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अजमेर न्यूज़: महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में पृथ्वीराज चौहान शोध पीठ के तत्वाधान में संगोष्ठी का आयोजन

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May 29, 2022

वक्ताओं ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के रण कौशल, शौर्य व राष्ट्रभक्ति, समर्पण पर दिया संबोधन

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की 856 वी जयंती के अवसर पर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में पृथ्वीराज चौहान शोध पीठ के तत्वाधान में शनिवार को संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें वक्ताओं ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के कुशल प्रशासक, रण कौशल, शौर्य और राष्ट्रभक्ति, समर्पण, संस्कृति के विषय में संबोधन देते हुए उनकी जीवनी से रूबरू कराया। मुख्य वक्ता के तौर पर राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष डॉक्टर शिव सिंह राठौड़ ने कहा कि जिस उम्र में युवा अपने कैरियर को लेकर चिंतित रहते हैं उसी उम्र में सम्राट पृथ्वीराज चौहान का नाम अपने शौर्य रण कौशल और आत्मविश्वास के दम पर इतिहास में अमर हो गया। युवाओं को पृथ्वीराज के कुशल प्रशासक, निर्णय लेने की क्षमता और लीडरशिप जैसे गुणों को सीखना चाहिए। राठौर ने कहा कि 11 वर्ष की अल्पायु में पृथ्वीराज चौहान ने पिता सोमेश्वर के निधन के पश्चात उन्होंने राजपाट संभाल लिया था। उनकी माता कर्पूरी देवी की सीख युद्ध कौशल और संस्कारों की दीक्षा ने उन्हें महान योद्धा बनाया और महज 26 वर्ष की आयु में पृथ्वीराज चौहान ने रण कौशल से दिल्ली से लेकर विदेश तक साम्राज्य स्थापित कर लिया। भारत में विदेशी आक्रांताओ ने आक्रमण कर लूटपाट की लेकिन वे यहां की संस्कृति सभ्यता और संस्कारों को ध्वस्त नहीं कर पाए। पृथ्वी राज चौहान शोध पीठ के निदेशक प्रो. शिवदयाल सिंह ने उनका स्वागत किया कार्यक्रम का संचालन भानु चावला ओर परिधि यादव ने किया।

भाजपा नेता ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि पृथ्वीराज चौहान का अजमेर में कोई किला जागीर या खेत नहीं फिर भी दुनिया राष्ट्रभक्ति समर्पण संस्कृति संरक्षक के रूप में उन्हें याद करती है।

राजस्व मंडल के अध्यक्ष राजेश्वर सिंह ने कहा कि भारतीय सनातन परंपरा में अपने पराए का भेद कभी नहीं रहा। हमारे ऐतिहासिक सामग्रियों, ग्रंथों, ज्ञान विज्ञान के साथ-साथ नए तथ्य संदेशवाहक भी पैदा हो रहे हैं इनका तथ्यात्मक शोध मूल्यांकन होना चाहिए। उत्तर भारत के लोग पूर्वोत्तर और पश्चिम के लोग दक्षिण के वीरों की लोक गाथाओं परंपराओं को जाने यह बहुत आवश्यक है।

एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ला ने कहा कि हार का इतिहास पराजय के भाव लाता है जीत का इतिहास आत्मविश्वास परिश्रम और कामयाबी की सीख देता है। अजयमेरु के भूगर्भ में छिपे पृथ्वीराज चौहान के विजेता वाले किस्से व गाथाओं पर विस्तृत शोध होना चाहिए।

संगोष्ठी के दौरान डॉ लक्ष्मी अय्यर, अंकित उपाध्याय, चंद्रप्रकाश, मोनिका राठौड़, कृतिका शर्मा, देवी सिंह, नीलिमा राठौर ने पृथ्वीराज चौहान के जीवन, संस्कृति, अभिलेख, युद्ध अभियान सहित अन्य विषयों पर पत्र वाचन किये।


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