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October 6, 2020
अजमेर में कोरोना पर भारी पड़ा बलात्कार: काँग्रेस और भाजपा दोनों ने किया विरोध व्यक्त
कांग्रेस को हाथरस में तो भाजपा को राजस्थान के बलात्कार से हुआ दर्द
धारा 144 तोड़ी गई, डिस्टेंसिग की उड़ी धज़्ज़ियाँ, बिना मास्क भी आए लोग
नसीराबाद के अस्पताल में फिर आक्सीजन नहीं मिली। फिर मर गया मरीज़
स्वाद ख़राब हो जाएगा ब्लॉग पढ़ कर
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर में कोरोना पर कल बलात्कार भारी पड़ गया। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने कोरोना संक्रमण को दिन में तारे दिखा दिए। दोनों ही पार्टियों ने अपने -अपने तरीके से धारा 144 के हाथ पैर तोड़े। वह भी जिला और पुलिस प्रशासन के सामने। कोरोना के लिए दोनों ही पार्टियों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गईं। बिना मास्क के प्रदर्शन हुए ।कुछ नेतागण बाहर से भले ही सेनेटिज़्ड होकर नहीं आए हों मगर अंदर से सैनिटाइज हो कर जरूर आए। मुंह से साफ सैनिटाइजर की ख़ुशबू (बदबू )आ रही थी ।
अजमेर में कोरोना को लेकर अब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक तराजू में बैठ गए हैं ।ठीक वैसे ही जैसे बलात्कार को लेकर उनकी राय एक जैसी है ।दोनों ही पार्टियों की नाराज़गी बलात्कार से है ।फ़र्क़ इतना है कि कांग्रेस को हाथरस में हुए बलात्कार से दर्द हो रहा है है तो भाजपा को राजस्थान में हो रहे बलात्कारों से। बलात्कार में जितना कष्ट पीड़ितों को होता है ठीक उतना ही दर्द हो तो ठीक है मगर अजमेर के नेताओं में यह दर्द शायद उनसे कहीं ज्यादा महसूस किया जा रहा है ।इसका श्रेय उनकी अतिरिक्त संवेदना को जाता है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं को बलात्कार से होनेवाले कष्टों का भली-भांति ज्ञान है। इसके लिए मैं दोनों पार्टियों के नेताओं को हृदय से नमन करता हूं।
ख़ास तौर से मैं नमन करता हूं कांग्रेस के उस महान नेता को जिस पर बलात्कार किए जाने का आरोप है और वह भी बलात्कार विरोधी प्रदर्शन में मुख्य भूमिका निभाता रहा । उसका विरोध यह प्रदर्शित करता है कि वह मूल रूप के बलात्कार को समाज के लिए घातक समझता है ।उसने बलात्कार नहीं किया था। उस पर जो बलात्कार का महिला ने झूठा आरोप लगाया वह अदालत में चल रहा है और मुझे यकीन है कि नेताजी के हक़ में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ।दूध फटने का गम उसे सताता है जिसे रसगुल्ले बनाना नहीं आता है ।मामला दूध का है। इसलिए वह पवित्र ही होगा ।
प्रदेश प्रवक्ता विधायक अनिता भदेल के हवाले से अखबार में पढ़ा की धारा 144 जानबूझकर तोड़ी गई । बलात्कार के विरोध में हल्ला बोल घोषणा के साथ धारा 144 हड्डियां तोड़ी गईं। उसका कारण भदेल बहन ने बताया ।उन्होंने कहा कि आज सरकार को जगाने के लिए भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी धारा 144 तोड़ रहे हैं। क्योंकि यह जो आक्रोश है यह जनता का आक्रोश है और कानून तोड़कर इस आक्रोश को जनता सरकार तक पहुंचा रही है ।
पढ़कर आपको अजीब लगे मगर आपके अजीब लगने से अजमेर में कुछ होता जाता तो है नहीं। आक्रोश सरकार तक पहुंचाने के लिए यदि धाराएं तोड़ने का फैशन चल निकला तो संविधान का क्या होगा कानून की ताज़राते हिंद का क्या होगा यह बात क्या अनिता भदेल नहीं जानती हैं
तब तो आक्रोश सरकार तक पहुंचाने के लिए डूंगरपुर में जो उपद्रव हुआ वह भी जायज़ ही माना जाना चाहिए ।वहां धारा तोड़ी जाएं तो अपराध और यहां टूटें तो आक्रोश का इजहार। यह कैसे हो सकता है
वैसे एक बात मैं अनिता भदेल जी , बाहुबली देवनानी जी और प्रिय लगने वाले हाड़ा जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या बलात्कार जैसा शब्द धारा 377 टूटने से पैदा नहीं होता है क्या कोई भी अपराध धारा के टूटने से रिश्ता नहीं रखता मेरे ख़याल से धाराओं के टूटने से अपराध कारित होता है और यदि अपराध होता है तो उसकी सजा भी मुक़र्रर होनी चाहिए!! चाहे वह बलात्कार की धारा टूटने से पैदा हो चाहे धारा 144 टूटने से!!
किसी के यहां बिजली का बिल ग़लत आया ।उसका ग़ुस्सा जायज़ होगा। वह भी आक्रोश में आ जाएगा। यदि इस आक्रोश को सरकार तक पहुंचाने के लिए वह भी किसी भारतीय संविधान की धारा तोड़ दे तो क्या भदेल जी आप उसे उचित मानेगी
मैं भी विमूड हूँ।पागल भी हो सकता हूँ। भदेल बहन जी शायद अपनी जगह सही हों!! हाथरस और राजस्थान के बलात्कारों में क्या पता कोई विशेष अंतर हो ! हाथरस के बलात्कार में कांग्रेस को ज्यादा दर्द महसूस हो रहा हो और राजस्थान में होने वाले बलात्कारों से भाजपा के नेताओं को!
दौराई गाँव तो अजमेर के पास में ही है ।वहां एक विवाहिता से सामूहिक बलात्कार हो गया। क्या भाजपा की कोई महिला नेता एक बार भी उस महिला का हाल चाल पूछने गई अनीता जी आप तो गई ही होंगीमेरी जानकारी में शायद न हो, मगर हल्ला प्रदर्शन में आप का दर्द धारा 144 तोड़ने में खुलकर सक्रिय हुआ। कोई कांग्रेसी नेता भी दौराई नहीं गया।उनको भी हाथरस से कम कुछ दिखाई नहीं दे रहा।
दोस्तों!! दरअसल हमारे सोच में दर्द नहीं राजनीति है।
नसीराबाद के सरकारी अस्पताल में कल राजकुमार जैन नामक व्यक्ति की फिर ऑक्सीजन के अभाव में मृत्यु हो गई ।कांग्रेस या भाजपा का कोई नेता नसीराबाद में अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए घर से बाहर नहीं आया ! पत्रकार अतुल सेठी ऑक्सीजन के अभाव में नसीराबाद के डॉक्टरों द्वारा मार दिया गया मगर किसी नेता में आक्रोश नहीं उठा!! कोई धारा नहीं टूटी। असलियत तो ये है कि हमें आक्रोश व्यक्त करने के मुद्दे पार्टियों के हाईकमान से मिलते हैं!! ऊपर से नीचे आता है हमारा आक्रोश!! यदि ऊपर से निर्देश आ जाएं कि बलात्कार को लेकर ज्यादा हो हल्ला नहीं करना है तो किसी की क्या मज़ाल कि कोई एक शब्द भी निकालें !! सारे आक्रोश आकाओं द्वारा निर्मित होते हैं ।ऊपर से नीचे की तरफ आते हैं ।अभी दोनों ही पार्टियों के नेताओं को ऊपर से निर्देश दिया गया है कि वे बलात्कार के लिए हल्ला मचाएं। बेचारे मचा भी रहे हैं।
काश!! कोरोना से बचाव के मुद्दे पर कोई हल्ला बोले।
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