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September 25, 2020
हाँ ,आज फिर लिखूँगा कोरोना पर: जनता के दुख ने मुझे बदहवास कर दिया है
प्रशासन , राजनेता, चिकित्सा विभाग सबने डाले हथियार
हालात भयावह, मौत का तांडव शुरू
शंकर सिंह बिलखते ब्यावर को छोड़ पद यात्रा पर: भाऊ बलि कोरोना से मरने वालों के नेत्र भी दान करवा दो
लाम्बा, सुरेश रावत, राकेश पारिक और सुरेश टांक,भदेल.., प्लीज़ कुछ तो बोलो कोरोना से बिगड़े हालातों पर
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
जयपुर ,भीलवाड़ा और अजमेर में कोरोना संक्रमण के चलते हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि यदि सरकार ने जोधपुर की तरह अन्य जिलों में भी लोक डॉउन का सहारा नहीं लिया तो मरने वालों की संख्या इतनी बढ़ जाएगी कि सरकार मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी ।
राज्य के अर्थ -तंत्रको बचाने की जद्दोजहद में सरकार जीव -तंत्र को फांसी पर चढ़ा रही है ।चिकित्सा विभाग के हाल खराब हैं ।चिकित्सा कर्मी मारे डर के इलाज़ करने से मुंह छुपा रहे हैं ।सिर्फ वेतन बचाए रखने के लिए अस्पतालों में काम हो रहा है। कोरोना वार्ड के हालात इतने खराब हैं कि कोई देखने सुनने वाला नहीं ।
जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित अस्पताल का दौरा करने जा रहे हैं ।आदेशों को दोहरा भी रहे हैं, मगर लगता है कि वे सिर्फ़ अस्पताल का दौरा ही कर रहे हैं कोरोना वार्ड का नहीं ।
मेरी सलाह है कि वे पीपीई किट पहन कर एक बार कोरोना वार्ड के अंदर का दौरा भी करें ,जहां बिना पानी के जिस तरह मछलियां तड़पती है रोगी तड़प रहे हैं।
आपने तो आदेश दिया था कि हर बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था होगी। चलिए मेरे साथ, दिखाइए ऑक्सीजन की क्या व्यवस्था है मरीजों को ऑक्सीजन देते समय कई बार सिलेंडर बीच में ही खत्म हो जाते हैं ।रोगियों के परिजनों से सिलेंडर खरीद कर लाने को कहा जाता है। दवाएं तक बाज़ार से मंगवाई जाती हैं।
कलेक्टर साहब!! आप तो एक प्रबुद्ध और संवेदनशील प्रशासक हैं लेकिन आप अभी अस्पताल प्रबंधन के घटिया पन से वाकिफ नहीं है।
पिछले दिनों जिस ओमप्रकाश टांक की मृत्यु हुई उसके परिजन योगेश ने मुझे वार्ड के अंदर हो रहे हालात से परिचित कराया। वे कंपाउंडर है एक निजी अस्पताल में।
उन्होंने बिना पीपीई किट के आठ दिन अपने भाई के साथ अन्य मरीजों की सेवा की। जो काम वार्ड के डॉक्टरों को करना था , नर्सिंग कर्मियों को करना था उन्होंने किया। मरीजों के इंजेक्शन लगाने के नाम पर वार्ड में तैनात डॉक्टरों की मौत आती है। नर्सिंग स्टाफ मुंह छुपाता है ।वहां योगेश ने बिना जान की परवाह किए मरीजों को चिकित्सा उपलब्ध करवाई।
योगेश का कहना है कि एक इंजेक्शन जो पाँच हज़ार का आता है और मरीजों के आपात स्थिति में लगाया जाता है वह नर्सिंग कर्मी छुपा कर रखते हैं। प्रभाव शाली लोगों के ही सिफारिश या अन्य कारणों लगाया जाता है ।बाकी लोगों से बाहर से लाने को कहा जाता है ।यह इंजेक्शन रेजिडेंट्स तक को नहीं दिया जाता।
केकड़ी , ब्यावर , नसीराबाद, बिजयनगर, मसूदा , किशनगढ़ , पुष्कर, पीसांगन के हालात इतने खराब हैं कि कोई सुनने वाला नहीं।
ब्यावर के विधायक जिन्हें अपने शहर के मरीजों को संभालना चाहिए, अस्पताल जाकर व्यवस्था देखनी चाहिए, वे ब्यावर को जिला बनाने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं । जिला बनाने की मांग करने का तो मैं भी समर्थन करता हूँ मगर वह इस बुरे समय मे इतना ज़रूरी नहीं कि जब लोग जान से खेल रहे हों उन्हें तड़पता छोड़ कर पद यात्रा पर निकल लिया जाए। विधायक शंकर सिंह रावत की स्थिति ऐसी है जैसे कोई बाप अपनी लड़की को मौत से लड़ता छोड़कर उसके लिए लड़का ढूंढने निकल जाए
ब्यावर शहर के विधायक चलिए कुछ भी हो हाथ पैर तो हिलाते दिख रहे हैं ,बाकी विधायक तो कोरोना की बात तक नहीं कर रहे ! जिला प्रशासन से सवाल जवाब तक नहीं कर रहे! अस्पतालों में जाकर अपने मतदाताओं को संभाल तक नहीं रहे!
अजमेर के भाऊ बली विधायक ने मरने के बाद हज़ारों लोगों के नेत्रदान शपथ पत्र सत्ता को सोते हैं ।बहुत नेक काम किया है। मैं तहे दिल से उनका इस्तकबाल करता हूँ। यदि भाऊ बली अब कोरोना पीड़ित और उनके परिजनों से भी नेत्र दान के संकल्प पत्र भरवाना शुरू कर दें तो बेहतर होगा ।मरने के बाद उनकी आंखें भी किसी के काम आ ही जाएंगी ।लोग मर रहे हैं और हम तमाशा कर रहे हैं ।
किशनगढ़ के विधायक सुरेश टांक की स्थिति अजीब हो गई है। सरकार में अब उनकी कोई सुन नहीं रहा। किशनगढ़ के मामूली कांग्रेसी चमचे तक उन पर भारी पड़ रहे हैं ।कोरोना से बिगड़ते हालातों के बीच कांग्रेसी चिलगोजे उन्हें अस्पताल में फटकने तक नहीं दे रहे। एक नेक और उत्साही विधायक को बर्फ़ में लगाया जा रहा है।
मसूदा में मौतों का सिलसिला जारी है मगर विधायक राकेश पारीक अधिकारियों से जान पहचान बढ़ाने में लगे हुए हैं, ताकि पब्लिक के बीच उन्हें पहचाना जा सके।
नसीराबाद के विधायक रामस्वरूप लांबा हों या पुष्कर के विधायक सुरेश रावत कोई अपने सरकारी अस्पतालों के हाल देखने नहीं जा रहा ! अरे कोरोना से इतने ही डरे हुए हो तो पी पी ई किट्स पहन कर जाओ मगर अस्पतालों में जाकर तो देखो कि किस तरह लोग मौत से मुकाबला कर रहे हैं।
विधायक अनिता भदेल जबसे कोरोना पॉजिटिव हुई हैं वे कोरोना से इतनी डरी हुई हैं कि आज तक उन्होंने सेट लाइट हॉस्पिटल या जवाहरलाल नेहरू अस्पताल का दौरा किया जाना मुनासिब नहीं समझा।जबकि वे तो अब प्लाज़्मा डोनर हैं।
मेरे पत्रकार दोस्त कहते है कि कोरोना के अलावा और भी बहुत से मुद्दे हैं जिस पर लिखा जा सकता है ।मैं क्यों रोज़ कोरोना पर अटक जाता हूँ।दोस्तों!! और मुद्दों पर लिखने को और बहुत पत्रकार हैं।ऐसे भी जो अस्पतालों के पी आर ओ बने हुए हैं। मैं एक ज़िम्मेदार नागरिक भी हूँ। उसी ज़िम्मेदारी को निभा रहा हूँ।
ये बुरा वक़्त निकल जाने दो फिर उन मुद्दों पर भी लिखूंगा जिन पर लिख कर लोग थक चुके हैं और उनसे बाल बांका नहीं हुआ।
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