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September 27, 2020
नसीराबाद में यमदूतों का सरकारी अस्पताल और सेठी की मौत
मोदी का भेजा ऑक्सीजन प्लांट कचरे में
नेत्र विभाग की मशीन बेच खाई
फिजिशियन बिना चल रहा राज्य का पहला अस्पताल
सर्जन जिसने शल्य चिकित्सा की हो किसी को नहीं पता
हे रघु शर्मा !! प्लीज़ राम बन कर उद्धार करो अहिल्या का
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
नसीराबाद का सरकारी अस्पताल आजादी के इतने सालों बाद भी पशु चिकित्सालय से ज्यादा अहमियत नहीं रखता । जैसे यहां के राजनेता !! वैसे यहां के लोग !! वैसे ही अधिकारी!! वैसा ही अस्पताल!! सब पैसा कमाने की मशीन!!
जिले के लोकप्रिय पत्रकार अतुल सेठी की मौत का जिम्मेदार यह सरकारी अस्पताल, अब लोगों का हत्यारा नज़र आ रहा है। इस अस्पताल ने शायद ही कभी किसी की जान बचाई हो! अलबत्ता जान लेने में यह अस्पताल हमेशा जिले में अव्वल रहा !
मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि यहां के व्यापारी की स्कूल का मैं विद्यार्थी रहा हूँ। तोता पान भंडार के सामने पंडित जी के मकान का किराए दार रहा हूँ।इस शहर की रग रग से वाकिफ हूँ। इस शहर के संस्कारों और सोच की अच्छी तरह से जानकारी रखता हूँ।
यह वही नसीराबाद है जो सैनिकों की छावनी है और जहां मिलिट्री का एक शानदार अस्पताल है! जहां दूर-दूर से सैनिक इलाज़ कराने पहुंचते हैं ।
इधर नसीराबाद की आम जनता के लिए फ्रॉम जी चौराहे के पीछे बना एक सरकारी अस्पताल है जो यमदूतों की देखरेख में संचालित होता है। यहां सुविधाओं के नाम पर कोई विशेष बजट उपलब्ध नहीं होता। जो हुआ वह अकर्मण्य प्रबंधन और कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण कभी रंग नहीं लाया। राजनेताओं ने इस अस्पताल को गांव की डिस्पेंसरी से ज्यादा होने ही नहीं दिया। पिछले साल यहां के सौ बेड केकड़ी भिजवा दिए गए और नपुंसक नेताओं और लोगों ने उफ़्फ़ तक नहीं की। मैंने तब भी ब्लॉग लिखे मगर इस नामुराद शहर की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा ।
इस अस्पताल की दुर्दशा पर किसी ने कभी आंसू नहीं बहाया। कोई सुध नहीं ली ।किसी प्रकार की कोई आवाज़ नहीं उठाई गई। ना स्थानीय तौर पर ना ही विधानसभा में ।
यही हाल रहा तो यहां के पत्रकार एक-एक करके कहीं अतुल सेठी की मौत न मारे जाएं! पब्लिक भी! पत्रकार संघ के पदाधिकारी सिर्फ अख़बारों में बयान देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री करते रहेंगे।
अतुल सेठी शहर के लोकप्रिय पत्रकार थे । विगत सप्ताह ही उन्होंने अपने शहर के एक पत्रकार के साथ की गई पुलिस कार्यवाही पर सवाल खड़े किए थे ।पुलिस कप्तान कुंवर राष्ट्रदीप सिंह ने उनकी मांग पर तत्काल सकारात्मक कदम उठाते हुए थाना अधिकारी को पत्रकारों के साथ बेहतर तालमेल बनाने के निर्देश दिए थे। उन्हीं के सुझाव पर थाना अधिकारी ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बना कर पत्रकारों से बेहतर संबंध बनाने की शुरुआत की थी।
अगले दो दिन बाद ही उनकी तबीयत खराब हुई ।एक ही दिन के कुछ घण्टों में वे सरकारी अस्पताल से रामसर रोड के मुक्तिधाम तक पहुंचा दिए गए ।
शनिवार रात 9:00 बजे जब पत्रकार अतुल सेठी समाचार पत्रों का काम समाप्त कर रहे थे तभी उन्होंने अपने पेट में दर्द महसूस किया। छोटे भाई अजीत सेठी उन्हें अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में ले गए। यहां मौजूद डॉक्टर गौड़ ने उनका चेकअप किया । शुगर बढ़ गई थी। इंसुलिन देना था। इंजेक्शन देने से पहले कुछ बिस्किट वगैरह दिए गए। तभी सांस लेने की दिक्कत आई। उन्हें ऑक्सीजन लगाई गई ।हालत में सुधार होता इससे पहले ही ऑक्सीजन खत्म हो गई। वार्ड में मौके पर अन्य ऑक्सीजन सिलेंडरों ने भी अपनी औकात दिखा दी। स्टोर इंचार्ज सुरेश चौधरी को फोन किया गया । जवाब नहीं मिला ।वे शहर से ही ग़ायब मिले। पता चला वे तो गांव चले गए हैं।
क्सीजन नहीं मिली। अतुल को कुर्बानी देनी पड़ी। सिर्फ 4 घंटे में एक जिंदादिल पत्रकार लाश में तब्दील हो गया ।
आप ताज़्ज़ुब करेंगे कि नसीराबाद उपखंड के इस सबसे बड़े अस्पताल में कोई फिजिशियन ही नहीं। एक था जिसे भी राजनीतिक कारणों से शहर निकाला दे दिया गया। बिना फिजिशियन के चलने वाला राजस्थान का यह पहला अस्पताल है ।यहां एक सर्जन ही अस्पताल प्रबंधन देखते हैं। सर्जन भी ऐसे, जिन्होंने नसीराबाद आने के बाद शायद ही किसी मरीज़ की शल्य चिकित्सा की हो ।
इस अस्पताल को सेंट्रल ऑक्सीजन प्लांट के लिए प्रधानमंत्री कोष से पैसा मिला। प्लांट नसीराबाद आ गया। फाउंडेशन तैयार भी हो गयी। पाइप लाइन भी डाल दी गईं। सब काम तैयार मगर प्लांट चालू नहीं हुआ ।ना अब होता नज़र आ रहा है।
यदि प्लांट शुरू हो गया होता तो अतुल सेठी सहित कई लोगों की जान नहीं जाती ।पीएम मोदी केयर्स फंड से आया लाखों रुपया कमीशन खोरी के बावजूद काम नहीं आ रहा
कुछ अरसा पूर्व चिकित्सालय के नेत्र विभाग में लाखों रुपए की फीको मशीन आई थी जो इंस्टॉल होने से पहले ही चोरी हो गई ।किसी भी डॉक्टर को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। कोई कार्रवाई नहीं हुई ।
इस अस्पताल में आने वाली दवाइयां और अन्य उपकरण बाज़ार में बेच दिए जाते हैं। रोगियों को तरह-तरह से परेशान किया जाता है मगर कोई माई का लाल नहीं सुनता।
इतना सब कुछ लिखने के बाद अंत में मैं हाथ जोड़कर ,पैर पड़ कर चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा से आग्रह करता हूँ कि वे केकड़ी के साथ-साथ नसीराबाद के इस अनाथ अस्पताल को भी गोद ले ले। जिस तरह वे केकड़ी के अस्पताल को चिकित्सा सुविधाओं की सौगात दे रहे हैं उसी तरह यहां भी बची खुची सुविधाएं प्रदान कर दें ।नसीराबाद उनकी दी हुई सेवाओं का सदैव आभारी रहेगा। पत्रकार अतुल सहित जान गंवाने वाली दर्जनों आत्माओं को शांति मिलेगी।
यदि वे सिर्फ इस अस्पताल की सुविधाएं बहाल करवा दें तो मेरा दावा है कि यदि वे नसीराबाद से भी चुनाव लड़ें तो उनको जिताने की जिम्मेदारी मेरी ! अहिल्या की तरह यह अस्पताल शापित होकर पत्थर की शिला बन चुका है, इसे भगवान राम बनकर हे डॉक्टर रघु शर्मा!! आप शाप से मुक्त करें !
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