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March 16, 2021
भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में अनीता भदेल का हुआ अपमान और आई चप्पल निकालने तक की नौबत
मीडिया प्रबंधन के बीच वायरल हुआ वीडियो,महामंत्री के साथ मार पीट
पार्टी सो रही है और ज़िले में ईमानदार,समर्पित कार्यकर्ता कर रहे हैं ग़ुस्से का इज़हार
पलाड़ा की पटकी के बाद भी सुधर नहीं रही पार्टी की सेहत
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर जिले में भाजपा के प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं। दिग्गज समझे जाने वाले नेता, अपने से कमतर नेताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं। पार्टी के सिद्धांतों, संस्कारों का पाठ पढ़ाया जा रहा है ।अनुशासन और आचरणों पर बल दिया जा रहा है। महापुरुषों के बताए मार्ग बताए जा रहे हैं। अब यह पाठ कैसे पढ़ाए जा रहे हैं, इसकी बानगी भी देख लीजिए।
मेरे पास एक वीडियो है ,जिसमें भालिया मंडल का प्रशिक्षण शिविर चल रहा है ।कार्यकर्ता शिविर में भाग नहीं लेना चाहते । वे सभी खड़े होकर नारे लगा रहे हैं ।अपनी पार्टी के देहात अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा के विरुद्ध शर्मनाक हंगामा चल रहा है ।भूतडा द्वारा बनाए गए मंडल अध्यक्ष देवेंद्र सिंह के विरुद्ध लोग अपने गुस्से का इज़हार कर रहे हैं ।
अनुशासन, संस्कारों और नैतिकता का पढ़ाने के लिए मास्टरनी बन कर पूर्व मंत्री अनिता भदेल पहुँची हुई हैं।नारा लगाने वालों पर गुस्से में हैं।वे चिल्ला चिल्ला कर कह रही हैं कि उन्हें प्रशिक्षण देने का शौक नहीं ।उन्हें तो भेजा गया है इसलिए आई हैं।
तभी एक कार्यकर्ता अनिता भदेल की शान में कुछ ऐसी गुस्ताखी कर देता है कि पूछो मत ! इतना कड़वा बोल देता है कि अनिता भदेल पांव की चप्पल हाथ में लेने को चिल्ला पड़ती हैं। कहती हैं कि अगर मेरा नाम लिया तो चप्पल मारूंगी ।चप्पल से कार्यकर्ता का दिमाग़ दुरुस्त करने की बात वे मंच से चीख चीख कर कई कई बार कहती जाती हैं।
उनकी चप्पल मारने की बात का असर यह होता है कि कार्यकर्ताओं का गुस्सा कम होने की जगह बढ़ जाता है ।नारेबाज़ी में अनिता भदेल जी के प्रति ग़ुस्सा ज़ाहिर होने लगता है।
तभी मंडल के महामंत्री लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए आगे आने की हिम्मत करते हैं और गुस्साए कार्यकर्ता लगे हाथ उनको पीट देते हैं ।उनकी पिटाई हो रही होती है और मंच से अनिता भदेल चिल्लाती हैं। देखो वह क्या हो रहा है? लोग मारपीट कर रहे हैं
इसी दृश्य का अंतिम भाग कुर्सियों के गिरने पर ख़त्म होता है।भालिया गांव में हुआ यह प्रशिक्षण शिविर अनुशासनहीनता, संस्कार हीनता ,आचरण हीनता और सिद्धांत हीनता का पाठ पढ़ाकर बीच में ही समाप्त हो जाता है।
कैडर बेस पार्टी धरी रह जाती है। राजस्थान के प्रशिक्षण प्रभारी डॉ बी पी सारस्वत के पास भालिया मंडल की अनुशासनहीनता का कोई जवाब नहीं। छोटा सा मुंह बनाकर वे बस इतना कहते हैं कि जो हुआ अच्छा नहीं हुआ ।दुर्भाग्यपूर्ण है। पूर्व मंत्री अनिता भदेल के साथ कार्यकर्ताओं का व्यवहार अच्छा नहीं रहा ।
सारस्वत जी यह तो कहते हैं मगर इस बात का उनके पास कोई जवाब नहीं कि यदि किसी कार्यकर्ता ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया तो उन्होंने संयम क्यों नहीं बरता? वे तो अनुशासन और आचरण का पाठ पढ़ाने गई थीं। पूर्व मंत्री महोदय ने चप्पल निकालने की बात कहकर किस आचरण का पाठ लोगों को पढ़ाया
नादान सारस्वत जी ! कार्यकर्ता आचरणहीन हो सकते हैं। यह मानकर ही तो आप हर जिले में अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं।शिविर लगा रहे हैं। पाठ पढ़ाने वाले ही जब अनुशासनहीनता का उदाहरण पेश करने लगें तो कार्यकर्ताओं से क्या उम्मीद की जा सकती है
मुझे तो समझ में नहीं आ रहा मित्रों कि भाजपा का हाईकमान कहां सोया हुआ है पाठ पढ़ने वाले और पढ़ाने वाले चप्पलों को ब्रह्मास्त्र बनाकर प्रशिक्षण दे रहे हैं और हाईकमान के नेता मिलने वाली रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे!
जब पार्टी के विरुद्ध बाग़ी होकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को पार्टी का नेतृत्व सौंप दिया जाएगा तो उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है। वे तो पार्टी को इसी तरह निहाल करेगा। इसमें देवीशंकर भूतड़ा की कोई गलती नहीं है।
उन्होंने तो पार्टी के विरुद्ध बाग़ी होकर, चुनाव लड़कर ही बता दिया था कि पार्टी के सिद्धांतों का उनके जीवन में कोई स्थान नहीं। अनुशासनहीनता इनकी रगों में नहीं होती तो वे पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार शंकर सिंह रावत के विरुद्ध चुनाव क्यों लड़ते क्यों अपनी ज़मानत ज़प्त करवाते
अब जब पार्टी ने उन्हें बगावत का इनाम देते हुए अध्यक्ष बना कर सम्मानित कर दिया है तो पार्टी की जाज़म उठाने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं में रोष तो होगा ही ।
जब चोर उठाई गिरे और पुलिस की जांच में कलंकित आरोपी ही ईमानदार कार्यकर्ताओं को नैतिकता का पाठ पढ़ाएंगे तो असंतोष तो होगा ही ।
भूतड़ा ने भालिया मंडल का अध्यक्ष देवेंद्र सिंह को बनाया है ।वह ख़ुद बाग़ी होकर पार्टी के उम्मीदवार शंकर सिंह रावत के विरुद्ध खड़ा हो चुका है ।पूर्व देहात अध्यक्ष नवीन शर्मा को जो पार्टी के विरुद्ध चुनाव लड़कर अपनी औकात दिखा चुका है यदि पार्टी उसे फिर से सम्मानित करेगी तो कार्यकर्ताओं में उनके प्रति रोष तो होगा ही ।
देवीशंकर भूतड़ा अपनी मिट्टी से बनने वाले सभी लोगों को चुन चुन कर सम्मानित पद देंगे तो कार्यकर्ताओं की खरी खोटी तो उनको सुननी ही पड़ेगी।
भालिया मंडल के प्रशिक्षण शिविर में अनिता भदेल जैसी अनुभवी नेता को चप्पल उठाने की नौबत आ जाए तो समझ लिया जाना चाहिए कि आक्रोश का स्तर कितना ऊंचा है। सोचिए कि अगर देवीशंकर भूतड़ा इस शिविर में आ जाते तो क्या होता शायद अनीता भदेल के हाथों में चप्पल नहीं ,कार्यकर्ताओं के हाथों में जूते होते !
भूतड़ा भले ही अपनी नियुक्तियों को पार्टी की सहमति से हुई नियुक्ति कहते रहे , मगर यह सत्य है कि पार्टी को अंधेरे में रखकर भूतड़ा ने अपनी मंशा पूरी की है और उनके इस कृत्य की कीमत पार्टी को ही नहीं उनको भी चुकानी पड़ेगी।
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