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April 18, 2021
सच कहने का पास हुनर था,
इसीलिए नेज़े पर सर था।
चारों ओर था गहरा पानी,
जिन आँखों में मेरा घर था।
सारे रस्ते बन्द पड़े थे,
नेकी का भी अजब सफऱ था।
ध्यान में तेरे डूबा था जब,
जाने तेरा ध्यान किधर था।
आग लगी थी जंगल में और,
मैं भी पेड़ सा खड़ा उधर था।
हवा रास्ते बता रही थी,
तेरी दुआ का ये भी असर था।
डूब रहा था तू साहिल पर,
जिस लम्हा मैं बीच भंवर था।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
Satyam Diagnostic Centre
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