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क़लमकार: बिजयनगर का सरकारी अस्पताल ही हरवाएगा निकाय चुनाव

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October 13, 2020

विधायक पारीक और अस्पताल की स्थिति एक जैसी

बिजयनगर का सरकारी अस्पताल ही हरवाएगा निकाय चुनाव
विधायक पारीक और अस्पताल की स्थिति एक जैसी
रेफ़रल बने अस्पताल के हाल मोर्चरी जैसे
                   सुरेन्द्र चतुर्वेदी
                     नसीराबाद के अस्पताल की बदहाली पर ब्लॉग लिखे तो बिजयनगर के बाशिंदों ने अपने सरकारी अस्पताल की खस्ता हालत के लिए मुझे लिखने को कहा। बिजयनगर  के अस्पताल को कल देखने गया तो वहां के हालात तो और भी खराब नज़र आए।
             विधायक राकेश पारीक जिनको शिकायत रहती है कि उन्हें अधिकारी नहीं पहचानते, बिजयनगर के लोगों की शिकायत है कि वे राकेश पारीक को ही नहीं पहचानते ।अस्पताल की बदहाली के लिए वे अपने विधायक को दोषी मानते हैं ।सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक होते हुए भी उन्होंने कभी अपने अस्पताल की सुधि नहीं ली। अस्पताल के लिए आवाज़ नहीं उठाई।
            यह माना कि वह सचिन पायलट के चरण कमल पूजते रहे। उनके बाड़े में बंद रहे मगर यदि वे चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा से पायलेट की जिद छोड़ कर बात करें तो मुझे नहीं लगता कि वह डॉ रघु शर्मा के माध्यम से बिजयनगर  अस्पताल को बदहाली से निज़ात ना दिला पाएं।
               आज अस्पताल की हालत यह है कि वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से गया गुज़रा होकर रह गया है। इस बार के निकाय चुनाव में यदि कांग्रेस हारी (हारना तय भी लग रहा है) तो उसका प्रमुख कारण यह अस्पताल ही होगा।
                     विधायक राकेश पारीक को तो शायद पता भी नहीं होगा कि बिजयनगर  नगर पालिका मुख्यालय का यह अस्पताल आसपास के 100 गांवों से जुड़ा है। सरकारी फाइलों में अस्पताल 100 बेड का है मगर मैंने जाकर देखा तो यहां 50 बेड भी व्यवस्थित नहीं । बाकी 50 बेड कहां गए इसका जवाब ना तो अस्पताल प्रबंधन के पास है ना सरकार के पास। विधायक के पास तो होगा ही क्या?
                 नसीराबाद की तरह यहां भी डॉक्टरों की संख्या ऊँट के मुँह में जीरा वो भी ज़हरीला है। फिजिशियन यहां लंबे समय से नहीं हैं। महिला रोग विशेषज्ञ भी यहां पता नहीं कब हुआ करती थी।  आज तो स्थिति ये है कि इस अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज़ डॉक्टर्स नहीं करते बल्कि उन्हें रैफर का पर्चा थमा कर के अस्पताल से चलता कर देते हैं। उन्हें साफ कह देते हैं कि जान बचानी है तो भीलवाड़ा अजमेर जाकर इलाज़ कराओ ।यहां हमारे वश की बात नहीं। हम कोई रोग विशेषज्ञ नहीं। हमने इस रोग की पढ़ाई नहीं की। न इन रोगों का इलाज़ करने के लिए हम प्रमाणित माने जाते हैं।
              उनकी बात सुनकर लगता है कि अफीम की खेती करने वालों से मेथी पालक उगाने  को कहा जा रहा है। एक समय था जब इस अस्पताल में महिला  विशेषज्ञ हुआ करती थीं। तब आसपास के गांवों की महिलाओं के हर माह 60 से अधिक प्रसव हुआ करते थे ।अब यहां प्रसव के लिए महिलाओं को भीलवाड़ा या अजमेर के जनाना अस्पताल भेजा जाता है।
                   सरकारी अस्पताल की इस मजबूरी का स्थानीय निजी अस्पताल जम कर लाभ उठा रहे हैं ।मोटी रकम देकर गरीब महिलाओं को अपना इलाज़ करवाना पड़ रहा है
                   फिजीशियन नहीं होने से सबसे ज्यादा समस्या हार्ट के मरीजों की है। विगत एक साल में यदि रिकॉर्ड खंगाला जाए तो 100 से अधिक लोगों की मौत रैफर होने के बाद अन्य शहरों को जाते हुए रास्ते में हुई ।
                  दुख की बात तो यह है कि इस अस्पताल में सरकार ने सोनोग्राफी मशीन की सुविधा उपलब्ध करा रखी है मगर स्टाफ़ नहीं होने से इस सुविधा का लाभ रोगी नहीं उठा पा रहे । डॉक्टर कमीशन खोरी की चपेट में आकर बाहर से सोनी सोनोग्राफी करवा रहे हैं।
                नसीराबाद की तरह यहां भी नाक कान गले का कोई डॉक्टर नहीं। एक साल पहले जब बिजयनगर की विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा हुआ करती थीं यहां इस अस्पताल में हर रोज़ 500 मरीजों का पंजीकरण होता था मगर अब यह नाम मात्र का रह गया है ।खांसी जुकाम तक के मरीजों को रेफर किया जा रहा है। डॉक्टर कोरोना महामारी के चलते मरीजों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। श्रीमती पलाड़ा के ज़माने में अस्पताल में ऑपरेशन भी होते थे। अन्य चिकित्सा लाभ भी मिलते थे।  सत्ता परिवर्तन के साथ ही क्रमोन्नत किए 75 बेड सिर्फ कागजों में रह गए हैं।
                 इस बारे में स्थानीय प्रभावशाली लोगों ने आवाज़ भी उठाई है । श्याम नागौरी ,चतर सिंह पीपाड़ा, बृजेश तिवारी ,संजय सांड, परमेंद्र सिंह, तरुण कच्छावा आदि ने प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया व चिकित्सा मंत्री डॉ शर्मा को पत्र लिखकर रिक्त पदों को भरने की मांग की है।
                 विधायक राकेश पारीक का मीडिया कर्मियों से कहना है कि वे सुविधाओं का विस्तार करवा रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की कार्रवाई चल रही है ।विधायक राकेश पारीक कहां जाकर, क्या कार्रवाई कर रहे हैं वही जाने मगर सितंबर 2019 से श्री गोपाल जोशी एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ मधु जोशी के बाद अब तक कोई विशेषज्ञ क्यों नहीं लगाया गया है,इस बात का जवाब पारीक के पास नहीं होगा
                 क्या राजस्थान में फिजीशियन, नाक, कान, गले के डॉक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ बचे ही नहीं हैं क्या सरकार के खातों में इन विभागों के डॉक्टरों की कमी आ गई हैयदि ऐसा है तो तत्काल इस तरफ कदम उठाए जाने चाहिए। यदि डॉक्टरों के उचित समायोजन से व्यवस्था हो सकती है तो वह भी किया जाना चाहिए ।
               बिजयनगर में निकाय चुनाव आने वाले हैं और मेरा दावा है कि कांग्रेस को फ़क़त अस्पताल के मुद्दे पर खामियाज़ा उठाना पड़ेगा। बिजयनगर की जनता में भयंकर रोष व्याप्त है ।विधायक राकेश पारीक के आश्वासनों का कोई नतीजा नहीं निकलने से लोगों को लगने लगा है कि उनका चुनाव ही गलत हो गया।
              हो सकता है मेरी इस बात से राकेश पारीक खिन्न हो जाएं मगर उनको हकीकत समझ कर तुरंत अपनी सरकार के आगे ज़िद करके बिजयनगर के अस्पताल को केकड़ी जैसा बनवाना चाहिए। जब वे सत्ता में रहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे तो बाहर आकर क्या करेंगे। ये सवाल मैं नहीं जनता उनसे पूछ रही है।


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