Post Views 1071
August 5, 2020
प्रकाशन हेतु
कुछ किस्से और कुछ कहानी छोड़ आए
हम गाँव की गलियों में जवानी छोड़ आए
शहर ने बुला लिया नौकरी का लालच देकर
हम शहद से भी मीठी दादी-नानी छोड़ आए
खूबसूरत बोतलों की पानी से प्यास नहीं मिटती
उस पे हम कुएँ का मीठा पानी छोड़ आए
क्यों बना दिया वक़्त से पहले ही जवाँ हमें,कि
धूल और मिट्टी में लिपटी नादानी छोड़ आए
कोई राह नहीं तकती,कोई हमें सहती नहीं
क्यूँ पिछ्ले मोड़ पे मीरा सी दीवानी छोड़ आए
मन को मार के सन्दूक में बन्द कर दिया हमने
जब से माँ-बाप छूटे,हम मनमानी छोड़ आए
सलिल सरोज
कार्यकारी अधिकारी
लोक सभा सचिवालय
नई दिल्ली
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved