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November 25, 2020
एक समय महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने वैज्ञानिक सिद्धांतों को पूरी तरह मानव मस्तिष्क का मुक्त आविष्कार बताया था। लेकिन 1980 में आइंस्टीन के उलट नामी भौतिकविद स्टीफन हॉकिंग ने कहा कि भले ही सर्वतत्व यानी हर चीज का सिद्धांत (थ्योरी ऑफ एवरीथिंग) इंसान खोज लें लेकिन इन्हें परिष्कृत कंप्यूटर ही करेंगे।
जानकारों का कहना है कि भले ही थ्योरी ऑफ एवरीथिंग अभी दूर-दूर तक हमारे सामने न हो, पर कंप्यूटरों ने जिस तरह मानव जीवन के बड़े-बड़े कार्यों पर कब्जा जमाया है, उसके चलते वह दिन दूर नहीं जब इस दुनिया में आइंस्टीन या हॉकिंग सरीखे वैज्ञानिकों से आगे निकल जाएंगे।
इस दिशा में वैज्ञानिक ऐसी लर्निंग मशीनें बनाने में जुटे हैं जो किसी भौतिक वैज्ञानिक की तरह सोच कर बड़े सिद्धांत को जन्म दे सकती हैं। डीप माइंड अल्फागो जैसे कंप्यूटर प्रोग्राम इंसान को गो और शतरंज ऐसे खेलों में हराने के नए-नए तरीके खोजते रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी दिन यह लर्निंग मशीनें विशाल खगोलीय देखरेख से लेकर मूलभूत कणों की पहचान या फिर बाह्य सौरमंडल में अन्य गैलेक्सी तक पहुंचने के लिए वर्महोल की खोज जैसे काम भी कर सकते हैं।
जबरदस्त समाधान देने में सक्षम
प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि हम इन कंप्यूटरों के जरिए भौतिक के सभी प्रकार के नए नियमों की खोज की उम्मीद कर रहे हैं। इनके द्वारा भौतिकी के नियमों का पूर्ण आविष्कार हम पहले ही देख चुके हैं। डॉक्टर थेलर का कहना है कि अगर हम बहुत स्पष्ट लक्ष्य कंप्यूटर द्वारा समझी जाने वाली भाषा में परिभाषित कर दें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जबरदस्त समाधान दे सकती है।
वैज्ञानिक की तरह सोचने वाला कंप्यूटर
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में दो दर्जन वैज्ञानिकों ने शुरुआत कर दी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फंडामेंटल इंटरेक्शन के लिए नया संसार बनाया है। इस संस्थान के निदेशक डॉ. जेस थेलर का कहना है कि हमारा मकसद न्यूरल नेटवर्किंग के जरिए भौतिक वैज्ञानिक सरीखी मशीनें बनाना है। न्यूरल नेटवर्क मानव मस्तिष्क की तरह खुद सीखने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
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