For News (24x7) : 9829070307
RNI NO : RAJBIL/2013/50688
Visitors - 109184919
Horizon Hind facebook Horizon Hind Twitter Horizon Hind Youtube Horizon Hind Instagram Horizon Hind Linkedin
Breaking News
Ajmer Breaking News: अग्रसेन जयंती महोत्सव के दूसरे दिन महाराजा अग्रसेन क्रिकेट प्रतियोगिता व कैरम प्रतियोगिता का हुआ आयोजन |  Ajmer Breaking News: RTE दाखिला विवाद पर संयुक्त अभिभावक संघ का आरोप : अजमेर के निजी स्कूलों की मनमानी जारी |  Ajmer Breaking News: सरकार द्वारा घोषित लैटरल एंट्री के विरोध में राजस्थान मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन का धरना पांचवें दिन भी जारी,  |  Ajmer Breaking News: विधानसभा में लगवाए गए कैमरों को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के बयान से भाजपा हुई आक्रामक, |  Ajmer Breaking News: अजमेर के बोराज गांव में पैंथर न गाय के बच्चे पर किया हमला, रविवार रात जानवरो के बाड़े में घुसा पैंथर |  Ajmer Breaking News: सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस समारोह का आयोजन  |  Ajmer Breaking News: सदर कोतवाली थाना अंतर्गत चूड़ी बाजार में ज्वेलर्स की दुकान से 10 लाख रुपए कीमत का हार चुराने वाली बुर्कापोश दो महिलाएं औरंगाबाद महाराष्ट्र से गिरफ्तार, |  Ajmer Breaking News: बेटा, पोता, बहू सब से प्रताड़ित बुजुर्ग मां ने अजमेर जिला एसपी ओर कलेक्टर से लगाई फरियाद, |  Ajmer Breaking News: शिक्षा मंदिरों में आर्थिक शुचिता एवं पारदर्शिता अनिवार्य : माननीय राज्यपाल   |  Ajmer Breaking News: श्रद्धांजलि एवं समावेशी उत्सव: विशेष शिक्षा के पथप्रदर्शक को समर्पित कार्यक्रम | 

क़लमकार: गुरु गोविंद दोऊ खड़े, दोनों ही घबराय,

Post Views 11

March 1, 2021

बलिहारी शागिर्द की, शीशो दियो दिखाय

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, दोनों ही घबराय,



बलिहारी शागिर्द की, शीशो दियो दिखाय





तुग़लक कर रहे हैं गुरुओं के साथ खेल और गुरु पापी पेट के लिए बिके हुए हैं सस्ती व घटाई दरों पर, ..मासिक किश्तों में 




सुरेन्द्र चतुर्वेदी





शिक्षकों की रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी लगाने को लेकर मैंने कल जो ब्लॉग लिखा उस पर शिक्षा विभाग से जुड़े बहुत से कर्मचारियों ने मुझे साधुवाद दिया ।शिक्षक नेताओं ने मेरे ब्लॉग को सकारात्मक बताया।शायद उन्हें लगा होगा कि मेरे लिखने से उनकी ड्यूटी कैंसिल कर दी जाएगी ,मगर ऐसा तो नहीं हुआ ।वे आज भी स्टेशनों पर रात दिन 24 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं। महाराष्ट्र और केरल से आने वालों के चेहरों की शिनाख्त कर रहे हैं ।





लगता है शिक्षा विभाग पागल हो गया है ।निहत्थे और अकुशल गुरुओं को युद्ध के मैदान में तैनात कर रहा है।अतिरिक्त असावधानियों के चलते प्रशासन मानसिक रूप से दिवालिया नज़र आ रहा है ।प्रशासन की ये ग़लत फ़हमी भी बहुत जल्दी दूर हो जाएगी।





कोरोना ज़िद्दी बच्चा नहीं जिसे गुरुजी कान पकड़कर सुधार देंगे।बेचारे स्टेशन पर ही धरे रह जाएंगे ये बीएड धारी मास्टर लोग! कोरोना इनकी काया को निर्जीव घोषित करके ट्रेनों की तरह स्टेशन से आगे बढ़ जाएगा।





दरअसल राजस्थान का शिक्षा विभाग इन दिनों अपने अधिकारियों की वजह से तुगलकी दौर से गुज़र रहा है ।ये आधुनिक तुगलक पूरे राजस्थान के शिक्षा विभाग की 12 बजाने में बाज़ नहीं आ रहे।





शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली सदैव ही आश्चर्य और कौतूहल के घेरे में रही है। यहां मैं सन्देह शब्द का प्रयोग नहीं कर रहा हूँ क्योंकि ये मेरा विश्वास है कि शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी अन्य विभागों की तुलना में हमेशा ही ईमानदार छवि के रहे हैं।





......तो कहना यह था कि शिक्षा विभाग के कई आदेश अजीबोगरीब होते हैं ।इसका कारण क्या है? क्यों ऊलजलूल आदेश विभाग द्वारा जारी किए जाते हैं? मुझे नहीं पता, पर बात सच ही है।




विभाग के ताज़ातरीन दो आदेशों से मेरी बात को अच्छे तरीके से समझा जा सकता है।




इस माह की 8 फरवरी को शिक्षा विभाग के सर्वेसर्वा अधिकारी माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा तुग़लकी आदेश जारी किया गया।इसके तहत निर्देश प्रदान किये गए कि विभाग के किसी भी कार्मिक को स्थानांतरण होने पर यदि माननीय न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश जारी किया जाता है तो स्थगन आदेश की अनुपालना में सम्बंधित कार्मिक सीधे कार्यग्रहण नहीं कर सकता।उसे निदेशक महोदय द्वारा लिखित अनुमति लेकर ही कार्यग्रहण करना पड़ेगा।आदेश क्या था बुद्धि का दिवालियापन था। नादान अधिकारी न्यायधीश से बड़ा हो गया





देश का बच्चा बच्चा जानता है कि न्यायालय द्वारा जारी आदेश को प्रधानमंत्री भी मानने को बाध्य है तो फिर बेचारे निदेशक महोदय की हैसियत ही क्या




इस तरह का आदेश समझ से बाहर था।ख़ैर! इस आदेश का जो अंजाम होना चाहिए था वही हुआ।





इसी माह की 23 तारीख को प्रबुद्ध निदेशक महोदय द्वारा अपने ही आदेश की बेकद्री का एक और आदेश जारी हो गया।इस आदेश में तमाम कार्मिकों को जानकारी दी गयी कि 8 फरवरी के आदेश को तुरंत प्रभाव से ख़ारिज़ किया जाता है।यानी थूक कर....!!!





शिक्षा विभाग में चर्चा है कि कोर्ट की फटकार के बाद ही आदेश वापस लिया गया है।





ऐसे ही शिक्षा विभाग का एक और आदेश भी विभाग के मानसिक गंजेपन को दर्शाता है। इस आदेश में समस्त विद्यालयों को निर्देशित किया गया है कि गत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी विद्यार्थियों का वार्षिकोत्सव मनाया जाए, इसकी तिथि 20 फरवरी से 20 मार्च के मध्य रखी गयी है। आदेश में ही यह भी कहा गया है कि पूर्व छात्रों को भी वार्षिकोत्सव में भाग लेने हेतु निमन्त्रण देकर बुलाया जाए।




अब सहज ही कई प्रश्न एक साथ उभरकर सामने आते हैं। मसलन कोरोना काल में वार्षिकोत्सव मनाया जाना क्यों आवश्यक है




सामाजिक दूरी रखने की पालना कैसे होगी उत्सव की तैयारी की वजह से शिक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न होगी या नहीं




इसी तरह के कई और प्रश्न। यहां यह उल्लेख करना भी आवश्यक होगा कि विभाग द्वारा वार्षिकोत्सव हेतु आदर्श शालाओं को 10,000 रु राशि का बजट आवंटन भी किया जा रहा है। कोरोना काल के कारण आर्थिक रूप से कमजोर राज्य सरकार को इस तरह पैसे का अपव्यय करना कहां तक उचित है




एक तरफ तो कर्मचारियों की पिछले मार्च माह की आधी तन्ख्वाह मुख्यमंत्री ने हाल में ही रिलीज़ करके बजट का बहुत बड़ा हिस्सा ख़र्च कर दिया है ,दूसरी तरफ वार्षिकोत्सव के नाम पर पैसा पानी में बहाया जा रहा है।




मित्रों! तुग़लकी आदेश लगातार ज़ारी हो रहे हैं और बेचारे शिक्षकों को मजबूरी में मानने भी पड़ रहे हैं। मरता क्या नहीं करता?




मैंने कल के ब्लॉग में शिक्षकों के लिए न चाहते हुए भी बापडे शब्द का प्रयोग किया।उनको ग़रीब की जोरू जैसा बताया ,जिसे हर कोई भाभी कह कर दमित कुंठा निकाल लेता है।हो सकता है मेरे गुरुजनों को इन संबोधनों से ठेस भी लगी हो मगर बड़ी माज़रत के साथ कहना चाहूँगा कि ये सम्बोधन मेरे नहीं उन कमज़र्फ तुग़लकों के हैं जो गुरुओं के सच्चे स्वरूप को नहीं समझ पाते।




वैसे सच कहूं तो पापी पेट ने अपनी ज़रूरतों के लिए , गुरुओं को मास्टर बना दिया है ,और निकम्मे शिष्यों ने अधिकारी बन कर इन मास्टरों को सस्ती और मासिक किश्तों में बिका हुआ ग़ुलाम बना दिया है।




बलिहारी गुरु आपकी , शागिर्द दियो बताय..!!


© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved