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June 10, 2017
रिपोर्ट- थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने एलान किया है कि जल्द ही महिलाओं को कॉम्बैट रोल (लड़ाकू भूमिका) दिया जाएगा। भारत में ऐसी एक बड़ी पहल कुछ वर्ष पहले हुई, जब वायु सेना में महिलाओं को लड़ाकू भूमिका दी गई। तीन लड़ाकू पायलट फिलहाल वहां हैं। कहा गया है कि ये प्रयोग सफल रहा, तो कॉम्बैट रोल वाली महिलाओं की संख्या वायु सेना में बढ़ाई जाएगी। नौ सेना में भी महिलाओं को प्रमुख भूमिका देने की तैयारी चल रही है। इस बीच थल सेना के मामले में जनरल राव ने ये बड़ी घोषणा की है। कॉम्बैट रोल में अभी तक केवल पुरुष हैं। जनरल रावत ने कहा कि अब महिलाओं को ये भूमिका देने की तैयारी चल रही है। शुरुआत में महिलाओं को मिलिट्री पुलिस में शामिल किया जाएगा। जनरल रावत ने कहा- ‘मैं महिलाओं को जवान के रूप में देखना चाहता हूं। हम इसे जल्द शुरू करने जा रहे हैं।’ फिलहाल महिलाओं को सेना में मेडिकल, कानूनी, शैक्षिक, सिग्नल और इंजीनियरिंग आदि विभागों में शामिल किया जाता है। लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों की वजह से उन्हें कॉम्बैट रोल नहीं दिया गया है। वैसे एक राय यह है कि बात सिर्फ व्यावहारिक दिक्कतों की नहीं हैं। बल्कि मुद्दा सामाजिक नजरिए और पूर्वाग्रहों का भी है।
महिलाओं को कमजोर मानने की सोच अतीत में ऐसी किसी पहल में बाधक रही है। जनरल रावत ने कहा कि वे महिलाओं को जवान की भूमिका देने के मुद्दे को सरकार के सामने उठाने जा रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देने में ज्यादा देर नहीं लगाएगी। महिलाओं को सेना में लड़ाकू भूमिका मिलने का समाज पर व्यापक सकारात्मक असर होगा। इससे महिलाओं को लेकर जारी कई पूर्वाग्रह टूटेंगे। सेना को जो लाभ होगा, वह अलग है। इससे भारतीय महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी। अभी केवल जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, नॉर्वे, स्वीडन और इजराइल में ही महिलाएं कॉम्बैट रोल निभा रही हैं। मिलिट्री पुलिस का काम छावनी क्षेत्र और सैन्य प्रतिष्ठानों की निगरानी और रक्षा का होता है। सैनिकों को नियम-कायदों की रक्षा, सैनिकों की आवाजाही, युद्ध बंदियों को संभालना और जरूरत पड़ने पर सिविल पुलिस की मदद का काम भी मिलिट्री पुलिस के जवानों को करना होता है। महिलाओं के लिए रास्ता इन्हीं कार्यों से खोला जा रहा है। आशा है, आगे वे हमारी सरहदों की रक्षा करती नजर आएंगी।
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