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December 23, 2020
धूप में तू क्या भटका होगा,
तेरे साथ तो साया होगा।
साथ में सबके धोका होगा,
कहाँ किसी ने सोचा होगा।
इश्क़ किया तब ख़बर कहाँ थी,
ख़ाली नयन मटक्का होगा।
जलती हुई बस्ती में यक़ीनन ,
घर मेरा भी चीख़ा होगा।
खामोशी थी भीगी भीगी,
कोई तो आख़िर रोया होगा।
यूँ तो वो भी क्यों होता चुप,
कुछ तो तू भी बोला होगा।
दर्द अगर होता तो ठहरता,
कोई चोर उचक्का होगा।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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