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क़लमकार: बस सरकार सलामत रहे जनता का तो क्या

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August 1, 2020

लॉक डाउन की अफ़वाहों से घिरा प्रदेश डरे हुए हैं सभी ज़िला कलेक्टर्स_


बस सरकार सलामत रहे जनता का तो क्या

लॉक डाउन की अफ़वाहों से घिरा प्रदेश_

डरे हुए हैं सभी ज़िला कलेक्टर्स_

सुरेन्द्र चतुर्वेदी

जोधपुर में लॉक डाउन की संभावनाओं को लेकर अफ़वाह फैल गई। जोधपुर क्या राज्य का कोई शहर ऐसा नहीं जहां के लोगों के बीच फिर से लॉक डाउन लगाए जाने का भय व्याप्त ना हो। गजब की बात है कि लोग कोरोना के बढ़ते प्रभाव से नहीं डर रहे। लॉकडाउन से डर रहे हैं। लॉक डाउन यदि इतना ख़तरनाक़ है तो प्रधानमंत्री मोदी जी ने उस समय क्यों लगाया था जब देश में कोरोना की शुरुआत ही हुई थी। अब जबकि कोरोना के विस्फोटों की आवाज़ बेहद तेज़ी से सुनाई दे रही है तब लॉकडाउन को लेकर इतना भय क्यों व्याप्त है।
कल के आंकड़ों की ही बात की जाए तो अलवर में 193, जोधपुर में 153, जयपुर में 116 कोटा में 108 अजमेर में 107 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं। प्रदेश के अन्य शहरों व ज़िलों में भी आंकड़ा अपनी सर्वाधिक स्थिति में है। इन आंकड़ों से साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि अगस्त में तबाही का ऐसा दौर शुरू होगा कि सरकारों से संभाले नहीं संभलेगा।
मित्रों  आपको याद होगा कि मैं पिछले तीन महीनों से कहता आया हूँ कि जुलाई और अगस्त की तबाही के बाद सरकार फिर से लॉक डाउन लगाने पर मजबूर हो जाएगी। मैं तो आज भी अपनी बात पर कायम हूँ।
जोधपुर में लॉक डाउन की अफवाहों ने लोगों को सावधान कर दिया। संभावनाओं की बात की जाए तो जोधपुर में ही क्या अलवर, जयपुर, कोटा, अजमेर सब जिलों में लॉक डाउन लगाया जा सकता है। यह अफ़वाह नहीं सच्चाई है जिससे सरकार भी इनकार नहीं कर सकती।
यदि अफ़वाहों से जनता को बचाना होता तो चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा कभी की घोषणा कर देते कि चाहे कुछ भी हो लॉकडाउन फिर से नहीं लगाया जाएगा। उन्होंने ऐसा नहीं कहा क्योंकि उन्हें भी मालूम है कि लॉक डाउन कभी भी लगाया जाना पड़ सकता है।
सरकार ने सारी जिम्मेदारी अब ज़िला कलेक्टर पर छोड़ दी है। यदि तबाही ज्यादा मची और मीडिया या पब्लिक ने शोर मचा दिया तो सरकार ज़िला कलेक्टरों की गर्दन नाप देगी। उनकी जिम्मेदारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया जाएगा। उनको आरोपित कर कार्रवाई की जाएगी।
इधर जिला कलेक्टर डरे हुए हैं कि यदि उन्होंने आगे होकर लॉक डाउन का पंगा ले लिया तो उनकी जिम्मेदारियां अतिरिक्त रूप से बढ़ जाएंगी। अच्छा खासा प्रशासन खाने कमाने में लगा हुआ है। खासतौर से पुलिस विभाग की चांदी कट रही है। वह बंद हो जाएगी। चौथ वसूली और रिश्वत का फल फूल रहा कारोबार एक झटके में सिमट जाएगा।
जिला कलेक्टर सरकार के इशारों का इंतजार कर रहे हैं। अजमेर के कलेक्टर साहब! सोच रहे हैं कि जोधपुर और जयपुर वाले कलेक्टर पहले लॉक डाउन लगाएं ताकि उनका भी रास्ता खुल जाए। हक़ीक़त यह है कि हर जिले का प्रशासन जानता है कि लॉक डाउन लगाए जाने से ही चैन टूटेगी। पहले बाहर से आने वाले प्रवासियों के कारण कोरोना फैल रहा था। अब तो वह कारण भी नहीं ।लोग आपस में ही कोरोना फैला रहे हैं। एक दूसरे के संपर्क में आने पर ही कोरोना फैल रहा है। यदि इस चैन को नहीं तोड़ा गया तो प्रदेश का क्या हाल होगा, प्रशासन समझ रहा है। सरकार भी समझ रही है मगर जनता नहीं समझ रही।
मीडिया के बड़े घराने नहीं चाहते कि लॉक डाउन हो । उनके विज्ञापन प्रभावित हों। उनकी आमदनी प्रभावित हो। पूरा प्रदेश सिर्फ रोजमर्रा की आमदनी के कारण जान को संकट में डाल रहा है।
लॉकडाउन तो लगाया ही जाएगा। टाल लो, जितना टालना है। मौतों का आंकड़ा अब तेजी से बढ़ेगा। यदि अगस्त के दूसरे सप्ताह तक लोगों की अप्रोच में वैक्सीन नहीं आया और लॉक डाउन नहीं किया गया तो हालात हाथ से निकल जाएंगे।
हम सितंबर से इबादतगाहों को खोले जाने की बात कर रहे हैं। शिक्षण संस्थान खोलने की बातें कर रहे हैं। नए नए निर्देश जारी हो रहे हैं मगर मित्रों  यह सब मन बहलाने की बातें हैं। समाज को सांत्वना देकर सहज रखने की बातें हैं। इनका व्यवहारिक रूप से अभी कुछ होना संभव नहीं लग रहा।
प्रदेश की सरकार अभी सियासती ड्रामेबाजी में व्यस्त हैं। वह यदि कोरोना को काबू करने में लग गई तो उसका तख्तापलट जाएगा। इसलिए बस सरकार सलामत रहनी चाहिए जनता का तो क्या 

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