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February 6, 2020
#मधुकर कहिन 2216
इस्लामिक देशों में हिंदुओं से ज्यादा मुसलमानों पर धर्म पालना हेतु कानूनी सख्ती
क्या हिन्दू राष्ट्र की मांग करने वाले राष्ट्रभक्तों में है हिन्दू संस्कृति हेतु ऐसा समर्पण ?
नरेश राघानी
घर के एक बुजुर्ग के देहांत हो जाने जैसी त्रासदी से गुजर कर खुद को संभाला है । जिसके पश्चात मुझे कुछ अनिवार्य व्यवसायिक कारणों की वजह से संयुक्त अरब अमीरात के दुबई और शारजाह शहर की यात्रा पर जाना पड़ा।
क्या करूं ??? आदत से मजबूर हूँ ना !!! इसलिए जो कुछ भी जीता हूं , अकेला जीना पसंद नहीं करता। और जहां जाता हूँ, जो भी जीता हूँ , जो देखता हूँ , वह अनुभव अपने लोगों के साथ शेयर जरूर करता हूँ। इस यात्रा के दौरान मैंने बहुत कुछ देखा और सीखा है। और कई चीजों ने मुझे सोचने पर मजबूर भी किया है ।
दुबई और शाहजहां संयुक्त अरब अमीरात के बहुत बड़े शहर हैं । जहां पर इस्लामिक कानून की पालना की जाती है । दुनिया के सबसे वैभवशाली और उत्कृष्ट श्रेणी के शहरों में इन शहरों की गिनती होती है । वहाँ चौड़ी सड़कें साफ सफाई और नागरिकों द्वारा समर्पण से कानून की सजग पालना देखकर बहुत अच्छा लगा । इस इस्लामिक देश में शारजहां एक ऐसा शहर है जहां पर बहुत सख्त रूप से इस्लामिक कानून की पालना की जाती है । जिसके अंतर्गत जुआ खेलना ,शराब पीना और वेश्यावृत्ति में लिप्त होना बहुत ही गंभीर अपराध है। वहाँ के एक नागरिक लियाकत रहमान जो कि मूल रूप से अरबी हैं। के साथ मैं लगभग 8 दिन रहा । लियाकत ने मुझे वहां की कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी । जिनमें एक दिमाग का दर्शन खोल देने वाली जानकारी थी । लियाकत के अनुसार शारजहां क्षेत्र में मदिरापान करना वर्जित है। यदि कोई भी व्यक्ति शराब पीकर सड़क पर घूमता हुआ या गाड़ी चलाता हुआ दिखाई देता है और सार्वजनिक स्थल पर पकड़ा जाता है। तो उसे मुल्क के कानून के हिसाब से बहुत सख्त सजा का प्रावधान है। जिसके अंतर्गत यदि वह व्यक्ति हिंदू है , तो उसे सार्वजनिक स्थल पर लोगों के बीच में कपड़े उतार कर 100 कोड़े मारे जाते हैं । और वही यदि कोई स्थानीय मुसलमान इस तरह की हरकत करता हुआ पकड़ा जाता है ? तो उसे भी कपड़े उतार कर सार्वजनिक स्थल पर 200 कोड़े मारे जाते हैं। यह सुनकर मैं दंग रह गया । मैंने लियाकत से पूछा कि - भाई ऐसा भेदभाव क्यों ? तो उसने कहा कि - यहां कानून के हिसाब से जितने भी हिंदू हैं वह स्वाभाविक रूप से किसी और देश से आए हुए हैं। जिन्हें संभव है कि इस्लामिक कानून की जानकारी नहीं है। और यह एक इस्लामिक देश है। इसलिए कोई यदि इस देश का मुसलमान नागरिक है ... और वही इस्लामिक कानून का उल्लंघन करता है ... तो वह ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जाता है । वनसप्त उसके जिसका धर्म इस्लाम है ही नहीं ।
मोटे तौर पर इसे यूँ समझिए कि यदि वह देश का नागरिक है और वह कानून तोड़ता है तो उसको दुगनी सजा है । उन लोगों की तुलना में जो कि देश के नागरिक नहीं है। और गैर इस्लामिक है ।
यह बात सुनकर रात भर सोचता रहा । और कानून की पालना के ऐसे मायनों की हिंदुस्तान में व्याप्त कानून व्यवस्था से तुलना करने लगा। मन में यह भी विचार आया कि आज जब पूरा देश हिंदू राष्ट्र की तरफ सजगता से कदम बढ़ा रहा है । वहाँ क्या कोई हिन्दू नागरिक इस तरह के मापदंड का पालन कर पाएगा ? जहां पर गैर मज़हबी मुसलमान को सजा कम और इस देश के हिंदू नागरिक को दोगुनी सजा दी जाएगी ? शायद नहीं !!! क्या आरएसएस और भाजपा से जुड़े सैकड़ों लोग जो हिंदू राष्ट्र और हिंदुत्व का झंडा लिए इस देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। वह लोग क्या इन हदों तक जाकर खुद अपने धर्म की पालना हेतु ऐसी कीमतें चुका पाएंगें ? या फिर इसे भी मुस्लिम तुष्टीकरण की दृष्टि से ही देखेंगे ?
क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात जैसा इस्लामिक देश यदि अपने नागरिकों से यह उम्मीद करता है कि वह खुद भी इस्लामिक संस्कृति की पालना हेतु इतने वचनबद्ध रहे । और ऐसी शिद्दत से इस तरह की कीमतें देने को तैयार रहें। तो क्या ऐसी हिम्मत और ऐसी शिद्दत हिंदुत्व के पालन करवाने हेतु आज गले में भगवा पट्टा डाले शहर में घूम रहे राष्ट्रभक्तों में है ?
मेरे विचार से यदि है तभी उन्हें अधिकार है सब धर्मों को दरकिनार कर हिंदू राष्ट्र की मांग करने का ... अन्यथा नहीं ।
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
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