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January 19, 2021
                            इन जज़्बों में क्या क्या कुछ,
और नग़मों में क्या कुछ।
मरहम ढूँढ रहे हैं अब,
इन ज़ख़्मों में क्या क्या कुछ।
पूछ भी लो बीनाई से,
है नज़रों में क्या क्या कुछ।
जानती है सब ख़ामोशी,
आवाज़ों में क्या क्या कुछ।
इश्क़ किया हो तो जानो,
दीवानों में क्या क्या कुछ।
कटवाओ सर फिर देखो,
ख़ुद्दारों में क्या क्या कुछ।
ग़ालिब ,मीर,ज़फ़र और दाग़,
इन ग़ज़लों में क्या क्या कुछ।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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