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September 22, 2020
अजमेर का चिकित्सा विभाग खेल रहा है कोरोना मरीज़ों के सही आंकड़े छिपाने का खेल
मुख्यमंत्री के स्पष्ट आदेश की अवहेलना में राज्य के कई चिकित्सा अधिकारी शामिल
अजमेर के डॉ अजीत जैन बने देश के महा नायक: पांच महीने तक घर नहीं गए, अस्पताल में रहकर ही की कोरोना मरीज़ों की सेवा: हज़ारों की बचाई जान
मीडिया ने जैन को बैठाया पलकों पर, राष्ट्रपति ने लगाया गले
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर में कोरोना के आंकड़े छुपाने वाले योद्धाओं का खेल जारी है। मुख्यमंत्री गहलोत ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जिला चिकित्सा विभाग रोज़ सही और पारदर्शी आंकड़े जारी करें । एक सप्ताह पहले निकले इस आदेश की अवहेलना राजस्थान के लगभग सभी चिकित्सा अधिकारी कर रहे हैं। समझ में नहीं आता कि इन चिकित्सा अधिकारियों में सही आंकड़े जारी करने से पेट में कौन सी गैस बनने लगती है उनकी कोई रणनीति फेल होने लगती है वह क्यों जनता को झांसा देकर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं
अजमेर , डूंगरपुर , जोधपुर , कोटा, उदयपुर लगभग सभी जिलों में आंकड़ों को हजम करने का खेल चल रहा है। सभी जिलों के पत्रकार ही अपने स्तर पर संक्रमित रोगियों और रोग से मरने वालों के आंकड़े प्रकाशित कर रहे हैं।
यह तो ग़नीमत है कि अजमेर के सीएमएचओ के के सोनी आंकड़ों की सूची तो जारी करने लगे हैं वरना तो उन्होंने सूची जारी करना ही बंद कर दिया था ।डूंगरपुर सहित अन्य ज़िले के सीएमएचओ तो अभी भी रोगियों की सूची जारी नहीं कर रहे और पत्रकारों को गुमराह कर रहे हैं ।
जिले में आज कोरोना से संक्रमित लोगों की सूची अप्रत्याशित रूप से 9000 के पार पहुंच चुकी है। जिले में मृतकों की संख्या 227 तक पहुंच गई है। अजमेर में कल 3 लोगों ने कोरोना से दम तोड़ा। के के सोनी ने तो एक ही बताया। पहले वे जो सूची जारी करते थे ,उसमें मृतकों की संख्या का भी जिक्र होता था मगर अब वे उसे गोल करने लगे हैं। सोमवार देर शाम तक श्रीमान सोनी जी ने जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से एक सूची जारी की जिसमें मात्र 79 रोगी बताए गए थे ।यह सूची पूरी तरह आधी अधूरी थी ।मीडिया ने अपने स्तर पर जो सूची बनाई उसमें 140 नए मरीज़ तो शाम तक ही पाए गए थे। समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों हो रहा है?
एक ओर आंकड़े छुपाने वाले योद्धा अपने कार्यालय में बैठकर आंकड़ों का खेल खेल रहे हैं वहीं दूसरी ओर अजमेर के जांबाज़ योद्धा अपनी जान की परवाह किए बिना हज़ारों लोगों की जान बचाने के धर्म युद्ध में जुटे हुए हैं।
इस समय अजमेर का एक योद्धा कोरोना के विश्व युद्ध में पूरे मुल्क का बेताज़ बादशाह बना हुआ है। देश का कोई अखबार ऐसा नहीं जिसमे इस योद्धा की वीरता के साक्षात्कार न छापे हों। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बात की जाए तो उस योद्धा को लेकर हर चैनल विशेष रिपोर्ट दिखा रहा है। राष्ट्रपति कोविद महोदय ने उस योद्धा को अपने यहां डिनर पर बुलाकर सम्मान दिया।
अजमेर के इस लाडले लाल का नाम डॉ अजीत जैन है। हमारे शहर का ख़ून! हमारे शहर का पसीना! हमारे शहर की आन,बान और शान डॉ अजीत जैन!
यह रण बांकुरा दिल्ली के एक अस्पताल में कार्यरत है। रण बांकुरों की धरती राजस्थान में खूनी युद्ध में वीरता दिखाने वाले बांकरे ही पैदा नहीं हुए बल्कि शांति काल में अपना ख़ून पसीना बहाने वाले योद्धा भी पैदा हुए ।
कोरोना काल में अपना खून पसीना बहाने वाले डॉक्टर अजीत जैन भी अजमेर में ही जन्मे हुए ऐसे डॉक्टर हैं जो दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के नोडल अधिकारी हैं। वह प्रमुख रूप से रोग विशेषज्ञ हैं। कमाल की बात यह है कि वह कोरोना मरीजों का इलाज़ करते समय पी पी इ किट तक नहीं पहनते ।डॉक्टर जैन किट नहीं पहनते इसका यह मतलब नहीं कि वे लापरवाह हैं, बल्कि वे अतिरिक्त सावधानी के साथ मरीजों का इलाज़ करते हैं ।उनका मानना है कि असल में कोरोना वायरस एरोसॉल स्प्रे से फैलता है जो नाक और मुंह के जरिए ही शरीर में पहुंचता है ।यदि शरीर के यह दोनों हिस्से कवर हैं तो आप सुरक्षित हैं।
आईसीयू का राउंड लेने के बाद डॉ अजीत जैन सीधे शावर हाउस पहुंचते हैं जहां पूरे शरीर को अच्छी तरह रगड़ कर नहाते हैं ।
वह देश में तब चर्चा में आए जब 5 महीने तक वे अस्पताल में ही रहकर लगातार मरीजों की सेवा करते रहे। रात दिन जाग कर उन्होंने जिस तरह सेवा की,वह चिकित्सा क्षेत्र के इतिहास में दर्ज की जाएगी।
लगातार 5 महीने तक परिवार छोड़ना घर , पत्नी बच्चों से नहीं मिलना यह कितने डॉक्टर कर सकते हैं? डॉक्टर जैन की पत्नी भी डॉक्टर हैं और वह भी अपने पति के त्याग को डॉक्टर का कर्तव्य मानती हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने उन्हें अपने घर बुलाकर सम्मानित किया ।एट होम सेरेमनी में उन्होंने डॉ अजीत जैन को उनकी सेवाओं के लिए गले से लगा लिया ।
डॉ अजीत जैन इस समय देश के महानायक बने हुए हैं । अजमेर को अपने लाडले लाल पर गर्व है ।पूरा देश उनके त्याग को तपस्या मानकर सम्मान दे रहा है।
एक तरफ अजमेर के डॉ अजीत जैन हैं तो दूसरी तरफ अजमेर के अन्य डॉक्टर्स !उनके विषय में कुछ भी कहना यहां ठीक नहीं होगा क्योंकि सूरज की रोशनी का जज्बा जुगनुओं में नहीं हो सकता मगर अंधेरे में जुगनुओं की रोशनी को भी नकारा नहीं जा सकता । मैं तो केवल ये कहूँगा कि अजमेर के चिकित्सा विभाग को चाहिए कि वे अजीत जैन से कुछ प्रेरणा लें।
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