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January 2, 2021
रात रात मत जगा करो,
ख़्वाबों को मत गिना करो।
रहते हो दुनिया भर में,
ख़ुद में भी तो रहा करो।
कभी तो कोरे काग़ज़ पर,
नहीं लिखा वो पढा करो।
बिछड़ गया ईमान अगर,
फिर मिल जाए दुआ करो।
ख़यालात हैं क़ैद में जो,
ये पंछी हैं रिहा करो।
कहते हो गर ग़ज़लें भी,
दर्द का सजदा किया करो।
मुझको अदब सिखाओ मत,
जो भी हो तुम हुआ करो।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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