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क़लमकार: अजमेर ज़िले का चिकित्सा विभाग दिखा रहा है औक़ात

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September 19, 2020

सरकार कह रही है आंकड़े न छिपाएं, अस्पताल वाले कह रहे हैं आंकड़े न बताएं

अजमेर ज़िले का चिकित्सा विभाग दिखा रहा है औक़ात
_सरकार कह रही है आंकड़े न छिपाएं, अस्पताल वाले कह रहे हैं आंकड़े न बताएं
ज़िला कलेक्टर की तरह मुस्तैद नहीं अस्पताल प्रशासन_
बिना वैक्सीन के रिकवर हो कर लौटने की बात झूँठ: फेंफड़ों की उम्र घटा कर ही लौट रहे हैं मरीज़
परिजनों को कैसे मिलेंगे पी पी इ किट, कर्मचारियों के पास ही नहीं
सिर्फ़ भाप से ही रोका जा सकता है कोरोना
                        सुरेन्द्र चतुर्वेदी
                    अजमेर जिले का चिकित्सा विभाग पूरी तरह अपनी औक़ात पर आया हुआ है ।लोगों तक कोरोना संक्रमण के आंकड़े नहीं पहुंचा रहा। यह बात मैं पिछले कई दिनों से कई बार कह चुका था। यह भी बता चुका था कि पत्रकारों द्वारा आंकड़ों की खोजबीन करने पर चिकित्सा अधिकारियों द्वारा अघोषित पाबंदी लगा दी गई है। आंकड़े बाहर न जाए इसकी निगरानी की जा रही है।
                             मुख्यमंत्री गहलोत ने इस मामले में चिकित्सा अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं ।अब कहा जा रहा है कि आंकड़े नहीं छुपाए जाएंगे ।चलिए यदि ऐसा सच में हो जाता है तो बड़ी बात होगी ।बड़ी बात इसलिए भी होगी कि जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित के किसी आदेश की अनुपालना विभाग पूरी तरह जिम्मेदारी के साथ नहीं कर रहा ।
                     आए रोज़ ज़िला कलेक्टर साहब नेहरू अस्पताल के कोरोना वार्ड का दौरा कर रहे हैं । आए दिन नए-नए खूबसूरत आदेश निकालते रहे हैं मगर होता जाता बीस प्रतिशत भी नहीं। जो आदेश उन्होंने 15 दिन पहले दिए थे उन में से शायद ही कोई आदेश माना गया हो या पूरी तरह माना गया हो।
                         सीसीटीवी कैमरा और वीडियो के जरिए परिजन मरीजों से बात कर पाएंगे यह व्यवस्था दिए जाने की बात बहुत पहले कही गई थी। कुछ नहीं हुआ। अंदर की व्यवस्थाएं बाहर स्क्रीन पर दिखाई जाने की बात भी की गई थी ।कहां हुई पता नहीं। हर बेड पर ऑक्सीजन उपलब्ध किए जाने के आदेश भी दिए गए थे मगर पिछले दिनों एक मरीज़ ऑक्सीजन खत्म होने से मर गया ।
              अब जिला कलेक्टर महोदय ने हर बेड के पास कॉल बेल रखे जाने की बात कही है ।देखें!!  चिकित्सा प्रशासन के कानों में कब तक कॉल बेल की आवाज़ पहुंचती है ।
                              जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित जितने संवेदनशील होकर कोरोना से लड़ रहे हैं उतना गंभीर चिकित्सा विभाग नहीं।
                सच कहूं तो अजमेर जिले का चिकित्सा प्रशासन पूरी तरह भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बन चुका है । कोरोना को नोटों की गड्डी में  कैसे ढाला जाए बस हर तरफ यही रणनीति बनाई जा रही है ।
                   केकड़ी , ब्यावर , किशनगढ़, नसीराबाद , पुष्कर सभी नगरों में चिकित्सा अधिकारी नोट छापने में लगे हैं। जिला कलेक्टर महोदय को चाहिए कि वे अपनी निगरानी तंत्र को सजग करें। सावधान करें । भ्रष्ट चिकित्सा अधिकारियों की गर्दन नापें। जिम्मेदारियां तय की जाएं । बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए हाई स्पीड ब्रेकर कार्रवाई की जानी चाहिए।
                          *सितंबर से अक्टूबर और भी भारी पड़ने वाला है ।हाईकोर्ट बंदरों और हाथियों की चिंता में आदेश जारी कर रहा है ।उनके जीने मरने की संवेदनाओँ से जुड़ा है और इधर लोगों के मरने जीने की परवाह नहीं की जा रही ।
                       *स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने हाल ही में एक आदेश जारी कर संक्रमित वार्ड में रोगियों से मिलने के लिए उनके परिजनों को इजाज़त देने के आदेश निकाले हैं। पूरा राज्य इसके लिए स्वागत करता है। आभार व्यक्त करता है ।यह एक ज़रूरी फैसला था जो सरकार ने लिया ।
            *ज़िन्दगी से निराश और हताश मरीज़ों के परिजन अब पी पी ई किट्स पहन कर संक्रमित रोगियों से मिल पाएंगे।
                    *इस आदेश को लेकर मेरे मन में कई शंकाएं हैं ।जहां अस्पतालों में चिकित्सा कर्मियों के लिए ही पर्याप्त किट्स  नहीं मिल रहे और वे स्वयं संक्रमित हो रहे हैं ।वहां मरीजों के परिजनों के लिए सुरक्षा कवच कहाँ से और कैसे उपलब्ध होंगे
                   *सरकार ने मरीजों को घर का खाना दिए जाने की बात भी कही है। विभाग अब तक कैसा खाना मरीजों को दे रहा था और कितना पैसा सरकारी कोष से वसूला जा रहा था यह पूरा जिला जानता है ।अब घर का खाना मरीज़ खा सकेंगे यह कहना भी मुझे हवाई किले जैसा लग रहा है ।यह सब कब और कैसे संभव होगा फिलहाल कहा नहीं जा सकता।
                      *जिला कलेक्टर अपने आदेशों की पालना करवाने के लिए संकल्पित नज़र आ रहे हैं, तभी वे रोज़ खुद जाकर कोरोना वार्ड की निगरानी करते हैं। उनको मेरा सुझाव है कि वे जो भी आदेश दें उनकी अनुपालना के लिए अपने विभाग के किसी अधिकारी को जिम्मेदारी सौंप दें ,जो अस्पताल में रहकर अपनी जिम्मेदारी निभाए।रोज़ रिपोर्ट तैयार करें ।
               दोस्तों !! यह तो हुई सरकारी संगठन की बात अब आपसे कुछ पर्सोनल बात भी कर ली जाए।*
                   मेरा मानना है कि यदि अजमेर जिले में 7 दिन के लिए संपूर्ण लॉक डाउन कर दिया जाए। पूरी तरह बाज़ार बंद हो जाएं।सार्वजनिक स्थानों पर घूमने की मनाही कर दी जाए ।मंदिर मस्जिद सब बंद कर दिए जाएं और लोगों को घर में कैद रहने के लिए विवश कर दिया जाए। कुल मिलाकर नज़रबंद कर्फ्यू..!!
                ऐसा तो पहले भी हो चुका है यही कह रहे हैं ना आप !! मगर मेरी बात आगे तो सुनिए जनाब !! बीच में फिंगरिंग मत कीजिए !!
                       लॉकडाउन के साथ सभी नागरिकों को निर्देश दिए जाएं कि वे हर 3 घंटे में गर्म भाप को मुंह व गले से लें। हर व्यक्ति गर्म भाप का सेवन करें ।यदि ऐसा संभव हो जाए तो 80% कोरोना बिना दवा ,बिना डिस्टेंसिंग , बिना मास्क के खत्म हो सकता है ।
                  लॉक डाउन लगाए बिना भी दिन में 10 बार भाप लेने से कोरोना पर रोक लगाई जा सकती है।
                     मित्रों !! सरकार कह रही है कि कोरोना से पीड़ित लोग रिकवर होकर लौट रहे हैं ।मैं इस दावे को सिरे से खारिज़ करता हूँ ।रिकवर होकर कोई नहीं लौट रहा। वैक्सीन के बिना कोई रिक्वर नहीं हो सकता। जो लोग पॉजिटिव  से नेगेटिव होकर लौट रहे हैं उनकी तबीयत पर सिर्फ ब्रेक लगाया जा रहा है। उन्हें पूरी तरह ठीक करके नहीं लौटाया जा रहा ।
                जो लोग रिकवरी के नाम पर लौट रहे हैं उनके फ़ेफ़डों की उम्र कम हो चुकी है ।कमजोर हो चुके हैं उनके लीवर! अन्य कई रोगों से ग्रस्त होने की संभावनाएं लेकर लौट रहे हैं वे। ऐसे में आपसे आग्रह है कि लौटने वाले लोगों के आंकड़ों पर ध्यान ना दें।अस्पताल न जाना न पड़े इसके लिए बचाव करें।


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