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December 28, 2020
पाकिस्तान की बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने रही मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की टोरंटो में सोमवार को हुई हत्या के बाद शनिवार को श्रद्धांजलि सभा हुई। पाकिस्तान में भी उनकी हत्या के विरोध में प्रदर्शन हुए, जिसमें करीमा को बलूच आजादी के संघर्ष की आत्मा बताया गया।
बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की जुल्म के खिलाफ लड़ने वाली करीमा के लिए टोरंटो के निकट हार्बरफ्रंट में हुई सभा में उनके परिजन और मित्र शामिल हुए। यहां उनके पति ह माल हैदर ने हत्या की निष्पक्ष जांच की मांग की।
उन्हें करीमा को निडर और महान नेता बताया, जिसने अपना जीवन बलूचिस्तान की आजादी के लिए कुर्बान किया। बलूच मानवाधिकार परिषद ने संयुक्त राष्ट्र संघ से हस्तक्षेप कर स्वतंत्र जांच करवाने की मांग की।
सोशल मीडिया पर भी 50 से अधिक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने करीमा की हत्या को चिंताजनक बताकर जांच की मांग की है। इसकी वजह है कि 23 दिसंबर को टोरंटो पुलिस ने करीमा की मौत को गैर-आपराधिक मौत करार दे दिया, जिस पर उनके परिजन और मित्र कड़ी आपत्ति कर रहे हैं।
पाकिस्तानी आतंकी निरोधक अदालत ने बलूचिस्तान के राष्ट्रवादी नेता हरबयार मर्री को 2018 के चीनी वाणिज्यिक दूतावास हमले के आरोप में पकड़ने के लिए पुलिस को इंटरपोल के पास जाने को कहा है। हरबयार मर्री पाकिस्तान को फौज द्वारा संचालित देश बताते हैं और अपने को पाकिस्तानी कहा जाना गाली के बराबर मानते हैं। वे पाकिस्तान छोड़कर लंदन में रहते हैं।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के डेरा गाजी खां में करीमा की हत्या के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में उन्हें बलूचिस्तान की आजादी के संघर्ष की आत्मा बताया गया। उनकी हत्या पर कहा गया कि बलूचिस्तान को आजादी दिलाने के लिए इस मिट्टी से हजारों करीमा निकलेंगी।
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