Post Views 991
November 28, 2018
वसुन्धरा सरकार और अजमेर के दोनों मंत्रियों के पंद्रह साल के शासन स्वरूप उपजी विरोध की लहर के चलते ऐसी धारणा बनी थी कि इस बार कांग्रेस की लहर है और उसकी सरकार बन सकती है।
वासुदेव देवनानी की तुनक मिजाजी , अनीता भदेल का अतिक्रमणों का समर्थन और गिनती बढ़ाने का विकास और वसुन्धरा जी से सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी ने मेरे विचार से कांग्रेस की जीत के आसार पक्के कर दिए थे या पक्के कर दिए हैं क्योंकि भविष्य का अभी फैसला नहीं हुआ है।
बीजेपी की विरोधी लहर में जिस तरह कमर कसकर कांग्रेस और देवनानी के खिलाफ ब्राह्मणों को मैदान में उतरना था वे नहीं उतरे हैं।
मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अपरोक्ष रूप से सचिन पायलट और अशोक गहलोत में अन्दर ही अन्दर शीत युद्ध जारी है।दोनों यह अवश्य चाहते होंगे कि उनके समर्थक ज्यादा से ज्यादा संख्या में जीतें इसका यह अर्थ भी लगा सकते हैं कि सामने वाले का समर्थक हार जाए।
वास्तव में एक बात मैं आपका बता दूं कि राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता का वो हुनर कभी रहा ही नहीं कि वो हालातों पर काबू पा सके।
ये तो हुई कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की बात। अब आइए स्थानीय कांग्रेस की बात कर लें।
मैंने महसूस किया कि स्थानीय कांग्रेस में छोटे छोटे टापू बने हुए हैं।
इन छोटे छोटे टापुओं पर अलग अलग खेमों के अलग अलग झंडे लहरा रहे हैं।
ऐसी आशंका है सेनापति बनने की होड़ में सभी एक दूसरे को काट कर धराशाई हो जाएंगे और फिर ढूंढे से भी कोई सेनापति नजर नहीं आएगा और ताज एक बार फिर भाजपा की झोली में जा गिरेगा।
क्या भाजपा के खिलाफ विरोध की लहर का फायदा कांग्रेस उठाने से चूक जाएगी ?
जयहिंद।
राजेन्द्र सिंह हीरा
अजमेर
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved