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क़लमकार: ज़िला भाजपा को ख़तरे में डाल रहे हैं देवी शंकर भूतड़ा

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October 12, 2020

दागियों और बाग़ियों की टीम बना कर लिया दिग्गज़ों से पंगा

ज़िला भाजपा को ख़तरे में डाल रहे हैं देवी शंकर भूतड़ा
दागियों और बाग़ियों की टीम बना कर लिया दिग्गज़ों से पंगा
विरोध में उतरा पूरा ज़िला: गद्दी और भाजपा में बदलाव तय
                          सुरेन्द्र चतुर्वेदी
               भाजपा देहात अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा की गद्दी पर सूर्य ग्रहण लग चुका है और अब उनके विरुद्ध भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने भी मोर्चा खोल दिया है। ज़िले के क़द्दावर नेताओं को भाजपा कार्यकर्ताओं का भारी समर्थन मिल रहा है और विरोध के स्वर ऊपर से नीचे तक कोरोना संक्रमण  की तरह फैलते जा रहे हैं ।विरोध के वायरस का असर यह है कि खुद देवीशंकर भूतड़ा अपने आप को पॉजिटिव और असहाय महसूस कर रहे हैं ।
                    भाजपा में "भूतड़ा विरोधी कोरोना" उनके द्वारा बनाई गई दागियों और बागियों की टीम को लेकर फैला है ।वे स्वयं भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण भाजपा से निष्कासित कर दिए गए थे ।
               उनके बारे में ब्यावर के एक वरिष्ठ पत्रकार ने जानकारी दी कि वे जिस पेड़ पर शरणार्थी बनकर बैठते हैं उसी को काटने में लग जाते हैं। यह उनका इतिहास रहा है। जब वे भाजपा में आए थे उन्हें स्वर्गीय उगमराज जी मेहता ने सबसे पहले सम्मान दिलवाया था ।उनकी ही बदौलत वे राजनीति में आए मगर पूरा ब्यावर जानता है कि उन्होंने श्री मेहता के साथ में क्या व्यवहार किया ।
              इसके अलावा शहर में आधा दर्जन ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपने कंधे पर भूतड़ा को बैठाया और उनका क़द ऊंचा किया। पर विधायक बनने के बाद उन्होंने अपने ही लोगों की राजनीतिक गर्दन उतार दीं।
                         ब्यावर की राजनीति में जैसे ही शंकर सिंह रावत ने अपना परचम लहराया , भूतड़ा ने अपने लोगों को उनके विरोध में संगठित करना शुरू कर दिया ।नतीजा यह हुआ कि उन्हें चुनाव हराने के लिए वे अपनी पार्टी के साथ धोखा कर पार्टी ही छोड़ भागे। वह पार्टी जिसने उन्हें नाम और इज्जत बख्शी!!  एक मामूली से एलआईसी एजेंट को विधायक तक बना दिया !! उसी पार्टी को उन्होंने पैरों की जूती बना कर छोड़ दिया ! चुनावों में पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी श्री शंकर सिंह रावत का जिस स्तर पर जाकर उन्होंने विरोध किया वह ब्यावर का बच्चा-बच्चा जानता है ।
                देवीशंकर भूतड़ा जब रावत के विरुद्ध बागी होकर चुनाव लड़ रहे थे तब वे स्वयं भी जानते थे कि उनकी राजनीतिक औक़ात सिर्फ़ पार्टी की वजह से है ।पार्टी के बिना उनका कोई जनाधार नहीं ! ना उनके पास जातीय समीकरण है ! यही वजह हुई कि रावत ने उन्हें बुरी तरह दिन में तारे दिखा दिए ।वह मात्र 6 हज़ार वोटों तक सिमट गए ।इतने वोट तो एक पार्षद ही ले आता है। पार्टी ने जब उन्हें बाग़ी होने की सज़ा सुनाई और 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया तो उनकी नेता गिरी बर्फ में लग गई। उनका कोई नामलेवा नही बचा। अब उनके मन में उन राजनेताओं के प्रति नफ़रत का ज़हर घुल गया जिन्होंने उन्हें टिकट नहीं दिलवाई। अभी भी वह ज़हर शायद उनके ज़हन में है। पार्टी में पुनः आने के बाद यह जहर और अधिक प्रभावशाली होता जा रहा है। जिन राजनेताओं के उन्होंने पुतले जलाए , जूते चप्पलों से पुतलों की सेवाएं करवाईं , मन की भड़ास निकाली ,अभी भी वे नेता पार्टी में मौजूद हैं। शायद उनका दिल बड़ा है तभी उन्होंने भूतड़ा की बदगुमानी और बदतमीज़ी को माफ कर दिया।
                   बर्फ में लगे भूतड़ा को पार्टी में लाने के लिए.... फिर से उन्हें दूसरी पारी खेलने के लिए पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने राजनीतिक संरक्षण दिया । भूतड़ा के राजनीतिक गुरु लखावत जी ने पूर्व देहात जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो भगवती प्रसाद सारस्वत को कॉन्फिडेंस में लेकर प्रदेश स्तर के दिग्गज नेताओं को अपनी जुबान पर भूतड़ा को बहाल करवाया । पिछले निकाय चुनाव में टिकट देने के लिए उन पर यकीन तक किया। आज स्थिति यह है कि भूतड़ा ने प्रो सारस्वत के सम्मान में ही गिरावट ला दी है और वे भी दबी जुबान से अब भूतड़ा के साथ नहीं हैं।
              लोगों का कहना है कि ब्यावर राजसमंद संसदीय क्षेत्र में आता है फिर भी सारस्वत जी ने इस तथ्य को नज़र अंदाज़ कर ना जाने क्यों भूतड़ा को अजमेर देहात की बागडोर थमवाई, और अब वे जिस तरह दागियों और बागियों को आगे लाकर पार्टी की छवि खराब कर रहे हैं ,ये तो पार्टी के लिए बिल्कुल ठीक नहीं।
                 अब डॉक्टर सारस्वत के अलावा जिले के कई विधायक , वर्तमान सांसद ,कई दिग्गज और शक्तिशाली नेता ,मंडल अध्यक्ष व पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं ने लामबंद होना शुरू कर दिया है ।
               दागियों में बागियों के  सरताज़ बने भूतड़ा की सियासत अब ख़तरे में है। मेरे सीधे सपाट ब्लॉग लिखने के बाद परसों उनका फोन मेरे पास आया। उन्होंने अपना पक्ष रखा । सफाई दी। दलील दी कि वे मसूदा से चुनाव लड़ने की बात तो दूर कहीं से भी चुनाव लड़ने की दावेदारी कभी नहीं करेंगे।
                    भूतड़ा ने जो कुछ कहा उस पर मुझे अब यकीन नहीं। ब्यावर के ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप जिनमें उनके विरुद्ध मेरा ब्लॉग लोगों ने शेयर किए उसे भूतडा जी ने लेफ्ट कर दिया ।यह मैं पिछले दिनों से नोट कर रहा हूं ।
                   मेरा तो उनसे कहना है कि वह व्हाट्सएप ग्रुप लेफ्ट नहीं करें अपना पद ही लेफ्ट कर दें ।यही राइट होगा। वैसे भी पूरे जिले में जिस तरह उनका विरोध चल रहा है लगता नहीं कि वे अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे। कार्यकर्ता और नेता उनसे गुस्सा खाए हुए हैं । ऐसे में भूतड़ा जी आप से मेरा आग्रह है कि या तो आप अपने विरोधियों के गुस्से को शांत करने के लिए विशेष अभियान छेड़े !! जिन लोगों की वजह से पार्टी की छवि खराब हो रही है उनसे दूरियां बनाएं!!  उन्हें पद से हटाए !! यदि तत्काल इस दिशा में उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया तो कई इच्छाधारी उनको डसे बिना मानेंगे नहीं ।
                 मेरे इस ब्लॉग को भी आप अपनी सकारात्मक इंद्रियों से महसूस करें! राजनीति में आलोचना का बहुत बड़ा महत्व होता है ! मेरे दिल में भूतड़ा जी आपके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। मैं चाहता हूं कि आपकी संप्रभुता बनी रहे मगर आप अपनी गतिविधियों पर नियंत्रण जरूर रखें ! विरोध को दबाने की जगह उसे शांत करने की दिशा में पहल करें!


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