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October 19, 2018
आखिर क्यों प्रशासन आम आदमी की ज़िंदगियों से खेल रहा है ?
में समझता हूं कि "स्पीड ब्रेकर" आज के समाज की हड्डियों को हिला देने वाली दर्द भरी समस्या है।
शहर का कोई भी हिस्सा इससे अछूता नहीं है।
शहर की हर छोटी बड़ी सड़क से लेकर हाईवे तक पर स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं।
मजे की बात तो यह है कि इनपर सफेद काली पट्टियों से निशानदेही नहीं की गई है।
आप जब स्पीड ब्रेकर के पास तक पहुंच जाते हैं तब जाकर आपकी ये स्पीड ब्रेकर दिखते हैं।नतीजा आप जोर से ब्रेक लगाते हैं और अगर चूक गए तो आप एक उछाल पाते हैं। दोनों ही सूरतों में आपकी रीढ़ की हड्डी में झटका लगना लाज़मी है।
छोटी छोटी कॉलोनियों की तो बात और ही निराली है। कहीं कहीं तो हर घर ने अपने घर के सामने स्पीड ब्रेकर बना लिए हैं क्योंकि किसी को भी कोई रोक
टोक नहीं है।
फिर प्रशासन के पास इतना समय भी नहीं है कि इतनी छोटी छोटी बातों पर ध्यान दे।
प्रशासन हाईवे पर स्पीड ब्रेकर बना तो देता है पर उन्हें काली सफेद पट्टियों से मार्किंग करने की उसे फुरसत नहीं या फिर हो सकता है उसका बजट सीधे सीधे डकार लिया जाता हो।
इसी तरह जहां ये मार्किंग मिट जाती है वहां पर भी दोबारा मार्किंग समय रहते नहीं कराई जाती।
आपको शायद पता नहीं होगा सड़क दुर्घटनाओं में चोटिल और मारे जाने वाले अधिकतर लोग स्पीड ब्रेकर का ही शिकार होते हैं।
अधिकतर स्पीड ब्रेकर गलत ढंग से बहुत ऊंचे बने हुए हैं।कई कई जगह जहां केवल एक स्पीड ब्रेकर की जरूरत है वहां तीन से पांच तक ब्रेकर बने हुए हैं।
प्रशासन शहर में कहीं भी इस बात की मॉनिटरिंग नहीं करता है कि शहर में बेवजह स्पीड ब्रेकर तो नहीं बने हुए हैं , जो बने हुए हैं उन पर मार्किंग है या नहीं है।
अब समय आ गया है जब प्रशासन को इस ओर ध्यान देने के साथ साथ जनता को शिक्षित करने का प्रोग्राम बनाने की जरूरत है कि वे गति पर नियंत्रण से सुरक्षित तरीके से अपने वाहन चलाएं ताकि स्पीड ब्रेकर की कम से कम जरूरत पड़े।
प्रशासन को संज्ञान हो कि उसकी लापरवाही कई लोगों की दुर्घटनाओं का कारण बन रही है।
आखिर क्यों प्रशासन आम आदमी की ज़िंदगियों से खेल रहा है ?
जयहिंद।
राजेन्द्र सिंह हीरा
अजमेर
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