर लगाने व बदलने तथा रीडिंग, नया कनेक्शन देने, मीटरों की जांच, बिजली चोरी पकडने से लेकर बिल वसूली का काम प्रें€चाइजी के माध्यम से टाटा पावर कंपनी करेगी। ये सारे काम प्राइवेट एजेंसी के हाथों में पहुंचने पर गलत रीडिंग, मीटर से छेडछाड जैसी गडबडियां होंगी और उपभोक्ताओं की परेशानी घटने की बजाय बढेगी। बिलिंग, मीटर लगाने व बदलने का काम निजी हाथों में नहीं देना चाहिए। ठेकेदार बिजली चोरी पकडने की बजाय अधिक वसूली के लिए इसे बढावा देंगे। इससे सुधार की बजाय अव्यवस्था फैलेगी। ठेकेदार अपने लाभ के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
जैन ने उन इन्जीनियरस, तकनिकी कर्मचारीयों को जयचंद की संज्ञा दी जिन्होने निजी हितों के तहत टाटा पावर कम्पनी का हाथ थामकर कम्पनी की शर्तोें पर इसकी गुलामी को स्वीकार किया है। उन्होने कहा कि अजमेर की विद्युत व्य्वस्था संभालने और जनता को बेहतर सेवाएं देने का दम भरने वाली टाटा पावर ने अपनी थर्ड पार्टी मुंबइया कंपनी को बेरोजगार नवयुवको को झांसा देकर भर्ती करने का काम सौंप दिया । टाटा कम्पनी की सबलेट कम्पनी ने विद्युत रखरखाव कार्य एवं विद्युत शिकायत निवारण कायवश के लिए अप्रशिक्षित बेरोजगार युवाओ को टाटा पावर के नाम पर धोखा देकर भर्ती किया ।
उन्होने कहा कि विद्युत व्यवस्था के निजीकरण का पूर्व इतिहास यह साबित करता है कि जहां भी विद्युतिकरण का निजीकरण हुआ है वहा बिजली व्यवस्था बदहाल हुई है तथा जनाक्रोष अपने चरम पर पहुंचा है। इसके सबसे बेहतरीन उदाहरणो में दिल्ली व उज्जैन में किया गया निजीकरण उल्लेखनिय है जहा यह व्यवस्था पूर्णतया फेल हो चुकी है। जैन ने कहा कि निजी कम्पनी को अजमेर डिस्काॅम की व्यवस्थाऐं देने के उपरान्त वृत्त के इन्जीनियरस, तकनिकी कर्मचारी एवं अन्य्ा सहाय्ाक कर्मचारियों के बडी मात्रा में सरप्लस होगे है। ऐसे में सरप्लस होने वाले कार्मिको की पुनर्वास के सम्बन्ध में सरकार द्वारा किसान ठोस नीति की घोषणा भी नहीं की है। इसके अलावा विद्युतकर्मी अपनी पेंशन, सेवानिवृत्त परिलाभ तथा वेतन व सेवा स्थिति के लिए जो श्रमिक कानून बनाए गए हैं, उसे निजी कम्पनी कैसे निभाएगी यह सुनिश्चित नहीं किया गया है।
जैन ने कहा कि बिजली व्य्ावस्था निजी हाथों में सौंपना गलत है। निजी कंपनी अपनी मनमर्जी करेगी, जिससे हालात बिगडेंगे। सरकार को अपने इस निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए। राज्य सरकार घाटे को आधार बनाकर के अजमेर वृत की विद्युत व्यवस्था को 20साल के ठेके पर दे दिया गया है, जबकि तथ्य यह है कि अजमेर वृत राजस्व वसूली के संबंध में राजस्थान में प्रथम है। इसलिए सरकार का य्ाह कदम तर्क संगत एवं नयायालय यथोचित नहीं है। यदि कही कोई घाटा हो तो उसका निराकरण कदापि निजीकरण ठेकेदारी प्रथा नहीं है।
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