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July 30, 2020
विधायकों का घाटा ब्याज सहित चुकाएंगे गहलोतऔर जनता अपने घाटे से करेगी आत्म हत्या
गतिरोध टूटा है शिव धनुष नहीं
बड़ा जादूगर कौन
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
सम्राट अशोक को नमन ।वे आख़िर राज्यपाल कलराज मिश्र का दिल जीतने में भी कामयाब हो गए। प्रेम पत्रों के आदान-प्रदान का सिलसिला समाप्त हुआ। गतिरोध टूटा। राज्यपाल की ज़िद टूटी। भाजपा का भ्रम टूटा। बाड़े में बंद जनप्रतिनिधियों का सब्र टूटते टूटते बचा।नहीं टूटी तो कोरोना की चैन। अशोक गहलोत ने कहा है कि उनका साथ दे रहे विधायकों का घाटा व ब्याज सहित चुकाएंगे। विधायक और मंत्री समझदार हैं। गहलोत के इस बयान का मतलब भली-भांति समझ गए होंगे। अपुन नासमझ पत्रकार हैं। नहीं समझे ।विधायकों को घाटा क्या हुआ उसकी पूर्ति ब्याज सहित क्या होगी कैसे होगी ज़रूर गहलोत के दिमाग में कुछ जबरदस्त प्लानिंग चल रही है ।ज़रूर इस प्लानिंग में विधायकों को ब्याज सहित फायदा देकर मालामाल किए जाने के प्रावधान होंगे।
फिर एक बार मेरे मलिन मन में ख्याल आ रहा है कि बाड़े में जानवरों की तरह बंद किए हुए विधायकों को रोके रखने के लिए यह कोई राजनीतिक चाल तो नहीं कोई आकर्षक झांसा तो नहीं ऐसा झांसा जिसमें आकर मवेशियों की तरह बाड़े में बंद जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि 14 अगस्त तक उनकी होटल में बंद रहना स्वीकार करते रहे घर जाने की जिद पर नहीं करें। भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना के चक्कर में न चले जाएं।
भैंसों को पानी में जाने से रोके जाने के लिए जैसे पशुपालक कई तरह के जुगाड़ और फार्मूले आज़माते हैं, कहीं अशोक गहलोत भी वैसा ही कुछ तो इन अबोध और नादान विधायकों के साथ नहीं कर रहे
ज़रूर गहलोत के जादूगर दिमाग में कोई फार्मूला फिट बैठा हुआ है ।जो मुख्यमंत्री कोरोना के कारण घाटे में आए प्रदेश के लोगों के बारे में नहीं सोच पा रहा हो। यह नहीं कह पा रहा हो कि घाटे में आई प्रदेश की जनता को ब्याज सहित लाभ पहुंचाया जाएगा। वह मुख्यमंत्री अपने बाड़े में बंद मस्ती कर रहे लोगों के किस घाटे की बात कर रहा है
पांच सितारा होटल में पता नहीं किस के खर्चे पर मौज़ मस्ती कर रहे मासूम विधायकों को कौन सा घाटा हो रहा है उनका बेहतरीन वेतन बराबर उनके खातों में जमा हो रहा है। खर्चा धेले भर का नहीं हो रहा। कोरोना से पीड़ित मतदाताओं के हाल-चाल पूछने तक जाने की ज़रूरत उन्हें महसूस नहीं हो रही। अपने भाई बंधुओं ,यार दोस्तों की मौतों तक में ये नाशुक्रे लोग शामिल नहीं हो रहे ।अपने परिवार की देखभाल भी पड़ोसियों के भरोसे छोड़ कर बैठे हुए हैं। पानी का गिलास तक नौकर चाकर उठा रहे हैं।कपड़ों की धुलाई कड़पदार प्रेस भी होटल वाले करके दे रहे हैं। ऐसे में उनका घाटा क्या हो रहा है
हो सकता है इन विधायकों के ट्रांसफर का कारोबार ठप हो गया हो। काले धंधे करने वालों से चौथ वसूली नहीं हो पा रही हो। और कोई कारोबार रुके हुए हो।जैसे बजरी के।माइंस के।और भी ऐसे ही कई जिसे गहलोत जी ही जाने। उनकी सरकार में जनता की सेवा करने वालों के नाम पर जीते हुए नेता कौन से कौन घाटे भुगत रहे हैं उनको ही हो पता।
सचिन पायलट ने जिन विधायकों को अपने बाड़े में बंद कर रखा है, उनके घाटे का क्या होगा घाटा तो उन्हें भी हो ही रहा होगा।सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। आज भी वे कांग्रेसी हैं। अभी उन्हें पार्टी से नहीं निकाला गया है। आज भी उनके पार्टी में शामिल होने की संभावनाओं के द्वार बंद नहीं हुए हैं।।आज भी वे नाक रगड़ कर , तलवे या थूक चाट कर पार्टी में आ सकते हैं।आ गए तो क्या गहलोत जी उनके घाटे को भी पूरा करेंगे
मित्रों !! जादूगर के पास कोई जादू नहीं होता। उसके पास हाथ की सफाई होती है। नज़र का धोका होता है, बोलने की कला होती है। बातों में उलझाने का हुनर होता है। आत्मविश्वास होता है।
क्या आप सोचते हैं कि कलराज मिश्र ने अंतरात्मा की आवाज़ से विधानसभा सत्र आहूत करने की इजाज़त दी है। उन्होंने गहलोत के प्रेम पत्रों य्य अंतरंग मुलाकातों के बाद निर्णय लिया है। यदि आप ऐसा सोचते हैं तो फिर मैं ही ग़लत सोचता हूँ।
मेरा मानना है कि कलराज मिश्र की आत्मा दिल्ली के तोते में रखी हुई है। गहलोत ने मोदी जी से फ़ोनवा पर बात की ।मोदी जी अशोक गहलोत से बड़े जादूगर हैं। उन्होंने कल राज जी की आत्मा को ढीला छोड़ा और तुरंत गतिरोध खत्म हो गया।
हालात राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहे थे। जनतंत्र के नाम पर तानाशाही खेल खेला जा रहा था।भाजपा के माथे पर कलंक का टीका लगने वाला था।
चुनाव होते तो भाजपा पर गंभीर आरोप लगते ।कांग्रेस को इसका फायदा मिलता और यह फायदा गहलोत के लिए प्राण वायु बनता।
अब गतिरोध दूर हो गया है। कोरोना से मर रहे लोग! डर रही जनता ! बंद कारोबार से परेशान व्यापारी ! नौकरी से हटाए गए लोग! बेरोज़गारी से तंग आकर आत्महत्या करने वाले मजलूम! रोज़मर्रा की सांस लेने में तक़लीफ़ पाने वाले मतदाता! किस जानवरी जिंदगी को जी रहे हैं किस घाटे को सहन कर रहे हैं अशोक गहलोत पांच सितारा होटल में कैद रहकर नहीं जान पाएंगे।
जन्मदिन को जयन्तियों की तरह मनाने वाले राजनेता जनता के दर्द को कभी नहीं समझ सकते।उनके घाटे को ब्याज सहित दूर नहीं कर सकते।
गहलोत जी आप जादूगर हैं, मगर सबसे बड़ा जादूगर ईश्वर है। वही सबका घाटा दूर करेगा। आप करते रहें अपने बाड़े में बंद मवेशियों का घाटा।आपको सद्बुद्धि मिले बस यही प्रार्थना।
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