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November 14, 2020
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी का बहाना बनाकर कोई विकसित देश पर्यावरण को लेकर तय अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, विकसित देश महामारी का हवाला देकर न तो अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ा सकते हैं और न ही पर्यावरण सम्मेलनों को निरर्थक या कमजोर कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जी-77 देशों के विदेश मंत्रियों की 44वीं बैठक को संबोधित करते हुए तिरुमूर्ति ने कहा, महामारी ने विकासशील देशों द्वारा हासिल की गई दशकों की प्रगति को खतरे में डाल दिया है और बड़ी संख्या में लोग गरीबी में चले गए हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से बयान देते हुए तिरुमूर्ति ने कहा, कोविड-19 की वजह से अगर विकसित देश मदद रोकेंगे तो लाखों और लोग गरीबी के मुंह में धकेल दिए जाएंगे। ऐसे में जरूरी है कि विकसित देश पिछड़े देशों की मदद जारी रखें।
उन्होंने 2030 के सतत विकास के एजेंडे और पेरिस समझौते का जिक्र करते हुए कहा, इन प्रयासों की नींव को और मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 महामारी के चलते हुए नुकसान से उबरने के लिए विकासशील देशों के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
भारत की मदद दूसरे देशों के लिए कर्जों का बोझ नहीं
तिरुमूर्ति ने कहा, भारत की मदद दूसरे देशों के लिए कर्जों का बोझ नहीं है। यह बिना शर्तों के बिना होती है और ये अपने सहयोगियों की विकास प्राथमिकताओं के मुताबिक होती है। उन्होंने कहा, जी-77 देशों के रूप में हमें विकास के पथ पर वापसी सुनिश्चित करने के लिए भरपाई किए जाने, लचीला रवैया अपनाने और सुधार के पक्ष में अपनी सामूहिक आवाज उठाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, वसुधैव कुटुंबकम की भावना के मुताबिक भारत का नजरिया मानव केंद्रित होगा और वह सभी के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, भारत 150 से अधिक देशों को तत्काल स्वास्थ्य और चिकित्सा आपूर्ति में सहायता कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि भारत सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में अपनी उत्पादन और वितरण क्षमता पूरी मानवता को उपलब्ध कराएगा
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