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August 6, 2020
राम के लौटने की बधाई दे रहा कोरोना भी
सूर्यागढ़ बना तिहाड़_
वसुंधरा दिल्ली तलब_
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
ज़िले वासियों को राम मंदिर की बधाई। वनवास के बाद जैसे भगवान राम की घर वापसी हुई हो। कोरोना के हवाई हमले से आहत मुल्क ने 1 दिन के लिए ही सही अपनी तक़लीफों को भूलकर राम का भव्य स्वागत किया। भाजपा की बांछें खिली हुई हैं। उन्हें लग रहा है जैसे भगवान राम का नाम उनके लिए पेटेंट हो गया है।
वामपंथी बोल कुछ नहीं पा रहे हैं मगर उनकी कसमसाहट सोशल मीडिया की पोस्ट बता रही हैं।
इधर राजस्थान में भगवान राम की कृपा के बावजूद भी कोरोना का रंग हमारी धार्मिक भावनाओं पर भारी पड़ रहा है। आंधी और तूफान हमारे सर पर हैं मगर अच्छी बात यह है कि हम उसकी चिंता मैं घुल ही नहीं रहे। जिसे मरना होगा वो मर जाएगा , वाले भाव अब हमारी जिंदगी का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
जिम खुल गए हैं । आप भी अब ताक़त बढ़ाइए। जिम जाइए। भाजपा और कांग्रेस के नेता तो पहले से ही खुली जिमों में कसरत कर अपनी अपनी ताक़त बढ़ा रहे थे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 14 अगस्त तक कैसे कसमसाए विधायकों को अपने हक़ में नारे लगाने के लिए रोके रखेंगे। जैसलमेर का सूर्यागढ़ पूरी तरह तिहाड़ जेल में तब्दील हो चुका है। सचिन पायलट की जेल का तो कोई पता ही नहीं लगा पाया है। कहां है कैसा है किस हाल में है किस तरह वहां की जिम में विधायक कसरत कर रहे हैं
गहलोत की सूर्यगढ़ जिम में जैमर लगा दिए गए हैं। बंद विधायक सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर सकेंगे। भारतीय सेना की तरह। पाबंदियां इतनी जितनी तिहाड़ जेल में।
देश में जब मंदिर , मस्जिद दरगाह व अन्य इबादतगाह बंद हैं। मयख़ाने खुले हुए हैं❗ शिक्षण संस्थाएं बंद है। जिम खुल गए हैं❗तब दुर्भाग्यवश राजस्थान सरकार तिहाड़ से अपना राजपाठ चला रही है।
गहलोत ने जब सचिन पायलट सहित अपने अन्य साथियों पर देशद्रोह का आरोप लगाया था तब मूँछें तान कर कहा था कि यदि वे आरोप सिद्ध नहीं कर पाए तो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अब उन्होंने ये मान लिया है कि मामला राजनीतिक भ्रष्टाचार का है। देशद्रोह का नहीं।
_.रघुवर रीत यही चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई,।_..अशोक गहलोत क्या झूंठा सिद्ध होने पर इस्तीफा देंगे
नैतिकता और सच्चाई तो यही है कि उन्हें अपनी जुबान पर कायम रहते हुए त्यागपत्र दे देना चाहिए। मेरे पिता हमेशा कहा करते थे कि जिस की बात का पता नहीं उसके बाप का पता नहीं,। मैंने आज तक जो कहा वह किया भी। कर के दिखाया भी । मगर मेरे पिता मेरे पिता थे। अशोक गहलोत के नहीं। इसलिए यह हिदायत उन पर तो लागू नहीं हो सकती। उनकी बात ही कुछ और है। वैसे भी नेताओं की जुबान तो उन औरतों के चरित्र जैसी होती है जो कभी भी कोई भी रूप धारण कर सकती है।
दोस्तों! आपको मालूम है कि भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा को लेकर कोहराम मचा हुआ है। राम मंदिर बनने का ही इंतज़ार था। नेता लोग बिजी थे। अमित शाह कोरोना का इलाज करा रहे हैं। मोदी राम भक्ति में लीन रहे मगर अब उनकी लगाम कसी जाएगी। ऐसी तैयारी है।
उन्हें प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की शिक़ायत पर दिल्ली तलब किया गया है। अध्यक्ष नड्डा ने। पूनिया के कार्यकाल में उनके किसी भी कार्यक्रम में वे शरीक जो नहीं हुईं। उनकी निष्क्रियता पर उन्हें सबक सिखाया जाएगा। जबकि वसुंधरा के विकल्प के रूप में प्रदेश में अभी कोई कद्दावर चेहरा है नहीं।
मार्च के बाद से तो वे राजस्थान से पूरी तरह ही गायब रहीं। राजस्थान में सियासी कोरोना काल में उनकी चुप्पी कांग्रेस को समर्थन दे रही है। ऐसा आरोप है।
हाईकमान क्या करेगा, कौनसा पेड़ उखाडेगा ,वसुंधरा जानती हैं। उन्हें पता है कि भाजपा हाईकमान कांग्रेसी जैसा नहीं । उन्हें सचिन पायलट नहीं बनने देगा। उनसे कहा जाएगा कि हे देवी पार्टी पर कृपा करो प्रदेश में नहीं तो केंद्र में ही अपनी मौजूदगी दर्ज़ कराओ चाहो तो आपको केंद्र में बेहद शक्तिशाली पोस्ट देकर अनुग्रहित किया जा सकता है मगर वसुंधरा भी सचिन पायलट जैसी ही हैं। वे भी राजस्थान की मुख्यमंत्री ही बनना चाहती हैं और वो उन्हें भाजपा बनने नहीं देगी।
राज्य के 90 प्रसिद्ध ताक़तवर नेता उनकी जगह खुद को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। ऐसे में वसुंधरा ये भली भांति जानती हैं कि टेढ़ी उंगली से ही घी निकाला जा सकता है।
यदि कल कोई और प्रभावशाली मुद्दा नहीं आया तो मैं भाजपा और वसुंधरा के बीच आई दरार पर ही अपना ब्लॉग लिखुंगा।
इंतजार करें
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