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November 24, 2020
चीन इसी सप्ताह चांद पर एक मानव-रहित मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। 1970 के दशक के बाद यह किसी भी देश का चांद पर ऐसा पहला मिशन होगा जो चांद से पत्थर के टुकड़े पृथ्वी पर लाने की कोशिश करेगा। मिशन का नाम चांगइ के नाम पर रखा गया है, जिन्हें चीन में चांद की देवी माना जाता है।
इसका उद्देश्य है चांद से ऐसी सामग्री वापस पृथ्वी पर लाने का जिससे वैज्ञानिक उसके बनने के बारे में और जानकारी हासिल कर सकें। इस मिशन से चीन अंतरिक्ष से सैंपल धरती पर लाने की अपनी क्षमता का परीक्षण करना चाह रहा है।
अगर यह काम सफलतापूर्वक हो पाया तो फिर और मुश्किल मिशनों की तैयारी की जाएगी। अगर यह मिशन सफल रहा तो चीन चांद से सैंपल वापस लाने वाला तीसरा देश बन जाएगा। करीब दशकों पहले अमेरिका और सोवियत संघ यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं।
सोवियत संघ का लूना 2 मिशन 1959 में चांद की सतह से टकरा कर नष्ट हो गया था। उसके बाद जापान और भारत जैसे देश भी चांद पर मिशन भेज चुके हैं। अमेरिका का अपोलो चांद पर पहला मिशन था। इसके तहत 1969 से ले कर 1972 तक चांद पर छह उड़ानें भेजी और 12 अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारा गया था। चीन का नया मिशन दो किलो वजन के सैंपल वापस लाने की कोशिश करेगा। ये नमूने ओशियेनस प्रोसेलाराम नाम के एक ऐसे लावा के मैदान से लिया जाएगा जहां पहले कभी कोई भी मिशन नहीं गया।
इस मिशन से कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं जैसे चांद में अंदर की तरफ कब तक ज्वालामुखी सक्रिय थे और सूर्य की किरणों से जीवों को बचाने के लिए आवश्यक चांद की अपनी चुंबकीय क्षेत्र कब नष्ट हुए। यदि पूरी प्रक्रिया सफल रही तो सैंपलों को वापस लौटने वाले एक कैप्सूल में डाल कर पृथ्वी पर वापस भेज दिया जाएगा।
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