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October 4, 2020
अतुल सेठी की मौत पर मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री करेंगे कार्यवाही
इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट ने मुख्यमंत्री से मांगा समय
आह भी भरने लगे हैं भेड़िए,वाह भी करने लगे हैं भेड़िए: नसीबाद अस्पताल के बेवकूफ़ों ने बनाई जांच समिति
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
एक वरिष्ठ और जागरूक पत्रकार मात्र कुछ घंटों में अव्यवस्थाओं के चलते मौत के घाट उतार दिया जाता है और मौत के जिम्मेदार लोग ख़ुद अदालत लगाकर तफ्तीश करने बैठ जाते हैं ।
नसीराबाद के सरकारी अस्पताल में नामाकूल डॉक्टर यही कर रहे हैं। पत्रकार अतुल सेठी की मौत (परिस्थिति जन्य हत्या) का पर्दाफाश करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने पत्रकार सेठी के परिजनों को जांच के लिए सबूत सहित पेश होने का फ़रमान सुनाया है।
यह सुनकर मेरे मुंह से उनके प्रति वह गाली निकल गई जिसके संबोधन से मां जैसा पवित्र रिश्ता मैला हो जाता है।
नसीराबाद के होनहार पत्रकार अतुल सेठी की मृत्यु विगत दिनों अस्पताल प्रशासन की बेवकूफी से हो गई ।गैस का सिलेंडर जो किसी भी अस्पताल की पहली ज़रूरत होता है, अतुल सेठी को उस समय उपलब्ध नहीं हुआ जब वे मौत को हराने के लिए बची हुई सांसो को समेट रहे थे। उनके जिस्म को सांसो की ज़रूरत थी और अस्पताल का भगवान बना डॉक्टर गॉड ऑक्सीजन सिलेंडर का रोना रो रहा था ।
स्टोर में गैस का सिलेंडर उपलब्ध था मगर स्टोरकीपर बिना मुख्यालय छोड़ने की परमिशन लिए अपने गांव चला गया था ।सिलेंडर उपलब्ध नहीं हुआ और अतुल सेठी की मजबूर आंखों ने बन्द होते हुए इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
पत्रकारों में गहरा रोष व्यक्त हुआ। चारों तरफ देश भर के पत्रकारों की आवाज़ बुलंद हुई ।
इस पर होना यह चाहिए था कि अस्पताल प्रबंधन या सरकार द्वारा दोषियों के विरुद्ध जांच बैठाई जाती। वे लोग जिनकी वजह से अतुल सेठी की बेशकीमती जान मजबूरी के सलीब पर चढ़ा दी गई उन्हें दंडित किया जाता ।उनकी मौत (एक तरह से हत्या) का जिम्मेदार ठहराया जाता ।
.मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। उल्टा अस्पताल प्रशासन ने न्याय की तराज़ू अपने हाथ में ले ली ।आह भी भरने लगे हैं भेड़िए, वाह भी करने लगे हैं भेड़िए। जिन्होंने सेठी को मौत के घाट उतारा वही निज़ामत अपने हाथ में लेकर बैठ गए ।
आवारा मानसिकता के मूर्खों ने एक जाँच कमेटी बना दी । डॉ खुराना को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई।दिवंगत अतुल के छोटे भाई अजीत को सबूत के साथ बुलाया गया।अब यह कमीनापन पत्रकारों को कत्तई बर्दाश्त नहीं ।
यह अस्पताल सिर्फ अतुल सेठी की ही मौत का जिम्मेदार नहीं ।यहां तो आए रोज़ कोई न कोई अस्पताल की लापरवाही की भेंट चढ़ता है ।अस्पताल तो अब मोर्चरी बनकर रह गया है ।
राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने इस घटना को बहुत गंभीर माना है ।मेरा फोन यद्यपि उन्होंने नहीं उठाया मगर मुझे जानकारी मिली है कि सरकार पत्रकारों के बढ़ते दबाव को उचित मानकर कार्रवाई करने जा रही है ।
इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में मैंने ख़ुद ने और माननीय अध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ जी ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा है ।हमें बताया गया है कि अस्पताल के दोषी डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी ।
अतुल मेरे परम मित्र थे और मौत के दो दिन पहले उन्होंने मुझसे लंबी बात की थी ।वे स्थानीय पुलिस से नाराज़ थे ।उन्होंने मुझसे पुलिस कप्तान कुंवर राष्ट्रदीप सिंह जी से बात करने को कहा था ।पुलिस कप्तान ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नसीराबाद थाना प्रभारी को कड़े निर्देश भी दे दिए थे ।
अतुल सेठी का असमय चले जाना अजमेर के पत्रकारों के लिए ना पूरी होने वाली क्षति है। इसके लिए राज्य भर के प्रकार संगठित हो चुके हैं। ज़रूरत पड़ी तो हम जयपुर जाकर मुख्यमंत्री आवास पर धरना भी दे सकते हैं ।
फिलहाल मुख्यमंत्री गहलोत और डॉ रघु शर्मा इस बारे में बेहद गंभीर हैं और दोषियों को सजा देने जा रहे हैं। इधर हमने मुख्यमंत्री जी से मुआवजे की भी मांग उठाई है।
हमें इंतजार है मुख्यमंत्री गहलोत के फैसले का ।इसके बाद हम अपनी नई रणनीति तय करेंगे ।इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट के संभागीय अध्यक्ष मनवीर सिंह चुंडावत , ज़िला अध्यक्ष अभिजीत दुबे और मैंने स्वयं आज ज्ञापन तैयार कर मुख्यमंत्री जी को भिजवा दिया है। उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा।
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