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September 28, 2023
29 सितंबर शुक्रवार प्रतिप्रदा से शुरू होंगे श्राद्ध पक्ष, 14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या तक जारी रहेगा श्राद्ध पक्ष
धार्मिक नगरी पुष्कर में अपने पूर्वजो की आत्मा की शान्ति के लिए उनके पिण्डदान करने की मान्यता सदियों से चली आई है । विशेषकर श्राद्ध पक्ष में पिण्डदान करने से व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त होता है इसका उल्लेख पद्मपुराण में भी किया गया है । भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का पुष्कर में श्राद्ध किया था । इसी मान्यता से प्रेरित होकर श्राद्ध पक्ष के पहले दिन प्रतिप्रदा तिथि के मौके पर देश के कोने -कोने से श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते है ।
श्रदालु अपने पूर्वजो की आत्मशांति के लिये पिंडदान और तर्पण करते है । वैसे तो धार्मिक नगरी पुष्कर में पूरे साल अलग-अलग तरह के धार्मिक आयोजन चलते रहते है लेकिन श्राद्ध पक्ष के दौरान घाटो पर एक अलग सा द्रश्य देखने मिलता है । हर तरफ पिंडो में अपने पूर्वजो की आत्मा को ढूंढते श्रद्धालुओ का सैलाब इस बात का प्रमाण है की आज के इस आधुनिक युग में भी लोग कही ना कही अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए है । पुरोहितो के अनुसार सारे तीर्थो में श्राद्ध करने के बाद भी पुष्कर में श्राद्ध करने से ही प्राणी की आत्मा को शांति मिलती है । पिण्डदान, तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए सुबह से ही सरोवर किनारे दूर -दराज के सैकड़ो श्रदालुओ का ताँता लगना शुरू हो जाता है । राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश , उड़ीसा , उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के श्रदालु श्राद पक्ष के दिनों में तीर्थ गुरु पुष्कर में पंडितो के आव्हान पर पितृ शान्ति के लिए पिण्डदान,तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान करते है । 29 सितंबर शुक्रवार प्रतिप्रदा से शुरू हुआ ये दौर 14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या तक जारी रहेगा ।
पितृ कार्य के लिए महत्वपूर्ण है पुष्कर
पुष्कर के पुरोहित सतीश चंद्र तिवाडी और हरिप्रसाद पाराशर बताते हैं कि पुष्कर सरोवर हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ में से एक है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार सतयुग में पुष्कर तीर्थ का उदय हुआ था । पद्म पुराण और महाभारत महाकाव्य में पुष्कर तीर्थ में पिंडदान तर्पण और श्राद्ध के महत्व को अंकित किया गया है । मान्यता है कि पुष्कर में सात पीडिया का श्रद्धा और पिंडदान किया जाता है । पद्म पुराण के अनुसार भगवान राम ने अपने पिता दशरथ को पुष्कर में ही पिंडदान दिया था । इन्हीं मान्यताओं के चलते देशभर से लाखों लोग आस्था का दामन था पुष्कर पहुंचते हैं और अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण पिंडदान करते हैं ।
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