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राष्ट्रीय न्यूज़: क्या कल्पित जी के आह्वान पर  विनेश फोगाट जी के लिए 50 किलो 100 ग्राम सोना इकट्ठा करना जरूरी है ?

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August 7, 2024

क्या कल्पित जी के आह्वान पर  विनेश फोगाट जी के लिए 50 किलो 100 ग्राम सोना इकट्ठा करना जरूरी है ?
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खिलाड़ी पूरा जोर लगा रहे हैं पर देश का नाम ऊंचा नहीं हो रहा है!
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वेद माथुर
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राजस्थान के जाने-माने कवि कृष्ण 'कल्पित' ने लोगों से अपील की है कि वे विनेश फोगाट को सोने से तोल दें। यानी कि 50 किलो 100 ग्राम सोना इकट्ठा करें।
कभी 'कल्पित' कहते हैं :मोती माणिक मे रोल देन्गे तुम्हेऔर कन्चन से तौल देन्गे तुम्हसारी दुनिया मे खुशबू फैलेगीहम हवाओ मे घोल देन्गे तुम्हे |सोने की चिड़िया वाले देश कोओलंपिक के दस ग्राम वाले स्वर्ण पदक के बदले स्वर्ण-शेरनी विनेश फोगाट का सोने से तौलकर सार्वजनिक सम्मान करना चाहिए |यह मेरा सभी देश-वासियो से प्रस्ताव है |
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वेद माथुर की क्षमा याचना सहित प्रतिक्रिया: 
सर,
केवल विचार के लिए एक सवाल आपके समक्ष रख रहा हूं। मैं अबोध और नादान हूं इसलिए मुझे यह भी नहीं पता कि मुझे पूछना चाहिए या नहीं ?
खेत में कार्य करने वाला किसान जो हमारे लिए अन्न उपजाता  है अथवा कारखाने में काम करने वाला मजदूर जो हमारे लिए बहुत कम मानदेय पर वस्तुओं का उत्पादन करता है,के बजाए किसी खिलाड़ी को स्वर्ण से तोलना क्यों जरूरी है? किसान और मजदूर फटेहाल और कभी-कभी भूखे रहकर भी अपनी मेहनत से देश के लाखों नेताओं,अफसरों,सरकारी बाबुओं,कवियों शेयर दलालों और अनुत्पादक कार्यों में लगे अरबों लोगों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेट पाल रहे हैं। इनमें से किसी को सोने में तोलने का विचार कविराज आपके मस्तिष्क में क्यों नहीं आया ?
मुझे यह भी समझ में नहीं आता कि विनेश फोगाट या विराट कोहली कैसे भारत का नाम ऊंचा करते हैं? जबकि कई यूरोपीय देश जहां के किसी खिलाड़ी ने इस तरह से देश का 'नाम ऊंचा' नहीं किया लेकिन वहां के लोग स्वर्ग की तरह आनंदपूर्वक रह रहे हैं और उनके देश का नाम भी वास्तव में बिना सफल खिलाड़ियों के काफी ऊंचा है।
मुझे लगता है कि एक वैज्ञानिक जिसके आविष्कार से कोई देश अरबों रुपए कमा कर अप्रत्यक्ष रूप से गरीबों का पेट पालता है, अथवा कोई मिस्त्री जो सर्दी गर्मी बरसात नीले गगन के तले प्रतिकूल स्थितियों में बड़े-बड़े भवनों का निर्माण करता है,का योगदान किसी महान संगीतकार जैसे ए आर रहमान, कवि अथवा खिलाड़ी जैसे विराट से लाख गुना अधिक है।
ऐसे ही मुझे लगता है कि समाज के लिए बड़े-बड़े अफसर (जो यदि महीना दो महीना अवकाश पर चले जाए तो किसी नागरिक के जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा) की तुलना में घरों में मामूली वेतन पर काम करने वाली वाले श्रमिकों और मोटरसाइकिल पर जोमैटो व अमेजॉन के लिए दौड़ते "लड़कों" से कम है, जो हमारे जीवन को सुगम और सुखद बना रहे हैं! 
कल्पित जी विनेश फोगाट के लिए 50 किलो 100 ग्राम सोना इकट्ठा करने की बात कर रहे हैं, लेकिन सरकारी नौकरी,मॉडलिंग और पुरस्कारों से उनकी नेटवर्थ कम से कम 20 से 30 करोड़ रुपए पहले ही होगी, ऐसे में क्या हम खेत में काम करने वाले  किसी किसान उगमाराम या मजदूरी करने वाले किसी मिस्त्री भेरूलाल की बेटी के विवाह में एक-एक तोला सोना उपहार में नहीं दे सकते?
एक बात और है मान लीजिए कल्पित जी के कहने पर नागरिकों ने 50 किलो 100 ग्राम सोना इकट्ठा कर दिया लेकिन तोलते समय उनका वजन बढ़ गया तो कौन जिम्मेदार होगा?
विनेश जी का वजन एक दिन पहले 52 किलो 700 ग्राम था लेकिन उन्होंने 24 घंटे भूखे रह कर तथा बाल कटवा कर वजन कम करने का प्रयास किया, जिसमें वह असफल रही! सवाल यह है कि 24 घंटे भूखे रहकर क्या फाइनल में वह ठीक से लड़ पाती या मूर्छित हो जाती?
विनेश जी की मजबूरी यह थी कि वह अपने से ज्यादा ताकतवर श्रेणी (60किलो से ज्यादा) में भाग लेती तो शायद क्वार्टर फाइनल तक भी नहीं पहुंच पाती। लेकिन विनेशजी ने देश का नाम ऊंचा करने के लिए हर संभव प्रयास किया।
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एक बार एक बड़े सरकारी बैंक ने देश का नाम ऊंचा करने वाले विराट कोहली को 5 - 10 करोड़  रुपए देकर  मॉडलिंग के लिए अनुबंधित किया ताकि बैंक का नाम "ऊंचा" हो सके लेकिन नाम ऊंचा नहीं हो सका! उल्टे नीरव मोदी और विजय माल्या अरबों रुपए लूट कर ले गए।
बाकी "कल्पित जी" आप विद्वान हैं और मैं अज्ञानी। इसलिए भूल चूक माफ करना और आप जो कहेंगे, उसी को मैं सत्य वचन मानकर जीवन में आगे बढूंगा।
चलते चलते : अपनी यूरोप यात्रा के दौरान मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वहां के नागरिक हमारे देश का नाम "ऊंचा" करने वाले मोहम्मद रफी, विराट कोहली, ए आर रहमान और भारत के कई महान कवियों और खिलाड़ियों को जानते तक नहीं हैं। 
वेद माथुर
8800445333


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