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September 26, 2020
चार बार कलेक्टर साहब का नेहरू अस्पताल में दौरा क्यों कि वे जानते हैं, अस्पताल प्रबंधन है मोटी खाल का
मेरे ब्लॉग पर उठा रहे हैं सकारात्मक क़दम: ज़िला आभारी है
पहले दौरे में जो आदेश दिए वही चौथे में भी दोहराए
केकडी, ब्यावर, बिजयनगर, मसूदा, किशनगढ़, पुष्कर, पीसांगन के अस्पताल के हाल नेहरू अस्पताल से बदतर: कलेक्टर करें वहां का भी दौरा
ज़िले में कोरोना महाविस्फोट शुरू
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
करोना अजमेर में महा विस्फोट की तैयारी में है ।मुझे खुशी है कि मेरे ब्लॉग पर जिला कलक्टर अपने फैसले ले रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर मैं बराबर उंगली उठा रहा हूँ या कहिए कर रहा हूँ।जैसे जमे घी में करते हैं।
जिला कलेक्टर बराबर अस्पताल का दौरा कर रहे हैं। मेरे द्वारा उठाई जा रही है उंगली पर वे तत्काल और पुख्ता कार्रवाई करने की कोशिश कर रहे हैं ।
कल शुक्रवार को जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित फिर नेहरू अस्पताल पहुंच गए। चिकित्सा विभाग के आला अधिकारियों को उन्होंने तबीयत से हड़काया। उनके पूर्व आदेश के बावजूद अनुपालना नहीं होने के लिए उन्हें सख्त होने की सलाह दी। इसके लिए ज़िले की जनता की तरफ से मैं उनका आभार प्रदर्शित करता हूँ।इस दिशा में सक्रियता का अभिवादन करता हूं।
मगर दोस्तों!! सवाल फिर भी वही है ।लगातार 4 सप्ताह से जिले के मालिक कलेक्टर महोदय अस्पताल का दौरा ही कर रहे हैं ।आखिर ऐसे क्या हालात हैं कि उन्हें हर सप्ताह दौरा करना पड़ रहा है जवाब दूं तो जाहिर है कि वे जान गए हैं कि अस्पताल प्रबंधन बहुत मोटी खाल का है। उस पर उनके आदेशों का कोई असर ही नहीं हो रहा ।वह वही कर रहे हैं जो करना चाहते हैं या फिर कर पा रहे हैं।
यदि अस्पताल के आला अधिकारी चाहते तो कलेक्टर साहब के पहले दौरे में जो आदेश दिए गए थे उनकी पालना तत्काल कर देते मगर उन्होंने नहीं की, और हार कर राजपुरोहित जी को चौथी बार दौरा करना पड़ा और मेरा दावा है कि पांचवीं बार भी करना पड़ सकता है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिला कलेक्टर महोदय ने इस बार भी वही आदेश दिए जो 4 सप्ताह पहले उन्होंने जारी किए थे। रोगियों के लिए प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा होगी प्रत्येक रोगी के बेड पर घण्टी होगीमरीज और उनके परिजनों से वीडियो कॉलिंग की व्यवस्था होगी वार्ड में ओपन वाईफाई की सुविधा होगीअंदर के हालात बाहर बाहर स्क्रीन पर दिखाएं जाएंगे
चार सप्ताह बाद भी यदि यही सुविधाएं दिए जाने के आदेश ही दिए जा रहे हैं तो चार सप्ताह में हुआ क्या
जिले में 4 सप्ताह में कोरोना अब तक दुगनी रफ़्तार में सक्रिय हो चुका है तब अस्पताल व्यवस्थाओं के नाम पर चार सप्ताह पीछे चल रहा है।अब किसे थैंक यू किया जाना चाहिए माननीय जिला कलेक्टर को सीएमएचओ को या अस्पताल प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को
यहां एक बात और बता दूँ कि जिला कलेक्टर पूरे अजमेर जिले के मालिक हैं। सिर्फ जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के ही नहीं केकड़ी , ब्यावर , नसीराबाद, बिजयनगर, मसूदा, किशनगढ़ , पुष्कर, रुपनगढ़ भी अजमेर जिले में ही आते हैं और इन सभी नगरों में आए दिन कोरोना से मौतें हो रही हैं ।पुष्कर में तो एक ही परिवार के कई लोगों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है ।
जिला कलेक्टर राजपुरोहित क्यों कि एक सक्रिय और संवेदनशील अधिकारी हैं इसलिए उनसे जिले के सभी बड़े कस्बे और शहर उम्मीद कर रहे हैं कि वे उनके सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं का भी जायज़ा लें
एक बार वहां के चिकित्सा प्रबंधन की भी जांच करें। इन शहरों के सरकारी अस्पतालों के हाल तो अजमेर के नेहरू अस्पताल से भी ज्यादा दयनीय है ।यहाँ ऑक्सीजन के सिलेंडरों की ज़रूरत भी ग़ज़ब की है मगर उनकी आपूर्ति कुल मांग की 10% भी नहीं हो पा रही ।इन शहरों में होने वाली जांचों की रफ्तार और उनके परिणाम चिंताजनक हैं
कोरोना हंस रहा है। पब्लिक सर पटक पटक कर रो रही है। हालात अभी तो बिगड़ने शुरू हुए ही हैं ।महा विस्फोट तो अभी होने वाला है। अस्पताल में 300 नए बेड लगाए जाने की तैयारी हो रही है ।अस्पताल अधीक्षक डॉ अनिल जैन के हाथ पांव फूले हुए हैं। वे बदहवास हैं। पूछे गए सवालों के उत्तर भी ढंग से नहीं दे पा रहे
यहाँ मैं सी एम एच ओ डॉ के के सोनी की तारीफ तो करना चाहूँगा जो सवालों के जवाब तो समय पर दे देते हैं। मीडिया द्वारा कुछ बताने पर कदम तो उठाते हैं ।बाकी तो मरीजों को काटने के लिए दौड़ते हैं । जैसे उनके इस बर्ताव से ही कोरोना ठीक हो जाएगा ।
इधर एंबुलेंस कर्मियों ने हड़ताल पर रहने का ऐलान कर दिया है ।शहर के लोग पहले से ही तंग थे ।अब उनकी हड़ताल ने और भी चिंता में डाल दिया है। एंबुलेंस वालों की मांग क्या हैं? सही है या गलत हैं? इस बात का उत्तर प्रशासन सोचे ,मगर उनकी हठधर्मिता पर मेरा सवाल ज़रूरी है। मोर्चरी से मरघट तक पहुंचने के लिए उनकी मनमानी वसूली पब्लिक के लिए सिरदर्द बनी हुई है ।
जिला प्रशासन को तत्काल सख्ती बरतते हुए उनके मनमाने रवैए पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ।कोरोना काल में एक ओर जहां जनता अपनी तक़लीफ और आर्थिक तंगी से लोहा ले रही है वहीं कुछ वर्ग मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं ।सिर्फ़ जिला कलेक्टर को ही नहीं अन्य सरकारी विभागों को भी सक्रिय होना चाहिए ।खासतौर से जिला रसद विभाग को। कालाबाजारी पूरे जिले में सिर उठाए खड़ी है। मुनाफा खोरी से दाम बढ़ रहे हैं ।उन पर छापेमारी करने वाला कोई नहीं। कोरोना काल जैसे उनके लिए वरदान ही बन गया हो।
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