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November 17, 2020
एक ओर दुनिया लाखों लोगों की जान ले चुके कोरोना से जूझ रही है तो दूसरी और कई देशों में खसरा फिर से मुंह उठाने लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ताजा आंकड़ों में पता चला है कि दुनिया भर में पिछले इस बीमारी से सबसे ज्यादा 2.07 लाख लोगों की मौत हुई है। जिसकी बड़ी वजह वैक्सीन लगाने में ढिलाई मानी जा रही है।
2.07 लाख लोगों ने गंवाई पिछले साल जान
विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल कोरोना के चलते टीके लगाने में हुई। देरी से हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ और अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक, इस साल जिन 26 देशों ने कोरोना के कारण बीमारियों का टीकाकरण रोका था उनमें से आधे देशों में खसरा का प्रकोप फैल चुका है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल खसरा वैक्सीन पानी के कारण 9.4 करोड़ लोगों पर जोखिम मंडरा रहा है।
डब्ल्यूएचओ में वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार डॉ नताशा क्राउक्रॉफ्ट का कहना है कि बीते वर्षों में पर्याप्त वैक्सीन ने लगने से खसरा ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। खासतौर पर कोरोना को देखते हुए ज्यादा ढिलाई नहीं बरती जा सकती वरना परिणाम भयावह हो सकते हैं। लिहाजा खसरा को रोकने के लिए हमें अधिक संसाधनों और रचनात्मक तरीकों की जरूरत है।
सिर्फ नौ देशों में तीन चौथाई मरीज
2019 में 184 में से 9 देशों में ही खसरा के 73 फीसदी मरीज मिले हैं। इनमें मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो, जॉर्जिया, मेडागास्कर, उत्तरी मेसिडोनिया, समोआ और यूक्रेन जैसे देश शामिल हैं। अमेरिका जैसे विकसित देशों में खसरा से मौत भले ही न हुई हो लेकिन 1995 के बाद सबसे ज्यादा मरीज सामने आए हैं। जानकारों का कहना है कि इस बीमारी का प्रकोप रोकने के लिए 95 फीसदी आबादी को दो बार वैक्सीन लगना जरूरी है।
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