Post Views 151
March 27, 2025
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं ज़ोरों पर हैं। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्ति की ओर है, और पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर नए नामों पर मंथन शुरू हो चुका है। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों, सामाजिक समीकरणों और संगठनात्मक ज़रूरतों को देखते हुए कई नाम प्रमुख दावेदारों के रूप में सामने आ रहे हैं।
सबसे मजबूत नामों में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को माना जा रहा है। वे ओबीसी वर्ग से आते हैं और राजस्थान के अलवर से सांसद हैं। पार्टी में वे 2010 से सक्रिय हैं और उन्होंने राष्ट्रीय सचिव, महासचिव जैसे पदों पर काम किया है। भूपेंद्र यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं और कई राज्यों के चुनावों में रणनीतिक रूप से सफल भूमिका निभा चुके हैं। उनकी प्रबंधन क्षमता और संगठन पर पकड़ उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती है।
वहीं संघ की ओर से केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का नाम भी प्रमुखता से सामने आ रहा है। यह चर्चा इसलिए अहम है क्योंकि भाजपा के इतिहास में दलित नेता लक्ष्मण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्प समय के लिए बने है। विवादित होने के कारण उन्हें हटाना पड़ा था। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अर्जुन मेघवाल का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिएसबसे आगे कर रहा है। वर्ष 2024 लोकसभा चुनावों में आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दों के चलते पार्टी को कुछ नुकसान झेलना पड़ा था। ऐसे में दलित चेहरा सामने लाकर भाजपा सामाजिक संतुलन साधना चाहती है।
इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान, सुनील बंसल, मनोहर लाल खट्टर और धर्मेंद्र प्रधान भी संभावित नामों की सूची में हैं। हालांकि, एक बड़ा तबका यह भी मान रहा है कि पार्टी इस बार दक्षिण भारत से किसी नए चेहरे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश देना चाहती है। दक्षिण भारत में पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, और इस दिशा में संगठनात्मक संतुलन साधने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, भूपेंद्र यादव को यदि अध्यक्ष बनाया गया तो वे पार्टी के भीतर संगठन और सरकार के बीच एक सेतु का काम कर सकते हैं। वहीं, मेघवाल की नियुक्ति से दलित समुदाय में बड़ा राजनीतिक संदेश जाएगा। अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ की सहमति के बाद ही सामने आएगा।
भाजपा का यह नेतृत्व परिवर्तन लोकसभा 2029 और आगामी विधानसभा चुनावों की दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। अब देखना यह है कि पार्टी नेतृत्व संगठनात्मक अनुभव, सामाजिक समीकरण या क्षेत्रीय संतुलन में से किस प्राथमिकता को आगे रखती है।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved