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August 17, 2024
पार्वती-काली सिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी-ईआरसीपी) को लेकर दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय की केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों की मौजूदगी में शुक्रवार को दिल्ली में मध्य प्रदेश-राजस्थान की बैठक हुई। इस बैठक में दोनों प्रदेशों की ओर से संयुक्त डीपीआर बनाने पर विचार किया गया। कि विवादित स्थिति को कोई स्पष्ट नहीं कर पा रहा हैयही कारण है कि अब परियोजना को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं लेकिन जवाब देने को कोई तैयार नहीं है।
पीकेसी-ईआरसीपी की दिल्ली में शुक्रवार की महत्वपूर्ण बैठक में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि मध्य प्रदेश की ओर से डीपीआर बना कर दी गई है या नहीं। इस बैठक में राजस्थान की ओर से जल संसाधन मंत्रालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार शामिल हुए। उन्होंने इस मामले में कुछ बोलने से इनकार कर दिया। अब यही कहा जा रहा है कि बातचीत सकारात्मक हुई है, लेकिन समझौते में क्या कुछ है यह बताने को कोई तैयार नहीं है।
पहले यह दावा किया जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शीघ्र ही पीकेसी-ईआरसीपी परियोजना का शिलान्यास कर देंगे। अब मौजूदा स्थिति में कोई भी बताने को तैयार नहीं है कि इस परियोजना में क्या कुछ है और राजस्थान को किस प्रकार से 21 जिलों को पेयजल और सिंचाई का पानी मिलेगा। जन संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत भी यही कहते नजर आ रहे हैं कि उन्हें अभी तकअधिकारियों ने इस बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं दिए ऐसे में वह स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बता सकते। कांग्रेस इस परियोजना को लेकर केवल बयानबाजी कर रही है। व्यापक पैमाने पर आंदोलन करने का कोई निर्णय कर पा रही है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा में इस परियोजना का जिक्र करते हुए कहा था कि उनके पास समझौते की कॉपी है और इसमें राजस्थान के साथ अहित हुआ है। लेकिन उन्होंने समझौते की कॉपी को विधानसभा में टेबल नहीं किया ऐसे में कहा जा सकता है कि उन्हें प्रमाणिकता के आधार पर समझौते की कॉपी नहीं मिली है। अब राजस्थान ने किस तरह की डीपीआर तैयार की है यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है नहीं मध्य प्रदेश की डीपीआर के बारे में पता लगा है ! चलो अब तो इंतजार करने की जरूरत हैक्या कुछ होगा वह आगामी समय में सामने आ पाएगा।यह जरूर कहा जा सकता है की डबल इंजन की सरकार क्या कुछ दे पाएगी यह सवालों के घेरे में उलझा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि यह लिंक परियोजना पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों के 13 जिलों में पेयजल और औद्योगिक जरूरतों के लिए पानी उपलब्ध कराने के अलावा दोनों राज्यों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (या इससे अधिक) (कुल 5.6 लाख हेक्टेयर या इससे अधिक) में सिंचाई सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव करती है। इसमें राज्यों के रास्ते में पड़ने वाले तालाबों की पूर्ति भी शामिल है। संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना चंबल बेसिन के उपलब्ध जल संसाधनों का किफायती और आर्थिक रूप से उपयोग करने में मदद करेगी। दोनों राज्यों से परामर्श के बाद लाभ के क्षेत्रों सहित संशोधित पीकेसी लिंक के विभिन्न पहलुओं को डीपीआर में रखा गया जाएगा।
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