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June 5, 2017
नई दिल्ली - भारत की जीडीपी सकल घरेलू उत्पाद के चालू वित्त वर्ष में 7.1 फीसद पर सपाट रहने का अनुमान है। ऐसा इसलिए क्योंकि निवेश की स्थिति कमजोर है और राजकोषीय समेकन को देखते हुए सरकारी खर्च उतना ज्यादा नहीं होगा। एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है।2016 के मध्य से विकास की गति धीमी हो रही है और इस प्रवृत्ति को आगे बढ़ने की उम्मीद है। यह बात वैश्विक वित्तीय सेवा प्रमुख एचएसबीसी ने कही है। एचएसबीसी के मुखिया प्रांजुल भंडारी ने अपने रिसर्च नोट में कहा, “आगे बढ़ते हुए, बिलो कंसेंसस नजरिए की अगर बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान ग्रोथ 7.1 फीसद रह सकती है।” आधिकारिक डेटा के मुताबिक, भारत की जीडीपी ग्रोथ जनवरी मार्च तिमाही के दौरान फिसलकर 6.1 फीसद के स्तर पर आ गई थी, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान यह 7.1 फीसद रही है।निवेश अभी भी कमजोर है, क्योंकि जीडीपी विकास दर में धीमा गति जारी रहने की उम्मीद है। जबकि राजकोषीय समेकन को देखते हुए सरकारी खर्च के भी उतना ज्यादा होने की संभावना नहीं है। साथ ही पिछले कुछ महीनों में निर्यात में बढ़ोतरी ने संतुलन के संकेत दिए हैं।इसमें आगे कहा गया कि इस तथ्य के बावजूद अगर बारिश अच्छी रही तो ग्रामीण विकास दर उच्च हो सकती है, लेकिन यह सब अन्य क्षेत्रों की कमजोरी की भरपाई के बारे में होगा।
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