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November 22, 2020
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख और राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांग्ये पहली बार औपचारिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस पहुंचे। तिब्बती सरकार के किसी नेता का छह दशक में इस तरह का यह पहला ऐतिहासिक दौरा है। अमेरिका का यह कदम चीन से तनाव और बढ़ा सकता है। बीजिंग अमेरिका पर यह आरोप लगता रहा है कि वह क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रहा है।
यह जानकारी वाशिंगटन में तिब्बत के कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में दी गई। बताया गया कि डॉ. सांगे केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के ऐसे पहले अध्यक्ष हैं जिन्हें औपचारिक रूप से तिब्बती मुद्दों के लिए सहायक विदेश मंत्री और तिब्बत मामलों के विशेष समन्वयक रॉबर्ट डेस्ट्रो से मिलने के लिए विदेश मंत्रालय में आमंत्रित किया गया।
बता दें कि अमेरिकी सरकार द्वारा तिब्बती सरकार के निर्वासन को मान्यता नहीं देने के कारण पिछले छह दशकों से सीटीए प्रमुख को अमेरिका में एंट्री नहीं मिली थी। लेकिन हाल ही में अमेरिकी संसद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर तिब्बत की वास्तविक स्वायत्तता और 14वें दलाई लामा द्वारा वैश्विक शांति, सौहार्द और तालमेल के महत्व के लिए किए जा रहे कार्यों को मान्यता दी है।
चीन जता चुका है आपत्ति
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मंगलवार को बीजिंग में एक दैनिक ब्रीफिंग में कहा कि डेस्ट्रो ने ‘तिब्बत की आजादी का समर्थन नहीं करने और निर्वासन में इस सरकार को स्वीकार न करने पर अमेरिका की ओर से प्रतिबद्धता और नीतिगत रुख का उल्लंघन किया है।’ ऐसे में माना जा रहा है कि चीन का अमेरिका से तनाव और बढ़ना तय है।
कौन हैं लोबसांग सांग्ये ?
लोबसांग सांग्ये सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) के अध्यक्ष हैं। इन्होंने 2011 में ये पद संभाला था। पिछले करीब 10 साल से अमेरिकी अफसर उनसे गुप्त मुलाकातें करते रहे हैं, लेकिन इस बार अमेरिका ने चौंकाने वाला कदम उठाते हुए उनका सीधे व्हाइट हाउस में स्वागत किया। इससे पहले सांग्ये ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में तिब्बती मामलों के स्पेशल कोऑर्डिनेटर रॉबर्ट डेस्ट्रो से मुलाकात की। सीटीए के प्रवक्ता ने कहा कि ‘हमें खुशी है कि दो लोकतंत्र एक दूसरे को मान्यता दे रहे हैं। सीटीए और इसके नेता का व्हाइट हाउस में स्वागत अहम शुरुआत कही जा सकती है। इस असधारण मुलाकात के बाद संभावना है कि अमेरिकी अधिकारियों के साथ सीटीए को भागीदार बनाया जाएगा और आने वाले वर्षों में इसका चलन बढ़ेगा।‘ सीटीए का हेडक्वार्टर भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है।
तिब्बत इसलिए है विवाद की वजह
तिब्बत, अमेरिका और चीन के बीच विवाद की बड़ी वजह है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बीते जुलाई में चीन पर आरोप लगाया था कि वह तिब्बतियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। वाशिंगटन इस क्षेत्र की सार्थक स्वायत्तता का समर्थन करता है। हाल ही में अमेरिकी संसद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करते हुए तिब्बत की वास्तविक स्वायत्तता और 14वें दलाई लामा द्वारा वैश्विक शांति, सौहार्द और तालमेल के महत्व के लिए किए जा रहे कार्यों को मान्यता दी थी। चीन हमेशा से तिब्बत को अपना हिस्सा बताता रहा हैं। 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था। चीन इसे निर्वासित क्षेत्र बताता है।
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