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अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़: म्यांमार - आंग सान सू की पर अवैध रूप से संचार उपकरण आयात करने का आरोप

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February 4, 2021

15 फरवरी तक रहेंगी हिरासत में

सेना द्वारा तख्तापलट के दो दिन बाद म्यांमार पुलिस ने बेदखल हुईं लोकतंत्र समर्थक नेता आन सान सू की पर बुधवार को पहली बार औपचारिक आरोप मढ़े। इसके आधार पर उन्हें कम से कम 15 फरवरी तक बंदी बनाकर रखा जाएगा।






इन आरोपों में सू की के पास विदेशी किंतु अवैध वॉकी-टॉकी बरामद होना शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह बरामदगी उन्हें बंदी बनाए रखने के लिए प्रायोजित नजर आ रही है।







बता दें कि सेना ने सोमवार को तख्तापलट करके नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को गिरफ्तार कर लिया गया था। सेना के इस कदम का अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने क़ड़ा विरोध किया था। पुलिस ने अदालत को बताया कि राजधानी नेपिता में उनके घर की तलाशी के दौरान वॉकी-टॉकी रेडियो मिला।









पुलिस का आरोप है कि रेडियो को ना केवल अवैध रूप से आयात किया गया था बल्कि इसके इस्तेमाल के लिए अनुमति भी नहीं ली गई थी। पुलिस ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत अपदस्थ राष्ट्रपति विन म्यिंट के खिलाफ भी आरोप दायर किए हैं। इससे पहले नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने आरोप लगाया है कि देशभर में स्थित उसके ऑफिसों पर छापा मारा जा रहा है। 






सेना पिछले वर्ष हुए चुनावों की जांच कराने की योजना बना रही है। दरअसल, सेना शुरुआत से चुनावों में धांधली का आरोप लगाती रही है। इस संबंध में उसने चुनाव आयोग में शिकायत भी की थी, लेकिन आयोग ने किसी तरह की अनियमितता से इनकार कर दिया था।







चिकित्सकों ने लाल फीता बांधकर सेना के खिलाफ नारेबाजी भी की। हाल ही में गठित हुए म्यांमार नागरिक असहयोग आंदोलन ने एक बयान में कहा कि विरोध-प्रदर्शन में 70 अस्पतालों के डॉक्टरों और तीस कस्बों के मेडिकल विभागों ने हिस्सा लिया।






स्वास्थ्यकर्मियों ने सैन्य तानाशाही में काम करने से इनकार कर दिया है। यहां सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी हाथ पर लाल रिबन बांध कर विरोध करते नजर आए। जबकि यहां कोविड-19 का खतरा बना हुआ है, अब तक यहां कोरोना के 1.40 लाख मामले सामने आए हैं और तीन हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। 





 

दक्षिण-पूर्व एशिया में कोरोना से मरने वालों की यह सर्वाधिक संख्या है। लोगों ने कार के हार्न और बर्तन बजाकर भी तख्तापलट का विरोध किया। तख्तापलट का विरोध कर रहे समूह ने अपने एक बयान में कहा है कि सेना ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान कठिनाइयों का सामना कर रही एक कमजोर आबादी के ऊपर अपने हितों को थोपा है।






कोरोना वायरस से म्यांमार में अबतक 3,100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। समूह ने बयान में कहा, हम नाजायज सैन्य शासन के किसी भी आदेश को मानने से इनकार करते हैं। इससे पता चलता है कि सेना का हमारे गरीब मरीजों के प्रति कोई सम्मान नहीं है।






बता दें कि सेना ने सोमवार को सत्ता पर कब्जा कर लिया था। देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट सहित कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। साथ ही सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के लिए देश में एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया गया है।






बीते वर्ष नवंबर में म्यांमार में हुए आम चुनाव में आंग सान की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी। सेना ने धांधली के आरोप लगाकर नतीजों को मानने से इनकार कर दिया था।


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