Post Views 841
May 25, 2020
हो ही गया न कोरोना विस्फोट
अभी तो ये शुरुआत है
केकडी में दिमाग़ का दही बनाने वाले कोरोना नाटक का मंचन
( बिना पढ़े न रहें)
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
*कोरोना महाकाल में ईद मुबारक कहना भी औपचारिकता है। जिस तरह ज़िले में ईद का त्यौहार मनाया जा रहा है, वह परंपराओं की खानापूर्ति जैसा ही है। बच्चों का मन रखने जैसी बात !नाटक के किसी ख़ुश दिखने वाले किरदार जैसा अभिनय ! अभावों और संत्रासों के बीच ,इतिहास के लंबे अंतराल में ऐसी बदनसीब ईद शायद ही कभी मनाई गई हो। दुखी मन से ईद मनाए जाने की मजबूरी पर यह कहकर सब्र किया जा सकता है कि अल्लाह जैसी तेरी मर्जी !! तूने क्या सोचकर दरवाज़े बंद किए तू जाने !! अगर यह हमारे किसी गुनाह की सज़ा है तो हम इसे मंजूर करते हैं। माफ़ी चाहते हैं। हमें माफ़ कर परवरदिगार हमें माज़रत दे दे।*
*अजमेर ज़िले में ठीक वैसा ही होता जा रहा है जैसा मैं विगत 50 दिन से लगातार कहे जा रहा हूँ और ज़िला प्रशासन कान में रूई डाल कर सुने जा रहा है।*
*अजमेर में कोरोना खौफ़नाक़ चेहरा दिखा कर प्रशासन के आईने को तोड़ने पर आमादा है। एक दिन में 25 पॉजीटिव आने की रफ़्तार बता रही है कि अब इस ज़िले की ख़ैर नहीं। रेड जोन की जगह अब यह जिला डार्क रेड जोन बन जाएगा।*
*प्रशासन क्या कर रहा हैअब तो यह सवाल पूछना भी बेमानी हो गया है। उसे तो सूझ ही नहीं रहा कि वह क्या करें बदहवासी उसे उस मुकाम तक पहुँचा चुकी है जिसे हम पराजित योद्धाओं की मजबूरियां मान सकते हैं। कह सकते हैं कि जिला कलेक्टर साहब हाथ में तलवार लेकर हवा में घुमाते तो नज़र आ रहे हैं मगर कोरोना का कोई हिस्सा कट नहीं रहा।*
*पुलिस कप्तान कुँवर राष्ट्रदीप सिंह जी बेहद बहादुर होने के बावजूद हारे हुए लश्कर में शामिल हैं। ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ के के सोनी, "कोरोना माने ही कोनी", का उच्चारण करने लगे हैं।*
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved