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September 14, 2025
जयपुर। राज्य स्तरीय हिंदी दिवस समारोह रविवार को एसएमएस चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में आयोजित हुआ, जिसमें उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिंदी केवल संवाद की भाषा नहीं, बल्कि भारतीयता का गौरव और हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने में हिंदी की अहम भूमिका रही है। उन्होंने आह्वान किया कि हिंदी बोलने में संकोच नहीं, बल्कि गर्व का अनुभव करना चाहिए और जीवन के हर कार्य में हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग होना चाहिए।
डॉ. बैरवा ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर हिंदी को राष्ट्र की एकता और संपर्क की भाषा मानते थे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वैश्विक मंचों पर हिंदी का प्रयोग कर इसे विश्व पटल पर नई पहचान दिला रहे हैं।
समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. बालेन्दु शर्मा दाधीच ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अनुवाद उपकरण, स्पीच-टू-टेक्स्ट और चैटबॉट्स जैसी तकनीकें हिंदी को और सशक्त बना रही हैं। एआई हिंदी को न सिर्फ भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मजबूत बना सकता है।
कार्मिक विभाग के शासन सचिव केके पाठक ने हिंदी की साहित्यिक परंपरा और वैज्ञानिक चिंतन पर जोर दिया, जबकि स्कूल शिक्षा, भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने राज्य सरकार द्वारा हिंदी प्रचार और पुस्तकालयों के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 264 पुस्तकालय भवनों का निर्माण, दृष्टिबाधित पाठकों के लिए विशेष अध्ययन कक्ष और 22 लाख से अधिक पुस्तकों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है।
समारोह में उपमुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने विभिन्न श्रेणियों में लेखकों को हिंदी सेवा पुरस्कार प्रदान किए। इनमें डॉ. कृष्ण कुमार कुमावत, डॉ. मूलचंद बोहरा, डॉ. अनुपम चतुर्वेदी, डॉ. दीप्ति चतुर्वेदी, प्रो. पूर्णेन्दु घोष, डॉ. हिमांशु भाटिया, डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, मनोज गट्टानी, डॉ. विजय विप्लवी और डॉ. कुंजन आचार्य शामिल हैं। इसके साथ ही 342 विद्यार्थियों, जिन्होंने हिंदी विषय में शत प्रतिशत अंक प्राप्त किए, उन्हें भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन द्वारा शिक्षा विभाग को 17 लाख से अधिक दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ लगाने पर प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। समारोह में राज्य परियोजना निदेशक अनुपमा जोरवाल, विद्यार्थी, लेखक, अभिभावक और गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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