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April 9, 2025
जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर में पहली बार हुआ पैरों की नस का मिनिमली इनवेसिव बाईपास,
65 वर्षीय पुरूष जो कि पिछले 15-20 सालों से हैवी स्मोकिंग का आदी था. उसने अस्पताल के सीटीवीएस विभाग के डॉक्टर प्रशांत कोठारी को दिखाया। सीटी एंजियोग्राफी जांच करने के बाद उसकी पेट की नसें पूरी तरह बंद पाई गई, क्योंकि गुर्दे के नीचे की नस पैरों तक पूरी तरह बंद थी इसलिए डॉक्टर प्रशांत कोठारी ने इस मरीज का एक्सिलो फेमोरल बाईपास करना उचित समझा। एक्सिलरी आर्टरी मरीज की कॉलर बोन से निकलते हुए हाथ को सप्लाई करती है तथा इसमें रूकावट ना के बराबर होती है जिससे कि मरीज को पैरों में सप्लाई दी जा सकती है। ऑपरेशन में प्रयुक्त होने वाला 80 सेंटीमीटर लंबा e PTFE ringed ग्राफ्ट करीब 85000 का था जिसे की अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अरविन्द खरे ने विशेष अनुमति देते हुए मंगवाया। ऑपरेशन के दौरान एक्सिलरी आर्टरी का डिसेक्शन बहुत ही दक्षतापूर्वक करना होता है अन्यथा मरीज के हाथों को पैरालिसिस हो सकता है। यहां यह कहना उल्लेखनीय है कि इस तरह की सर्जरी सिर्फ सुपर स्पेशलिटी सेन्टर्स एवं बड़े अस्पतालों में ही की जाती है, इस तरह की सर्जरी का मुख्य फायदा पेट का ना खुलना होता है जिससे कि मरीज तुरंत डिस्चार्ज के लिए तैयार हो जाता है। यह ग्राफ्ट टनल बनाते हुए कार्य कुशलता पूर्वक पैर की नस से जोड़ दिया गया। बाद में दूसरे पैर की सप्लाई अलग PTFE ग्राफ्ट से दी गई, जिससे कि मरीज को अब पैरों में दर्द और जलन का सामना भविष्य में नहीं करना पडेगा। ऑपरेशन के बाद मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ है एवं डिस्चार्ज को तैयार है। इस उपचार हेतु संसाधन आदि उपलब्ध करवाने के लिये डॉ० अनिल सामरिया, प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक, मेडीकल कॉलेज, अजमेर तथा डॉ० अरविन्द खरे, चिकित्सा अधिक्षक, ज० ला० ने० चिकित्सालय, अजमेर का विशेष तौर पर सहयोग रहा इस हेतु वे धन्यवाद के पात्र हैं । ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉक्टर प्रशान्त कोठारी, डॉक्टर तेजकरण सैनी, डॉक्टर कुशांक शर्मा, डॉक्टर कुलदीप, डॉ० एकता, डॉ० राघवेन्द्र, डॉ० प्रतीक, डॉ० कमलेश, नर्सिंगकर्मी राकेश, नर्मदा, रेखा, जयंत, ललिता आदि रहे।
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