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June 3, 2017
नई दिल्ली-पिछले कई महीनों से लगातार जिस तरह के संकेत बहुजन समाज पार्टी की तरफ से दिए जा रहे हैं वह कहीं इस बात की ओर इशारा तो नहीं कि आने वाले दिनों में प्रदेश की दो धुर विरोधी पार्टियां मतभेद भुलाकर फिर से एक हो सकती हैं।इसे राजनीति का तकाज़ा कहें या फिर कुछ और लेकिन लोकसभा चुनाव में बिना एक भी सीट पाए बुरी तरह मात खा चुकी बसपा सुप्रीमो मायावती को जब दोबारा विधानसभा चुनाव में झटका लगा, उसके बाद उन्होंने अब सपा के साथ संबंधों में नरमी दिखाई है। इसे प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में एक नए संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।इस वक़्त यह बात इसलिए उठ रही है क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव राष्ट्रपति चुनाव के बाद पटना में बड़ी रैली करने जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और अन्य दलों को 27 अगस्त को लालू यादव के नेतृत्व में होने जा रही पटना की रैली में बुलाया गया है। अखिलेश ने कहा कि उन्हें न्योता मिल चुका है, वह जाएंगे। इस रैली में बसपा नेताओं को भी बुलाया गया है और वहमायावती भी जाएंगी। अखिलेश ने कहा कि इस रैली में ही भाजपा के खिलाफ 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार होगी। उन्होंने कहा कि यह रैली राजनीति की भी नई दिशा तय करेगी।सपा और बसपा की बढ़ती नजदीकियों और उनके गठबंधन की अटकलों के लेकर जब भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया से बात की गई तो नों ही पार्टियां विचारधारा हीन हैं। ये पार्टियां जनता का विश्वास जीतने में असमर्थ रही हैं जबकि भाजपा के पास मोदी और योगी के रूप में दो बड़े नेता हैं, जिनकी राजनीति बिल्कुल स्वच्छ है। ऐसे में अगर ये दोनों पार्टियां एक हो भी जाती हैं तो उससे भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
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