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June 1, 2017
रिपोर्ट- बिहार में भारतीय जनता पार्टी और उसके दूसरे सहयोगी दलों के नेताओं खास कर लोजपा के नेता रामविलास पासवान की बेचैनी समझ से परे है। प्रदेश के एनडीए नेता इसका अंदाजा लगा रहे हैं कि आखिर भाजपा और लोजपा के नेता नीतीश कुमार को साथ लाने के लिए क्यों इतने परेशान हैं? ध्यान रहे पिछले दिनों भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने कम से कम दो मौकों पर कहा कि अगर नीतीश कुमार राजद का साथ छोड़ते हैं तो भाजपा उनको समर्थन देने पर विचार करेगी।
जब सुशील मोदी भ्रष्टाचार को लेकर लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों पर हमले कर रहे थे, तब उन्होंने ईमानदारी की दुहाई देकर नीतीश कुमार से अलग होने की अपील की। उन्होंने एनडीए के समर्थन का संकेत दिया। हालांकि उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने इस पर यह कहते हुए पानी फेर दिया कि इसका फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करता है।
सुशील मोदी के अलावा दूसरे नेता रामविलास पासवान हैं, जो नीतीश कुमार को एनडीए में लाने के लिए बेचैन हो रहे हैं। उन्होंने खुल कर कहा कि नीतीश को अब लालू प्रसाद का साथ छोड़ कर एनडीए का सहयोगी बन जाना चाहिए। असल में इन दोनों नेताओं की बेचैनी के निजी कारण हैं। राज्य में नीतीश कुमार के साथ तालमेल खत्म होने के बाद से लगातार सुशील मोदी की ताकत में कमी आई है। गठबंधन में रहते हुए नीतीश उनकी ताकत का बड़ा स्रोत थे। उनके दम पर भाजपा में भी सुशील मोदी की बड़ी पूछ थी। लेकिन अलग होने और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का नेतृत्व बदलने के बाद उनकी पूछ घटी है।
सो, माना जा रहा है कि वे इस उम्मीद में हैं कि गठबंधन फिर से हुआ तो नीतीश उनको अपना उप मुख्यमंत्री बहाल करेंगे और फिर उनके पुराने दिन लौट आएंगे। दूसरी ओर रामविलास पासवान को अपने बेटे चिराग के करियर की चिंता है। उनको लग रहा है कि अगर राजद, जदयू और कांग्रेस का गठबंधन बना रहा तो अगला लोकसभा चुनाव बहुत मुश्किल होगा। वैसे भी चर्चा है कि अगले चुनाव में वे अपने बेटे को अपनी हाजीपुर सीट से लड़ाना चाहते हैं। अगर नीतीश और भाजपा का तालमेल हो जाता है तो उनके लिए लोकसभा की लड़ाई आसान हो जाएगी।
हालांकि भाजपा के दो दूसरे सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी इस आइडिया से बहुत खुश नहीं हैं। इसका कारण भी निजी है। केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा लगातार नीतीश से लड़ते रहे हैं और उनकी पार्टी में रहते हुए भी उनको चुनौती दी थी और राज्यसभा से इस्तीफा भी दिया था। उनको पता है कि अगर नीतीश भाजपा गठबंधन में शामिल होंगे तो उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की पूछ घटेगी। इसी तरह मांझी को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन बाद में बड़ी फजीहत के बाद उनको हटाया गया था। सो, मांझी को पता है कि नीतीश के आने के बाद उनकी पार्टी हाशिए में जाएगी।
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