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November 20, 2020
इथोपिया के उत्तरी राज्य तिगरे में लड़ाई लगातार तेज होती जा रही है। अब तक सैकड़ों सैनिक और अनगिनत संख्या में नागरिक वहां मारे जा चुके हैं। आशंका जताई जा रही है कि हिंसा की चपेट में पूरा देश आ सकता है। इसका असर आसपास के दूसरे देशों पर भी पड़ रहा है। सरकारी विरोधी लड़ाकों के दागे हुए रॉकेट पड़ोसी देश इट्रिया की राजधानी असमारा तक जाकर गिरे हैं।
आखिर इस युद्ध की वजह क्या है?
वैसे तो झड़पें इस साल के आरंभ से चल रही थीं, लेकिन पिछले चार नवंबर से युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। उस रोज इथोपिया के प्रधानमंत्री अबिय अहमद ने अपनी सेना को तिगरे क्षेत्र में कार्रवाई का आदेश दिया। उसके पहले तिगरे में सेना के एक शिविर पर हमला हुआ था। प्रधानमंत्री के सेना को दिए आदेश के बाद तिगरे क्षेत्र की मुख्य राजनीतिक पार्टी ने वहां के बलों को सेना की उत्तरी कमांड चौकी पर कब्जा कर लेने का आदेश दिया। स्थानीय बलों ने वहां सेना के उपकरण हथिया लिए और वहां तैनात सैनिकों को बंदी बना लिया।
तब से लगातार लड़ाई जारी है। अब यह पूरे गृह युद्ध का रूप ले चुकी है। सरकार का दावा है कि उसने पश्चिमी तिगरे क्षेत्र के कई शहरों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। तिगरे की पश्चिमी सीमा सूडान से मिलती है। इसीलिए ये इलाका अहम है। अगर यहां सरकार का नियंत्रण नहीं हो, तो सूडान से बागियों को हथियार और दूसरे चीजों की सप्लाई पहुंच सकती है। सरकार ने इथिपिया के अमहारा सीमाई क्षेत्र पर भी फिर से कब्जा पा लेने का दावा किया है।
लड़ाई की जड़ क्या है?
अबिय अहमद के सत्ता में आने के पहले इथोपिया पर 27 साल तक तिगरे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने शासन किया। हालांकि तिगरे क्षेत्र की आबादी पूरे देश की आबादी का लगभग छह फीसदी ही है, लेकिन उस इलाके की ताकतों का राष्ट्रीय राजनीति पर लंबे समय तक वर्चस्व रहा। लेकिन उनके शासनकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन की घटनाएं हुईं। तब सरकार विरोधियों को यातना दिए जाने के आरोप बड़े पैमाने पर लगे थे। इससे तिगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) की सरकार अलोकप्रिय हुई। इसी कारण अबिय अहमद की सरकार सत्ता में आई।
अबिय अहमद का कहना है कि टीपीएलएफ को सत्ता में भागीदारी देने की उन्होंने पूरी कोशिश की। उसे राष्ट्रीय संसद में स्पीकर का पद दिया गया। साथ ही कई मंत्री पद भी उसे मिले। लेकिन टीपीएलएफ इससे संतुष्ट नहीं हुआ। इसलिए दोनों पक्षों में तनाव बना रहा। टीपीएलएफ का आरोप था कि अबिय अहमद सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है और वह तय समय पर चुनाव नहीं करवा रही है।
इसलिए पिछले सितंबर में उसने अपनी तरफ से चुनाव करवाने का एलान कर दिया। सरकार ने तब हुए इस मतदान को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। लेकिन चुनाव के बाद टीपीएलएफ ने अबिय अहमद सरकार की सत्ता को मानने से इनकार कर दिया। पिछले महीने अबिय अहमद ने सेना की नॉदर्न कमांड के नए प्रमुख की नियुक्ति की। इसको लेकर जो विवाद भड़का, वह अब गृह युद्ध में तब्दील हो चुका है।
इथोपिया अफ्रीका का एक बड़ा देश है। इसकी राजधानी अदिस अबाबा में ही अफ्रीकी देशों के संगठन अफ्रीकन यूनियन का मुख्यालय है। आशंका यह है कि गृह युद्ध के कारण यहां से बड़ी संख्या में शरणार्थी भागकर दूसरे अफ्रीकी या यूरोपीय देशों में जा सकते हैं। इथोपिया का पड़ोसी देश इट्रिया से 1998 से साल 2000 तक युद्ध चला था, जिसमें तकरीबन एक लाख लोग मारे गए थे।
टीपीएलएफ का आरोप है कि इट्रिया की मौजूदा सरकार अबिय अहमद की सरकार का साथ दे रही है। इसलिए उसने इट्रिया पर भी रॉकेट दागे हैं। इस तरह इट्रिया के भी इस हिंसक विवाद में घिसट जाने का अंदेशा जताया गया है। इससे शरणार्थी समस्या और गहरा सकती है।
इथोपिया लंबे समय से अकाल और टिड्डियों के आक्रमण का शिकार रहा है। कोरोना महामारी ने उसकी अर्थव्यवस्था और तबाह कर दी है। इसी बीच ये गृह युद्ध शुरू हो गया है। इसके क्या नतीजे होंगे, फिलहाल विशेषज्ञ इसकी कल्पना को भी भयावह मान रहे हैं।
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