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March 15, 2021
काला-पीला कुछ भी करके घबराते नहीं हैं भूतड़ा
मालिया मंडल के प्रशिक्षण शिविर में कार्यकताओं ने जूते मारो साले को जैसे ख़तरनाक़ नारे लगाए
राजस्थान प्रशिक्षण प्रभारी सारस्वत के सामने स्टेज से माइक छीन कर किया गया प्रदर्शन
पूर्व विधायक नवीन शर्मा के साथ सांसद चौधरी के सामने जो हुआ ,कहीं वो न हो जाए
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
कोरोना के कारण राजस्थान में लॉकडाउन लगाने लगाए जाने की एक फ़र्ज़ी न्यूज़ कल मेरे पास आई। पोस्ट नकली है यह बताने के लिए मैंने अपने मित्रों को वह पोस्ट भेजकर साफ़ लिखा कि घबराएं नहीं ! यह पोस्ट नकली है
असली लोग पोस्ट पढ़कर चुप बैठ गए मगर नक़ली लोगों ने उस पर मजेदार प्रतिक्रियाएं दीं। सबसे मज़ेदार प्रतिक्रिया मुझे मिली देहात भाजपा अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा की। उन्होंने मेरे यह लिखने पर की घबराएं नहीं ! कहा भूतड़ा कभी घबराता नहीं ।
मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु ओंकार सिंह लखावत के नाम पर बट्टा नहीं लगने दिया। निडर होकर वे राजनीति में डटे हुए हैं। भले ही उनकी राजनीति को देखकर लोग कह रहे हो कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते ।
ब्यावर में उन्होंने जो विधायक शंकर सिंह रावत के साथ किया वह अभूतपूर्व रहा है।जिस बंदे ने उनके विरुद्ध चुनाव लड़कर अपनी और पार्टी की इज़्ज़त मिट्टी में मिलाई, उसी को उन्होंने मंडल अध्यक्ष बना दिया है। अच्छी बात है कि वे कितने भी निम्न स्तर का काम करें , घबराते नहीं हैं
उन्होंने ख़ुद भी जब शंकर सिंह रावत के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था और पार्टी की बेइज़्ज़ती करवाई थी। अपनी ज़मानत जप्त करवा कर अपनी औकात का खोखलापन साबित कर दिया था ,तब भी वे नहीं घबराए थे।
बर्फ़ में लगी उनकी राजनीति को जिन लोगों ने ज़िन्दा किया उन्हीं को बर्फ़ में लगाने का इंतजाम करके भी वे घबरा नहीं रहे ।
अभी हाल ही में ब्यावर विधानसभा क्षेत्र के मालिया मंडल के प्रशिक्षण शिविर में भूतड़ा और नवनियुक्त मंडल अध्यक्ष देवेंद्र सिंह के ख़िलाफ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया। जूते मारे जाने तक के नारे लगाए ।
मेरे पास वह वीडियो क्लिप मौजूद है जिसमें नाराज़ कार्यकर्ता बुरी तरह गुस्से में हैं।प्रशिक्षण शिविरों के राजस्थान प्रभारी डॉ बी पी सारस्वत स्टेज पर निर्बोध बालक की तरह मजबूर खड़े नज़र आ रहे हैं और गुस्साए कार्यकर्ता मंच पर आकर माइक छीन कर जूते मारो साले को जैसे शर्मनाक़ नारे लगा रहे हैं।
वीडियो क्लिप देखकर लगा कि कार्यकर्ताओं का गुस्सा हाईकमान के प्रति भी कम नहीं था। पार्टी विरोधी फैसले लेने वाले भूतड़ा को पार्टी में वापस लेना जैसे आत्मघाती हो गया है ।भूतड़ा को पार्टी में लाने के लिए हाईकमान को राज़ी करने वाले नेताओं में से एक डॉक्टर बी पी सारस्वत जो पूर्व जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं इन दिनों ख़ुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। चेला गुरु बनता जा रहा है। विधायकों और दिग्गज नेताओं को अपने सामने कुछ भी नहीं धार रहा ।पार्टी विरोधी लोगों की फौज़ को सम्मानित करके कह रहा है कि वह घबराता नहीं।
यदि वह वास्तव में इतना ही बहादुर है तो मालिया मंडल के प्रशिक्षण शिविर में उसे जाना चाहिए था। दिखाना चाहिए था कि वह कितना बहादुर है मगर वह जानता था कि मालिया मंडल के कार्यकर्ताओं में गुस्सा भरा हुआ है और उसके साथ भी वही हो सकता है जो सांसद भागीरथ चौधरी की मौजूदगी में पूर्व विधायक नवीन शर्मा के साथ हुआ था।
कार्यकर्ताओं ने नवीन शर्मा को जिस तरह बेकाबू होकर पीटा था , उस घटना की पुनरावृति हो सकती थी। जिले भर के कार्यकर्ता अब भूतड़ा के प्रति विद्रोह के मूड में हैं। जगह-जगह उन्हें पद से हटाए जाने की मांग उठाई जाने लगी है ।
मालिया मंडल के कार्यकर्ताओं और लोकप्रिय नेताओं ने हाईकमान को पत्र लिखकर आगाह किया है कि यदि तत्काल भूतड़ा को हटाया नहीं गया तो पार्टी को आने वाले चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली पार्टी ने बाग़ी और दागी नेताओं को सर्वोच्च पद पर और वफ़ादारों को घर पर बैठा कर ,अपने काले भविष्य को निर्धारित कर दिया है ।
जिन प्रशिक्षण शिविरों में अनुशासन का पाठ पढ़ाया जा रहा है ,वहीं पार्टी के कार्यकर्ता गुस्से में आकर अनुशासन तोड़ रहे हैं ।उनके गुस्से पर गौर जरूर किया जाना चाहिए ।मज़ेदार बात यह है कि भूतड़ा के राजनीतिक गुरु लखावत ही पार्टी की प्रदेश भाजपा अनुशासन समिति के अध्यक्ष हैं। शायद यही वजह है कि उन्हें किसी का डर नहीं।
सरकारी ज़मीनों को बेचने के आरोपी नेता संपत साँखला प्रशिक्षण शिविरों में वक्ता बनकर युवा पीढ़ी को ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हैं। फ़र्ज़ी मार्क लिस्ट बनाकर चुनाव आयोग को बेवकूफ बनाने वाले नेताओं को भूतड़ा पीठ पर कंधे पर बैठाकर घुमा रहे हैं। यदि यही हाल चलता रहा, उनका विरोध इसी तरह होता रहा तो आने वाला समय पार्टी के लिए भी बुरा होगा ।भूतड़ा जी के लिए भी । लखावत जी चाह कर भी उनके हथेली नहीं लगा पाएंगे ।
कार्यकर्ताओं के गुस्से को टाला तो जा सकता है रद्द नहीं किया जा सकता ।भूतड़ा जी आज भले ही अपने ना घबराने की बात करते रहें मगर इतिहास गवाह है कि विद्रोह का सैलाब जब उमड़ता है ,अच्छे-अच्छे बाहुबलियों के पांव उखड़ जाते हैं ।गर्व तो रावण का भी नहीं रहा था भूतड़ा जी उनके आगे किस खेत की मूली हैं
अभी तो एक ही मंडल में प्रशिक्षण शिविर हुआ है ,जब मसूदा, भिनाय,केकड़ी और बिजयनगर में ऐसे शिविर लगेंगे तब क्या होगा न घबराने वाले भूतड़ा जी को अभी से अंदाज़ लगा लेना चाहिए।
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