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November 28, 2025
उदयपुर। शहर में साइबर अपराधियों ने एक सनसनीखेज धोखाधड़ी को अंजाम दिया, जिसमें एक सीनियर सिटीजन को 13 दिनों तक डिजिटल रूप से बंधक बनाकर नकली वीडियो कोर्ट, नकली जज, नकली वकील और फर्जी सीबीआई अधिकारियों का भय दिखाकर 33 लाख 60 हजार रुपए ठग लिए। बताया गया कि गत 12 नवंबर को पीड़ित के मोबाइल पर एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को ट्राई अधिकारी बताकर कहा कि उनके आधार से फर्जी सिम कार्ड जारी हुए हैं, जो बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़े हैं। इसके बाद उन्हें एक कथित “इमरजेंसी पोर्टल” पर वीडियो कॉल से जोड़ा गया, जहां पुलिस वर्दी में खड़ा व्यक्ति दिखाई दिया। ठगों ने खुद को ट्राई और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताते हुए आरोप लगाया कि उनका आधार 40 ट्रांजेक्शन और 2 करोड़ की अवैध मनी-लॉन्ड्रिंग में उपयोग हुआ है। दबाव बनाते हुए ठगों ने बुजुर्ग को सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कराने के बाद 17 घंटे तक लगातार खड़ा रखा और फोन को “सर्विलांस” पर बताया। जिन 13 दिनों तक बुजुर्ग डिजिटल गिरफ्तारी में रहा, उन्हें रोज 9.30 बजे नकली कोर्ट दिखाया जाता था। पीड़ित असली कोर्ट समझकर आदेश मानता रहा। इसके तहत पहले ऑनलाइन एफआईआर, फिर फर्जी अरेस्ट वारंट, फिर ऑनलाइन जमानत, फिर बॉण्ड भरवाना। वीडियो कॉल पर उसे नकली कोर्ट रूम, जज, वकील तक दिखाए गए। अंग्रेजी में एफिडेविट लिखवाया गया और कहा गया कि उन्हें 7 दिन का वर्चुअल रिमांड दिया है। ठगों ने उनके सभी खाते, शेयर और निवेश की जानकारी ले ली। 25 नवंबर को जब ठगों ने 30 लाख रुपए और जमा करने की मांग की, तब बुजुर्ग को शक हुआ। उन्होंने तुरंत एक परिचित से बात की और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पहुंचे। यहाँ से मामला आईजी तक पहुँचा और साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। साइबर पुलिस ने चेतावनी दी है कि कोई सरकारी एजेंसी कॉल/वीडियो कॉल पर जांच या गिरफ्तारी नहीं बताती। वीडियो कॉल पर दिखाए जाने वाले जज-पुलिस फर्जी होते हैं। किसी से भी बैंक, ओटीपी, पासबुक, निवेश विवरण न साझा करें। राष्ट्रीय सुरक्षा केस, फोन सर्विलांस, डिजिटल अरेस्ट, ये सब ठगी के हथकंडे हैं।
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