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August 2, 2020
क्या सचिन ही होंगे अगले मुख्यमंत्री
जैसलमेर के अभेद्य दुर्ग में विधायकों से मिलने पहुंचा कोरोना_
क्या गहलोत सत्ता बचा पाएंगे_
अदालत पर ही टिका है सब गणित_
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
सरकार जैसलमेर रहे या जयपुर कोरोना पूरे राज्य में अब लॉकडाउन की स्थिति में पहुंच गया है। कोटा में लॉकडाउन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जोधपुर, अलवर और प्रदेश के अन्य जिलों के हालात बेकाबू है। जहां तक अजमेर का सवाल है, हालात भयंकर हो चुके हैं मगर प्रशासन दुर्भाग्यवश यह कह रहा है कि अजमेर में कोरोना के एक्टिव केस अभी इतने नहीं कि लॉकडाउन लगाना पड़े। चलिए ईश्वर करे, ऐसा बना रहे।
तो आइए अब बात करते हैं प्रदेश राजनीति की। गेहलोत सियासत के गुरु हैं। वे कांग्रेस के कर्णधार है। कांग्रेस की इज्जत को बचाने के लिए पूरी तरह चाक-चौबंद हैं। जयपुर से अपने विधायकों को जैसलमेर ले गए हैं। उनका यह भ्रम है कि 14 अगस्त को वे अपना बहुमत सिद्ध कर देंगे। इस बात का दावा वे पूरे आत्मविश्वास से कर भी रहे हैं मगर उनका यह आत्मविश्वास अब मुझे उनकी ग़लतफ़हमी लग रहा है।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने जब विधानसभा सत्र आयोजित करने की स्वीकृति प्रदान की थी तभी मुझे लग गया था कि भाजपा ने विधानसभा में अपनी शक्ति को कांग्रेस के मुकाबले में बेहतर कर लिया है।
समय से पहले जब कोई पत्रकार बात करता है तो उसकी हंसी उड़ाई जाती है। उसे बेवकूफ और बड़बोला समझा जाता है। शायद मेरे इस ब्लॉग पर भी कुछ ज्यादा शातिर लोग इसी तरह की कोई टिप्पणी करें मगर मैं पूरे होश हवास और अपनी समझ के साथ यह कह रहा हूँ कि भाजपा ने संख्या बल को कांग्रेस से ज्यादा बेहतर कर लिया है। अंदरूनी तैयारियों को बड़ी चालाकी के साथ गुप्त रखा जा रहा है। भाजपा के चाणक्य जिस तरह कांग्रेस को पटकी देने के लिए चौतरफा कार्रवाई कर रहे हैं, उसे देख कर लग रहा है कि यहां भाजपा फिर एक बार मध्य प्रदेश को जिंदा कर देगी।
मुख्यमंत्री गहलोत ने मीडिया से रूबरू होते हुए कल ही दो भाजपाई नेताओं के नाम लिए। एक प्रधान का दूसरा पीयूष का। प्रधान का नाम मैंने भी कल अपने ब्लॉग में लिया था। कहा था कि कुछ निर्दलीय विधायक उनके अधिकार क्षेत्र में दिल्ली में रह रहे हैं।
यह सच है कि यही दोनों नेता भाजपा का परचम राजस्थान में फहराने के लिए पूरी तरह लगे हुए हैं। इन दोनों ने जो व्यवस्था कर दी है वह बेहद खतरनाक है । यदि मैं ये कहूँ कि गहलोत को हटाकर भाजपा सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाएगी तो सच के एकदम क़रीब होगा।
भाजपा वसुंधरा के क़द को गिराने के लिए उसी तरह आमादा है जिस तरह गहलोत सचिन पायलट को। वसुंधरा जी खुद भी अपनी पार्टी के इस खेल को समझ रही हैं। वे भी अपनी रणनीति में लगातार परिवर्तन किए जा रही हैं।
आगामी 11 अगस्त को अदालत का फैसला बसपा के 6 विधायकों को लेकर होगा। बसपा विधायक इस दिन अपना जवाब प्रस्तुत करेंगे। इनकी कांग्रेस में विलय की मान्यता को रद्द भी किया जा सकता है। यह मेरा कयास है । विश्वास भी कि बसपा के फ्लोर टेस्ट में भाग लेने पर रोक लगाई जा सकती है।
माकपा के एक विधायक गिरधारी लाल अभी वह भी तटस्थ हैं मगर फ्लोर टेस्ट में वे भाजपा के पक्ष में जाएंगे। यह भी मेरा आकलन है।
एक विधायक बाबूलाल कठूमर बीमार हैं। दूसरे भंवर लाल मेघवाल अस्पताल में भर्ती हैं। कोरोना ने जैसलमेर के अभेद्य किले में अपनी दस्तक दे ही दी है।दो विधायक इसकी चपेट में आ गए लगते हैं।
गहलोत के बाड़े में 102 विधायक होने का दावा किया जा रहा था। इन में कमी आने की पूरी संभावना गहलोत को थी, कई विधायक सचिन पायलट या प्रधान साहब की चपेट में आ सकते थे, यही वज़ह रही कि इन्हें जैसलमेर के अभेद दुर्ग में समस्त सुविधाओं और आज़ादी के साथ क़ैद करने का निर्णय लिया गया। परन्तु दुर्भाग्यवश संख्या बल 102 से 92 ही रह गया। मेरा मानना है कि अब गहलोत अपनी रणनीति बदलने को मजबूर होंगे। और उन्हें आलाकमान के आगे झुकना पड़ सकता है।
हाईकोर्ट बसपा के 6 विधायकों के मामले में भले ही फैसला न करे मगर उनको फ्लोर टेस्ट में भाग लेने से मना कर सकता है ( यही होगा ऐसा मेरा यक़ीन है) ।यदि उनकी वोटिंग पर रोक न भी लगे तो गहलोत के पास सिर्फ दो-तीन वोट ज्यादा होंगे। यदि अंतिम समय में उनके दो-तीन लोग पाला बदल लेते हैं या यह बिक जाते हैं या ये मतदान में नहीं आते हैं तो सरकार संकट में आ जाएगी।
आपने देखा होगा कि जो कांग्रेसी नेता सचिन पायलट को कल तक गालियां दे रहे थे, उनका सोच आज बदला हुआ नज़र आ रहा है। उन्हें वे वापस आने के लिए पुचकारते नज़र आ रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि नाराज विधायक वापस आ जाएं मगर भाजपा ने उनको पूरा सेट कर दिया है । सुरेश टांक सहित जो तीन निर्दलीय विधायक कांग्रेस के साथ थे अब वापस कांग्रेस में आने वाले नहीं हैं।वे भाजपा से राखी बंधवा चुके हैं। भंवरलाल मेघवाल इतने बीमार है कि वे भाग नहीं ले सकते। सचिन पायलट के साथ गए 18 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने निकालने का नोटिस दे ही रखा है। पर अदालत ने उस पर रोक लगा रखी है। सारा दारोमदार अब अदालत के फैसले पर टिका हुआ है। गहलोत सरकार गहरे संकट में है। भले ही वो अभी भी खामखयाली में हो ।
अंत में मेरा निजी आंकलन है कि सचिन ही प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में हमारे सामने होंगे। ये भी हो सकता है कि गहलोत ही कांग्रेस की लाज बचाने के लिए और भाजपा की गणित को फेल करने के लिए खुद ही समर्पण करके सचिन को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर लें।
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